Wednesday, August 24, 2011

प्रकाश चन्द्र प्रयोग एकांकीक रंगमंचीय प्रयोग

प्रकाश चन्द्र
प्रयोग एकांकीक रंगमंचीय प्रयोग


फरवरी 2010के 14 तारिख क’ दरभंगाक ललितनारायण मिथिला विश्वविद्यालयक नाटक एवं संगीत विभागक प्रेक्षागृहमे सांझक 4 बजे स’ आयोजित छल प्रबोध साहित्य सम्मान – 2010 । एहि आयोजनमे स्वस्ति फाउण्डेशन द्वारा कुणाल जीक निर्देशनमे नचिकेता जीक लिखल प्रयोग एकांकीक मंचन सेहो राखल गेल छलैक । संयोग स’ हमहू मधुबनीमे रही तेँ एहि सूअवसर केँ लाभ उठयबाक हेतु एहि आयोजनमे उपस्थित भेनाइ जरूरी लागल । एक संग कतेको लाभ छल । एहि स’ पहिने सेहो कुणालजी प्रयोग के मंचित क’ चुकल छ्लाह । ई हुनकर दोसर प्रस्तुति छल, तेँ कनि आरो महत्वपूर्ण । कहल जाइत अछि जे कोनो नाटक बेर बेर मंचित भेलाक बाद आरो निखरैत अछि संगहि ओ अपन कथ्य आ मंचनमे परिपक्वता सेहो ग्रहण करैत अछि ।

सात बजे साँझमे प्रयोग एकांकीक मंचन शुरू भेल । लगभग 45 मिनटक एहि एकांकीक शुरुआत अन्हार स’ छल जाहिमे कोनो महिलाक आवाजमे काव्य पाठ भ’ रहल छल । धीरे धीरे प्रकाश अबैत अछि आ मंचपर एकटा लकड़ीक गेट देखाइत छै । नाटककार एकरा फ्रेम कहलथि अछि मुदा मंचपर हमरा ई गेटक अनुभूति देलक । ई गेट कनी उँचाई ग्रहण केने अछि आ ओहि तक पहुँचबाक लेल तीन-चारिटा स्टेप बनल अछि जाहि स’ ई कोनो कोठरीक प्रेवेश द्वार प्रतीत होएत छैक । मुदा, नाटककार एहि स्टेपके सीढ़ी कहने छथि । आब ई कहनाइ कनी कठिन अछि जे नाटककार नचिकेता जीक सीढ़ी आ निर्देशक कुणाल जीक ई स्टेपमे कतेक समानता छनि । मुदा नाटककारक फ्रेम आ निर्देशकक गेट त’ जरूरे भिन्न अछि । नाटकक अनुसारे सीढ़ी आ फ्रेममे कोनो संबंध नहि देखाओल गेल अछि । मुदा, एहि ठाम स्टेप आ फ्रेमके एना संयोजित कयल गेल अछि जे ई कोनो कोठरीक प्रवेश द्वार बुझना जाइत छैक । एही स्टेपपर ठाढ़ रहैत छथि नाटकक मुख्य कलाकार नवीन मिश्र । मंचक बामा कात (दर्शक दिस स’) एकटा कुर्सी अछि जे दर्शक दिस पीठ क’ क’ राखल रहैछ । संगहि एकटा बक्सा सेहो एकर बगलमे राखल गेल अछि । हाँ, नाटकक अनुसार ई लकड़ीक अछि आ उलटा राखल गेल अछि मुदा एखन मंचपर ई चदराक आ ओहिना राखल अछि जेना कोनो ब्लॉक राखल जाइत अछि । दाहिना कात (दर्शक दिस स’) एकटा गाछक किछु डारि देखार परैत अछि । कुर्सीक बेसी उपयोग अमृत करैत छथि आ गाछक डारिक तरमे प्राय: नाटकक एक मात्र महिला पात्र श्रुति रहैत छथि । बस । हाँ ! ई कहि दी जे ई मंच विन्यास एहि नाटकक निर्देशक कुणाल जीक मानल जेबाक चाही । कारण, प्रयोग नाटकमे एकर लेखक नचिकेताजी स्वयं मंच विन्यासक निर्देश देने छथि, जकरा थोड़ बहुत बदलल गेल अछि ।

आजुक एहि मंचनक लेल तैयार मंच विन्यास कनि कंफ्यूज करैत अछि । कुर्सी आ बक्सा स’ लगैत अछि जे ई कोनो नाट्य संस्थाक पूर्वाभ्यासक कक्ष अछि मुदा गाछक डारि आ गेटक आगू बनाओल गेल स्टेप स’ लगैत अछि जे ई कोनो कोठरीक आगूक भाग थिक । तेँ एहि तरहक मंच विन्यासपर गंभीरता स’ विचार करबाक आवश्यकता छल नाटकक कथ्यके स्थापित करबाक लेल ।

