स्टेज एकटा सड़क अछि, जइ सड़कपर कोनो व्यक्ति गरीबक
संकेतमे कपड़ा पहिरने सुतल अछि। कनीक देर तक सुतलाक बाद भोर
होबऽके संकेत भेटिते ओ व्यक्ति उठैत
अछि। उठलाक बाद अपना झोरासँ एकटा दारुक बोतल निकालि कऽ कुल्ला-आजा करैत अछि। कुल्ला-आजाक
पश्चात अपना आगाँमे एकटा दारुक बोतल राखि कऽ अपना झोरा सँ दुऽटा अगरबत्ती, फुल-चानन निकालि कऽ पुजा-आजा करैत अछि जइ पूजामे आरती-बन्दना नेपथ्यसँ शुरु होइत अछि।
(नेपथ्यसँ) हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(कोरस)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(नेपथ्यसँ) हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(कोरस)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(नेपथ्यसँ)–हमरा सगुने आ सन्तरा मैगडल लगैय
(कोरस)–हमरा सगुने आ सन्तरा मैगडल लगैय
(नेपथ्यसँ)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(कोरस)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(नेपथ्यसँ)–जुरैय दुधिया तँ नै चाहि भरजीन
(कोरस)–जुरैय दुधिया तँ नै चाहि भरजीन
(नेपथ्यसँ)–दोसर जकाँ नै चाहि मैगडल जीन
(कोरस)–दोसर जकाँ नै चाहि मैगडल जीन
(नेपथ्यसँ)–हमरा जीवनक रक्षा करऽबला
(कोरस) हमरा जीवनक रक्षा करऽबला
(नेपथ्यसँ)–हमरा दुधिएक बोतल भगवान लगैय
(कोरस) जय होकककककक
(नेपथ्यसँ)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
आरतीक पश्चात पूजा कएने दारुक बोतलकेँ प्रसाद मानिन कऽ ग्रहण करैत अछि। पी लेलाक बाद..
(कोरस)–हमरा सगुने आ सन्तरा मैगडल लगैय
(नेपथ्यसँ)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(कोरस)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(नेपथ्यसँ)–जुरैय दुधिया तँ नै चाहि भरजीन
(कोरस)–जुरैय दुधिया तँ नै चाहि भरजीन
(नेपथ्यसँ)–दोसर जकाँ नै चाहि मैगडल जीन
(कोरस)–दोसर जकाँ नै चाहि मैगडल जीन
(नेपथ्यसँ)–हमरा जीवनक रक्षा करऽबला
(कोरस) हमरा जीवनक रक्षा करऽबला
(नेपथ्यसँ)–हमरा दुधिएक बोतल भगवान लगैय
(कोरस) जय होकककककक
(नेपथ्यसँ)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
आरतीक पश्चात पूजा कएने दारुक बोतलकेँ प्रसाद मानिन कऽ ग्रहण करैत अछि। पी लेलाक बाद..
व्यक्ति ः–(शीसी फेकैत) साले, दुइए घोटमे खतम भऽ गेलै।
नेपथ्यसँः–(हँसैत) चालनि दुसलक सुपकेँ जकरा ७२ गो छेद।
व्यक्ति ः–(मुँह दुसि कऽ हँसैत) बाप जन्ममे नै छै कहियो हँसने, वै कुता, हँसि ले कि बाजि ले। (डेराइत) वै, तोँ के छेँ रे?
नेपथ्यसँः–(गंभीर स्वरमे) हम छी दारु महराज।
व्यक्तिः–(सोचैत) दारु महराज, कोन देशक राजा?
नेपथ्यसँ: राजा नै रे मूर्ख। तोहर दुश्मन ।
व्यक्ति: हमर दुश्मन? हमर दुश्मन तँ केउ भइए नै सकैए।
नेपथ्यसँ: संसारमे एहन कोनो व्यक्ति नै जकर दुश्मन नै छै।
व्यक्ति: मुदा हमर दुश्मन? असम्भव।
नेपथ्यसँ:–हम छियौ ने।
व्यक्तिः–(डेराइत) तोँ के छेँ?
नेपथ्यसँ: हम वएह छी जे तोरा सन–सनकेँ खोजैत रहै छै।
व्यक्ति: (भगैत) पु–पु–पु–पु–पुलिस–पुलिस–पुलिस।
नेपथ्यसँ: रुक, पुलिस नै, दारुऽऽ।
व्यक्ति: (हँसैत) दाऽऽरु। तखन तँ ताें हमर दोस भेले दोस।
नेपथ्यसँ:–(जोरसँ) किन्नौ नै। दोस्त रहितियौ तँ हमरा पीलाक बाद हमर शीसीकेँ गारि पढ़ि कऽ नै फेकितेँ।
व्यक्ति: दु तोरी के, वोतबा टा कऽ बात ला।
नेपथ्यसँ:–बात कहुँ छोट भेलैए। बिना इरखा के मनुष्य की, बिना बिख के साँप की?
व्यक्ति: वै, तँ तोँ हमरापर पिताइए कऽ कथी कऽ लेबे?
