Wednesday, August 24, 2011

धीरेन्‍द्र कुमार एकांकी जड़ैत मोमबत्ती

धीरेन्‍द्र कुमार
एकांकी

ड़ैत मोमबत्ती

(मंचपर बादक नाटकक शुरू होएबाक पूर्वक वाद्य-यंत्र बजि रहल अछि‍। बंठा दर्शक दि‍सि‍ पीठि‍ केने गुड्डी उड़ा रहल अछि‍। वादक दीर्घा दि‍सि‍ हल्‍ला होइत छैक।)

गांधी: हे यौ, नाटक कि‍ए नै‍ शुरू होइ छै।
बटेसर: यौ नटकि‍या सभ गाजा पिबैत हेतै।
रंजि‍त: सि‍नेमा देखऽ चलि‍ गेल हेतै।
बटेसर: अच्‍छा, ओ सभ नै छै तँ की‍ भेलै, कि‍यो तँ शुरू करू।
गांधी: पि‍आरे गणमान्‍य लोकनि‍। अहाँ सभ ध्‍यान लगा कऽ बैसल छी नाटक देखैले। मुदा नाटक ओहि‍ना थोड़े भऽ जाइ छै। पहि‍नेसँ मोन बनाउ, योजना बनाउ, षडयंत्र करू, तखने नाटक होइत अछि‍। अहाँ सभ तँ नाटक हरेक समए देखतै रहैत छी। हालेमे बि‍हार वि‍धान सभामे नाटक भेलै, अभूतपूर्व नाटक- जूता टुटलै, चप्‍पल टुटलै, गमला टुटलै आ टुटलै ओ प्रति‍ज्ञा जे बि‍हार वि‍धान सभाक सदस्‍यता ग्रहण करए लेल ओ सभ लेने रहथि‍। आइ-काल्हि‍ सपत्तक कोनो महत्‍व थोड़े रहि‍ गेल अछि‍। लि‍अ, आब हमहीं नाटक शुरू करैत छी आ हम बनि‍ जाइ छी गांधीजी।
(मंचेपर गांधी आँखि‍पर चश्‍मा रखैत अछि‍। पहि‍नेसँ पहि‍रने धोतीकेँ गांधी स्‍टाइलमे राखि‍ हाथमे लाठी लऽ मूर्तिवत ठाढ़ भऽ जाइत अछि‍। गुड्डी उड़बैत-उड़बैत बंठा पाछू मुहेँ भगैत अछि‍ आ गांधीसँ टकरा कऽ खसैत अछि‍, डराइत अछि‍ आ मूर्तिवत गांधी जीक स्‍पर्श करैत अछि‍)
बंठा: अहाँकेँ थि‍कौं?
गांधी: बच्‍चा, हम गांधी जी छी। महात्‍मा गांधी। मोहनदास करमचंद गांधी।
बंठा: के महात्‍मा गांधी? अहाँ सनक लोक तँ भीख मंगैत अछि‍। मुदा हमरा लग पाइ नै अछि‍।
गांधी: हम भीख नै मंगैत छी। आइ तों ज‍ देशमे जीबि‍ रहल छह ओकरा आजादी देनि‍हार हम छी।
बंठा: आजादी की होइ छै? कोन दोकानमे भेटै छै। हमरा तँ नै भेटल आजादी?
गांधी: बच्‍चा, आजादी कोनो बस्‍तु नै छै। भारत अंग्रेजक गुलाम छल ओकर अपन नि, कानून रहए,‍सँ हम सभ बान्‍हल रही। हम अपन इच्‍छासँ कि‍छु नै कऽ सकैत रही। हमर सभ अधि‍कार अंग्रेज छीनि‍ लेने रहए। ओ हमरापर अत्‍याचार करैत रहए, हमर शोषण करैत रहए।
बंठा: नि, कानून, अत्याचार तँ आइयो भऽ रहल अछि‍। इंदि‍रा आवासमे पाँच हजार टाका, वृद्धा पेंशनमे दू सए टाका; कागपर सड़क बनैत अछि‍। मकान, पुल तैयार होमएसँ पहि‍ने खसि‍ पड़ैत अछि‍। ई सभ तँ अखबार पढ़एबला लोक बुझैत अछि‍।