आब नाटकमे अभिनेताक वस्त्र विन्यास दिस सेहो ध्यान देल जाय । मुख्य अभिनेता नवीन मिश्रकेँ निर्देशक रूपमे टोपी, सीटी, कुर्ता, पेंट आ पैरमे जूता ठीक अछि मुदा बाकी दुनू पात्र खाली पैरे छथि से कियेक ? पैरक पहिरनमे भिन्नता भ’ सकैत अछि मुदा कियो पहिरने आ कियो खाली पैरे कनि त्रुटि पूर्ण लगैत अछि । श्रुतिके सेहो साड़ी स’ बेसी नीक हुनका सलबार फ्राक होइतनि जाहि स’ ओ अभिनय करबा काल मूवमेंट करबामे फ्री महसूस करितथि । नाटकमे सेहो ई नहि पता चलैत अछि जे श्रुति विवाहल छथि वा कुमारि । एहना स्थितिमे हुनका कुमारि मानल जेबाक चाही छल । हुनका कांख तर लटकल पर्स नीक अनुभूत दैत अछि । मुदा प्रियंका नीक जेना अपन अभिनयमे पर्सक उपयोग नहि क’ सकलीह । अमृतक ड्रेस सेहो कोनो बेसी आकर्षक नहि मानल जयबाक चाही । कारण, मंच पर कतेको तरहक प्रकाश अबैत जाएत रहैत छै आ तेँ प्राय: कारी आ उज्जर रंगक उपयोग कोनो विशेषे परिस्थितिमे करबाक चाही । एहि ठाम अमृत नामक कलाकार कारी पेंट आ उज्जर शर्ट पहिरने छथि । कारी पेंट होबाक कारण अमृत जखन ओहि स्टेपपर बैसैत छथि कि स्टेप पर परल सभटा गर्दा हुनका पेंटमे लागि जाइत छनि जे नीक नहि लगैत अछि । हाँ ! एहन स्थितिक जँ माँग करैत अछि नाटकक कथ्य तखन त’ नीक, मुदा प्रयोगक संदर्भमे ई कहनाइ उचित नहि होयत । एहि तरहें मात्र नवीन मिश्र जीक वस्त्र सज्जा नाटकक तदनुरूप मानल जायत ।

एहि प्रस्तुतिमे प्रकाश व्यवस्थाके नीक मानल जयबाक चाही । प्रकाश परिकल्पना चन्द्रभूषण झाक छनि आ संचालनो स्वयं क’रहल छथि । नाटकक शुरुआत अन्हारमे होइत अछि आ धीरे धीरे प्रकाश नवीन मिश्रपर परैत छनि । एहि प्रेक्षागृहमे कोनो तरहक सूनियोजित प्रकाश व्यवस्था नहि अछि, तैयो प्रकाशक एतेक विभिन्न सेड उत्पन्न केनाई प्रशंसनीय अछि । हाँ ! कलाकार आ प्रकाशपुँज दुनूक बीच तदात्मक अभाव देखाइत अछि । कखनो कखनो कलाकार प्रकाश स’ दूर भ’ जाइत छथि त’ कखनो कखनो प्रकाश कनि देरी स’ प्रकट होइत अछि । मंच छोट हेबाक कारण प्रकाश बिम्बमे ऑभरलेपिंग भेनाइ निश्चित छल से भेबे कयल । अंतिम दृश्यक प्रकाश संयोजन अति सुन्दर बनल अछि । एहि दृश्यमे नाटकक कथ्यक अनुसार दृश्य आ ओकरा उभारैत प्रकाश संयोजन जबरदस्त बनल अछि ।

अभिनेताक मुख्य सज्जा पूर्ण रूपेण यथार्थवादी राखल गेल छैक । कोनो तरहक बदलाव नहि । नाटकक अनुरूपे ई बेसी नीक । मेक-अप मात्र मंचक अनुसार कयल गेल अछि ।

मिथिलाक कोनो एहन प्रेक्षागृह नहि अछि जाहिमे ध्वनि व्यवस्था रंगमंचक अनुरूप हो । मिथिले कियेक बिहारमे आरा स्थित रेनेशांक प्रेक्षागृह छोड़ि कोनो प्रेक्षागृह एहन नहि अछि । तेँ सभ प्रस्तुतिकर्ताके स्वयं ध्वनि व्यवस्था क’र’ पड़ैत छनि । एहू ठाम एहने व्यवस्था छल । मुदा, मंच पर ततेक नीक जेना माइक संयोजन कयल गेल जे अभिनेता कोनो कोन स’ बजथि हुनकर आवाज सम्पूर्ण प्रेक्षागृहमे नीक जेना सुनाइ पड़ैत छलनि ।