नेपथ्यसँ: कऽ लेबौ नै कऽ देलियौ।
व्यक्ति: (सोचैत) कऽ लेबौ नै कऽ देलियौ, वै कुता, कथी रे?
नेपथ्यसँ: भिखमंगा (हँसैत) भिखमंगा, भिखमंगा।
व्यक्ति: (कटहसीसँ) भिखमंगा ओहूमे हमरा? तों पागल छेँ, बुझि गेलियौ, नामलोली।
नेपथ्यसँ: सोच, कनीका गंभीरसँ सोच।
व्यक्ति: हटा सोच फोच, हमरासँ बेशी काबिल के छै एतऽ?
नेपथ्यसँ: काबिल नै, तोँ मुर्ख छेँ, माहामुर्ख ।
व्यक्ति:–(गंभीरसँ दारु पिबैत) हम मुर्ख नै छी।
नेपथ्यसँ: मुर्खक लक्षण तँ ताें अखनो देखा देलहीं जे कनीके टा के सोचऽ बला बातमे तोँ हमरा पिबऽ लगले, रे बुद्घि के मारल, हमरा पिलासँ हम ककरो समस्याक सामाधान नै कऽ दै छिऐ।
व्यक्ति:–टेढबात नै बाज, जे कहऽ के छौ सोझसँ बाज। तोरा सन-सनकेँ अखनो दुटाकेँ देखबउ, बुझलिही की? (छाती ठोकैत मुँहे भरे खसैत)
नेपथ्यसँ:–(हँसैत) देखतै हमरा सन-सनकेँ आ गिरलैए मुँहेभरे।
व्यक्ति: (गंभीरसँ) गिरलियैए नै, डान्स कैलीयैए, बुझलही कि।
नेपथ्यसँ:–डान्स की करबे, दैव के कपार, भिखमंगा कहीं के।
व्यक्ति: (गंभीर भऽ कऽ) हम भिखमंगा कोना कऽ छी?
नेपथ्यसँ:–कोना नै छेँ, रे रहऽ बला घर-घरारी सभ बिका देलियौ। तोहर खनदानकेँ उकटा देलियौ, प्रतिष्ठाक नास कऽ देलियौ, छोट–छोट भाइ सभसँ पिटबौलियौ। तोरा हम सड़कपर आनि देलियौ। (हँसैत) सड़क छाप।
नेपथ्यसँ गीत– आब हम जिनगीमेऽऽऽऽ
दारुकेँ कहियो हाऽऽथ नै लगाएब-–२
घर बिका गेल घरारी बिका गेल, समाजमे प्रतिष्ठा
सर कुटुम दोस्त महिम सँ खतम भेल घनिष्ठा
आब हम जिनगीमे दारुकेँ कहियो ....
नै लगाएब ४
व्यक्ति: (गंभीर भऽ कऽ) हम भिखमंगा, मुर्ख, चपाट छली, मुदा आब नै। ठीक कहलेहँ तोँ, तोरे कारण हमर घर-घराड़ी सभ तहस-नहस भऽ गेल। तोरा सन-सन नुका कऽ कऽ रहल समाजक बरबादीकेँ आब हम चिन्ह लेलौं। तोरा नै पिबऽ के लेल हमरा के नै समझौलक, सर–कुटुम, माय-बाप, भाइ-बहिन, समाज। सभकेँ सभ हमरा समझबैत–समझबैत थाकि गेल मुदा हम अपन थुथरइ नै छोड़लौं। तोहर बातसँ आइ हमर आँखि खुलि गेल। किए? किए तोँ समाजमे रहै छेँ? (चिचिआइत, छाती ठोकि कऽ कनैत) कतेककेँ विधवा आ कतेककेँ बविलटुवा बना देलहीं तोँ। मुदा आब नै। आइ तोरा हम खोजि कऽ समाजेसँ हटा देबौ।
नेपथ्यसँ:–(खुब हँसैत) हम तोरा नै भेटबउ।
व्यक्ति: हम तोरा खोजि कऽ रहबौ।
नेपथ्यसँ:–(व्यंगसँ) हम तोरा नै भेटबउ।
व्यक्ति: देखै छियौ ताें कोना नै भेटै छेँ।
नेपथ्यसँ:–(व्यंगसँ) बच्चा, हम तोरा नै, नै भेटबउ।
(व्यक्ति चारु दिस खोजै छथि, खोजलाक बाद अपन कमीज फाड़ै छथि। वएह व्यक्तिक पुरा देहमे रंग बिरंगक दारु बान्हल रहै छै। जनौ मे सेहो २-४टा दारु बान्हल रहै छै, फेर ओ फटलका फुलपेन्ट सेहो निकालै छथि। हुनका जांघ आ छाबामे सेहो दारुक बोतल सभ बान्हल रहै छै। ओ सभटा दारुक शीसीकेँ ओही ठाम फोड़ै छथि। तखन नेपथ्यसँ खुब कानऽ के, चिचिआइके आ छटपटाइके अवाज अबै छै। व्यक्ति शीसी फोड़ैत फ्रिज…..)
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