गांधी: यएह काज अंग्रेज करैत छल। अपन मोन निमसँ हमर शोषण करैत छल। अंग्रेजक अनुज छथि‍ ई सभ। जनताकेँ जागरूक होमए पड़तै, गलतक वि‍रोध करए पड़तै। सभकेँ शि‍क्षि‍त होमए पड़तै, सत्‍य बाजए पड़तै, चाेरि‍ नै करए पड़तै। दया-भाव-करूणाकेँ अपनाबए पड़तै, तखने हम कृत्रि‍म गुलामीसँ बाँचि‍ सकैत छी।
(दू पात्र, सि‍द्धांत, अधि‍कारी आ नि‍यमनक बीचेमे प्रवेश, गांधीजी बजिते रहै छथि।)
हम अंग्रेजक खि‍लाफत केलौं, अहि‍ंसात्‍मक आंदोलन चलेलौं। समस्‍त भारत वर्षमे स्‍वराज अलख जगेलौं, सुभाष चंद्र बोस, खुदीराम, भगत सि‍ंह, चंद्रशेखर आजाद सन सैकड़ो लोक अंग्रेजसँ लड़ाइ लड़लाह, तखन बड़ मोसकि‍लसँ हमरा आजादी भेटल। हम अपन देशसँ खुश नै छी। स्‍वर्ग-नरक दुनूमे स्‍वतंत्रता दि‍वसपर ई खबरि‍ धौलाइए ने भारतक पतन भऽ रहल अछि‍। तँए एक घंटाक छुट्टी लऽ आएल छी। आ हम अपने अपन संदेश ‍ गीतक माध्‍यमसँ सुना दै छी- बच्‍चा सभ अहूँ सभ हमरा संगे गाउ-
बौआ बुच्ची बात सुनू
देशक रक्षा आब करू
भेटल स्वतंत्रता मुश्किलसँ
एक्कर रक्षा अहाँ करू
बौआ बुच्ची बात सुनू
देशक रक्षा आब करू
(बच्चा सभ गीत गाबऽ लगैए।)
गांधी: बच्‍चा तोहर की नाम छह।
सि‍द्धां: सि‍द्धांत।
गांधी: तों की करैत छह।
सि‍द्धांत: (बीड़ी बहार करैत) हम चोरी करैत छी।
गांधी: (नि‍यमनसँ) आ तों?
नि‍यमन: जतेक अपहरण होइ छै, ओकर जासूस छी। टेलीफोनसँ खबरि‍ करैत छि‍ऐ, के कतऽसँ कतेक पाइ लऽ कऽ जा रहल अछि‍, के कतऽ अछि‍। आ ऑफि‍सर सभकेँ दारू पहुँचबैत छी। मुि‍खया सरपंचक जी-हजूरी करै छी।
गांधी: हे राम। एतेक छोट बच्‍चा सभ एहन काज करैए, पता नै समर्थ लोक सभ की करैत हेताह।
नि‍यमन: बाबा, अहाँ सनक लोककेँ पुलि‍स आतंकवाद, चोरि, उचकपनामे पकड़ि‍ लै छै। अहूँकेँ पकड़ि‍ लेत। पड़ा जा एतऽसँ।
गांधी: बच्‍चा, आब बूझि‍ पड़ैए हमरासँ ई हि‍न्‍दुस्‍तान नै सुनत। अंग्रेजी भगा देलौं, आब अपने बेटा सभ ई काज करैए। आब हमरो आरामे करऽ दएह।
सि‍द्धांत: बाबा, अहाँ बजैत छी जे अहाँक नाम गांधी अछि‍। गांधी शब्‍दक प्रयोग गाड़ि‍ रूपमे होइत अछि‍। जेना बाप बजै छै, बेटा-बड़का गांधी भऽ गेलहेँ। जा बाबा, पड़ा जा
(गांधी नमहर डेग उठबैत अछि‍। तीनू पात्र हँसैत अछि)
सि‍द्धांत: गेल, भागल बतहा।
नि‍यमन: रौ बाप, हमर दि‍माग गरम भऽ गेलौ हि‍नकर गप्‍प सुनैत-सुनैत।
सि‍द्धांत: हमर माथ टनटनाए लगलौ। ला एकटा ि‍सगरेट ला।
बंठा: ले, गाजा भर। चऽल एकटा गाना गबैत छिऔ, सभ डान्‍स कऽर।

