मधुबनी जिलाक पजुआरिडीह टोलमे १९५० ई. मे श्री कृष्ण नाट्य समितिक स्थापनाक संग नाट्य मंचन प्रथाक सुदृढ़ परम्पराक प्रारम्भ भेल जे श्री कृष्ण चन्द्र झा "रसिक"क नेतृत्वमे होइत रहल। १९६६ ई. मे "बसात" आ तकर बाद "चिन्नीक लड्डू" १९७० ई. सँ श्री शिवदेव झा एकरा आगाँ बढ़ेलन्हि जे विद्यापति (१९६७), उगना (१९७०), सुखायल डारि नव पल्लव (१९७५), काटर (१९८०), कुहेस (१९८५)सँ आगाँ बढ़ल।
१९९० ई.सँ गाममे काली पूजा प्रारम्भ भेल, ओतए चारि रातिमे एक राति मैथिली नाटक श्री गंगा झा क निर्देशनमे हुअए लागल।
१९९०- बड़का साहेब - लल्लन प्रसाद ठाकुर
१९९२- लेटाइत आँचर- सुधांशु शेखर चौधरी
१९९३- कुहेस- बाबू साहेब चौधरी
१९९४- समन्ध- कृष्णचन्द्र झा "रसिक"
१९९५- बकलेल - लल्लन प्रसाद ठाकुर
१९९६- उगना- ईशनाथ झा
१९९७- अन्तिम गहना- रोहिणी रमण झा
१९९८- आतंक- अरविन्द अक्कू
१९९९- प्रायश्चित- मंत्रेश्वर झा
२००१- फाँस- मूल बांग्ला एस. गुहा नियोगी, अनुवाद- रामलोचन ठाकुर
२००२- राजा शैलेश- कृष्णचन्द्र झा "रसिक"
२००३- अन्तिम गहना-- दोहरायल गेल
२००४- उगना- - दोहरायल गेल
२००५- किशुनजी- किशुनजी- मूल बांग्ला श्री मनोज मित्र अनु. रामलोचन ठाकुर
२००६- कालिदासक बखान- ?
२००७-लौंगिया मिरचाई- लल्लन प्रसाद ठाकुर
२००८- पहिल साँझ- सुधांशु शेखर चौधरी
२००९- कुहेस- - दोहरायल गेल
२०१०- ताल मुट्ठी- अरविन्द अक्कू
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