Wednesday, August 24, 2011

जगदीश प्रसाद मंडल- कथाकार-उपन्यासकार-नाटककार- गजेन्द्र ठाकुर

जगदीश प्रसाद मंडल 1947-

गाम-बेरमा, तमुरिया, जिला-मधुबनी। एम.ए.।कथाकार (गामक जिनगी-कथा संग्रह आ तरेगण- बाल-प्रेरक लघुकथा संग्रह), नाटककार(मिथिलाक बेटी-नाटक), उपन्यासकार(मौलाइल गाछक फूल, जीवन संघर्ष, जीवन मरण, उत्थान-पतन, जिनगीक जीत- उपन्यास)। मार्क्सवादक गहन अध्ययन। हिनकर कथामे गामक लोकक जिजीविषाक वर्णन आ नव दृष्टिकोण दृष्टिगोचर होइत अछि। विदेह सम्पादकक समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)


१९४२-४३ क बंगालक अकालक विषयमे अमर्त्य सेन लिखै छथि जे एहि अकालमे बंगालमे लाखक लाख लोक मुइलाह (फेमीन इन्क्वायरी कमीशनक अनुसार १५ लाख) मुदा अमर्त्यक एकोटा सर-सम्बन्धीक मृत्यु ओहिमे नहि भेल। तहिना मिथिलाक १९६७ ई.क अकालमे भारतक प्रधानमंत्रीकेँ देखाओल गेलन्हि जे कोना मुसहर लोकनि बिसाँढ़ खा कऽ अकालसँ लड़ि रहल छथि, मुदा एहिपर कथा लिखल गेल २००९ ई.मे। २००९ ई. मे जगदीश प्रसाद मंडलजी बिसाँढ़पर मैथिलीमे कथा लिखलन्हि। आ एहि विलम्बक कारण सेहो स्पष्ट अछि। मैथिली साहित्यमे जे एकभगाह प्रवृत्ति रहल अछि, ताहि कारणसँ अमर्त्य सेन जेकाँ हमरो साहित्यकार सभ ओहि महाविभीषिकासँ ओतेक प्रभावित नहि भेल होएताह। आ एतए जगदीश प्रसाद मंडल जीक कथा मैथिली कथा धाराक यात्राकेँ एकभगाह होएबासँ बचा लैत अछि। एहि संग्रहक सभटा कथा उत्कृष्ट अछि, रिक्त स्थानक पूर्ति करैत अछि आ मैथिली साहित्यक पुनर्जागरणक प्रमाण उपलब्ध करबैत अछि।

जगदीश प्रसाद मण्डल शिल्पी छथि, कथ्यकेँ तेना समेटि लैत छथि जे पाठक विस्मित रहि जाइत अछि। मुदा हिनका द्वारा कथ्यकेँ (कथा, उपन्यास, नाटक, प्रेरक-कथा सभमे) उद्देश्यपूर्ण बनेबाक आग्रह आ क्षमता हिनका मैथिली साहित्यमे ओहि स्थानपर स्थापित करैत अछि, जतएसँ मैथिली साहित्यक इतिहास “जगदीश प्रसाद मण्डलसँ पूर्व” आ “जगदीश प्रसाद मण्डलसँ” एहि दू खण्डमे पाठित होएत। समाजक सभ वर्ग हिनकर कथ्यमे भेटैत अछि आ से आलंकारिक रूपमे नहि वरन् अनायास, जे मैथिली साहित्य लेल एकटा हिलकोर अएबाक समान अछि। हिनकर कथ्यमे कतहु अभाव-भाषण नहि भेटत, सभ वर्गक लोकक जीवन शैलीक प्रति जे आदर आ गौरव ओ अपन कथ्यमे रखैत छथि से अद्भुत। हिनकर कथ्यमे नोकरी आ पलायनक विरुद्ध पारम्परिक आजीविकाक गौरव महिमामंडित भेटैत अछि, आ से प्रभावकारी होइत अछि हिनकर कथ्य आ कर्मक प्रति समान दृष्टिकोणक कारणसँ आ से अछि हिनकर व्यक्तिगत आ सामाजिक जीवनक श्रेष्ठताक कारणसँ। जे सोचैत छी, जे करैत छी सएह लिखैत छी- ताहि कारणसँ। यात्री आ धूमकेतु सन उपन्यासकार आ कुमार पवन आ धूमकेतु सन कथा-शिल्पीक अछैत मैथिली भाषा जनसामान्यसँ दूर रहल। मैथिली भाषाक आरोह-अवरोह मिथिलाक बाहरक लोककेँ सेहो आकर्षित करैत रहल आ ओही भाषाक आरोह-अवरोहमे समाज-संस्कृति-भाषासँ देखाओल जगदीशजीक सरोकारी साहित्य मिथिलाक सामाजिक क्षेत्र टा मे नहि वरन् आर्थिक क्षेत्रमे सेहो क्रान्ति आनत। विदेह मे हिनकर पाँचटा उपन्यास, एकटा नाटक आ दू दर्जनसँ बेशी कथा, नेना-भुटका-किशोर लेल सएसँ ऊपर प्रेरक कथा ई-प्रकाशित भऽ विश्व भरिमे पसरल मैथिली भाषीकेँ दलमलित करैत मैथिली साहित्यक एकटा रिक्त स्थानक पूर्ति कऽ देने अछि। (साभार विदेह)

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