(पाछाँसँ गीत आबऽ लगैए, सभ नाचऽ लगैए। नाच समाप्‍त होइत अछि‍। सभ हपसैत अछि‍। अधि‍कारीक प्रवेश)
अधि‍कारी: की रौ, नाचि‍ लेलेँ ने। कहू तँ, ई देश कोना सुधरत। मंदि‍रमे टि‍कट कटा तँ भगवानक दर्शन हएत। अहाँकेँ पाइ नै अछि‍- लाइनमे लागल रहू। अहाँकेँ उचि‍त काज अछि‍, दक्षि‍णा दियौ। मृत्‍यु प्रमाण चाही तँ टाका ि‍दयौ। अहाँ जीवि‍ते छी, सरकारी रेकर्डमे मरल छी। भोंट मागए औत तँ हम सभ टाका लेबइ। ठीकेदार सड़क बनाओत तँ हम ओकरासँ रंगदारी मंगबै। सड़कक ईंटासँ अपन घर जोड़ब, सड़क नै‍ राखब। सरकारी मकानक गि‍ट्टीसँ नादि‍ बनाएब। सामुदायि‍क भवनकेँ मुखि‍याजी दलान बनौताह। बेटीकेँ वि‍आह करब तँ बेटाबलाकेँ पाइ दि‍यौ। गरीब छी, दुख अछि‍, जहर कीनब, खएब, सुतब, भाेरे जीवि‍ते रहब। डॉक्‍टर बेहोशीक सुइया देत, पेट चीरए लागत तँ बाप-बाप करब। सभ ि‍कछु नकली। कतए जाएब, की करब? राष्‍ट्रीय त्‍योहार दि‍न झंडा फहराएब, राष्‍ट्रीय गीत गाएब। लालकि‍लासँ भाषण सुनब। हमर उत्तरदायि‍त्‍व समाप्‍ति भऽ जाएत। दरी-जाजि‍म झाड़ब आ वि‍दा भऽ जाएब अपन गाम, आ लागि‍ जाएब सड़ककेँ भाेकसैमे, अलकतरा पीबैमे। स्‍पैक्‍ट्रमकेँ पेटमे रखैमे। ठीके छै, हम सभ कोनो देशक ठीकेदारी नै नेने छी।
नि‍यमन: रौ सार, तों नेता भऽ गेलेँ?
सि‍द्धांत: एकरो रोग लागि‍ गेल छै, मलेरि‍या, लबेरि‍या, नेतगेरि‍या।
नि‍यमन: पागलखाना जाएत।
सि‍द्धांत: पागल लेल कोनो जगह छै, त्तौ नो एंट्रीक बोर्ड टांगल छै।
बंठा: पकड़ सारकेँ आ लऽ चल।
नि‍यमन: पकड़ पकड़, नै तँ पुलि‍स गि‍रफ्तार लऽ लेतौ।
(सभ कि‍यो ओकरा पकड़ि‍ कऽ मंचसँ बाहर लऽ जाइत अछि‍। भारत माताक प्रवेश। हाथमे ति‍रंगा। अस्‍त-व्‍यस्‍त हालत। हँसैत पाग सदृश।)
भारत माता: हम जर्जर भऽ चुकल छी। एक समए रहए जखन सैकड़ो सपूत अपन कुर्वानी दए हमरा आजाद करौलक। आजुक तों सभ कपूत छँह। हमरे आंचरकेँ तों सभ कलंकि‍त कए रहल छँह। हमर जग हँसाइ भऽ रहल अछि‍। की तोहर सभक यएह कर्तव्‍य छौह। तों सभ ज्ञानक लेल नै पढ़ै लि‍खै छँह, तोरा धन चाही। रूपैये तोहर माए-बाप भऽ गेल अछि‍।
की भऽ गेलह तोरा सभकेँ। आब माइयक अभि‍मानकेँ नष्‍ट नै करऽ, नै करऽ।
(बजैत-बजैत हि‍चुकि‍-हि‍चुकि‍ कनैत बजैत अछि‍। पर्दा आस्ते-आस्ते खसऽ लगैत अछि।)
 
 (साभार विदेह)

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