नाटकमे संगीत सेहो पर्याप्त राखल गेल अछि ओहो पहिने स’ रिकार्डिंगके रूपमे । संगीतक संयोजन सीताराम सिंह जीक छन्हि । संगीतक संग अनेको तरह ध्वनिक प्रयोग सेहो कयल गेल अछि । संगीत प्राय: सभटा अत्याधुनिक अछि । ओना नाटकमे एहि तरहक संगीतक प्रयोग निर्देशकक अप्पन छनि । ई संगीत नाटकके प्रभावी बनेबामे सहयोग करैत अछि । संगीत संचालन संजीव पांडेक’ रहल छलाह, मुदा संगीतक संचालन कनी आर पूर्वाभ्यास माँगैत अछि ।

प्रयोग एकांकीक मुख्य अभिनेता छथि नवीन मिश्र । एहि पात्रके कुमार गगन जीव रहल छथि । कुमार गगन बहुत साल स’ मैथिली रंगमंच पर छथि । शुरूए स’ भंगिमा, पटना स’ जुड़ल छथि । कुणाल जीक निर्देशनमे कतेको नाटकमे अभिनय क’ चुकलाह अछि आ कुणालजी द्वारा पहिल बेर निर्देशित प्रयोग नाटकमे सेहो गगनजी एहि भूमिकाके क’ चुकल छथि । एहि प्रस्तुतिमे गगनजी नवीन जीक रूपमे अपन सोलो लॉगी संग अबैत छथि । मुदा पूराके पूरा वक्तव्यमे कोनो विशेष आकर्षण नहि छोड़ि पबैत छथि । मंचपर नवीन मिश्र कम आ गगनजी बेसी देखाइत छथि । सम्पूर्ण प्रस्तुतिक अंत तक जाइत जाइत गगनजी एकटा पारसी रंगमंचक कलाकारक रूपमे अपन प्रभाव बना पबैत छथि । संवादक बीच उतार चढ़ाव, शब्दक संप्रेषण स्वाभाविक नहि बनि परल अछि । संगहि हिनकर मंच पर गति आ बैसबाक स्थान सेहो उचित नहि । कियेक त’ जखन जखन ई मंचपर अपन अभिनेताके आदेश दैत छथि प्रयोग करबाक लेल आ पाछू जा क’ बैसैत छथि त’ श्रुति स’ झँपा जाइत छथि तेँ प्रेक्षक हिनकर अभिव्यक्ति देखबा स’ बंचित रहि जाइत छथि । अपन दुनू अभिनेताके प्रयोग करबाक आदेश देलाक बाद कखनोक’ हुनका दुनू के अपन दुनू हाथस’ एकटा फ्रेम बनाक’ देखनाइ अत्यंत अनर्गल मुद्रा मानल जायत । कारण, ई नवीन मिश्र एकटा नाटक मंडलीक निर्देशक छथि नै कि कोनो फिल्म कम्पनीक निर्देशक । गगनजी मैथिली रंगमंचक वरीष्ठ अभिनेता छथि आ अनुभवी सेहो तेँ हिनका स’अपेक्षो हमरा सभकेँ कनी बेसी अछि । कनी आरो पूर्वाभ्यास आ विमर्श कयल गेल रहितै त’ बेसी नीक परिणाम अबैत ।

श्रुति नामक भूमिका निभेनिहारि प्रियंका सेहो आब मैथिली रंगमंचक परिचित अभिनेत्री भ’ चुकल छथि । प्रियंका नीक अभिनेत्री छथि तकर प्रमाण ओ पिछला कतेको प्रस्तुतिमे द’ चुकल छथि । इहो भंगिमा, पटना स’ जूड़ल छथि आ वरीष्ठ रंग निर्देशक कुणाल जीक संग कतेको नाटक केलीह अछि । एहि प्रयोग प्रस्तुतिमे हिनकर आत्मविश्वास अति प्रसंसनीय अछि । मंचपर हिनकर गति आ अपन स्थानक लेल सचेतताक संग दर्शक आ अपन सहयोगी अभिनेताक बीच आँखिक मिलान (आइ कंटेक्ट) नीक प्रभाव देलक अछि । मुदा प्रियंकाके सेहो अपन मुखाभिनय (फेस एक्टिंग) पर कनी आरो काज क’र’ पड़तनि । एहि नाटकमे हिनका द्वारा कयल गेल संवाद अदायगी खासक’ जे कविताक अंश अछि ओहिमे दू शब्दक बीच काफी समय लेल गेल अछि जकरा निर्देशकके कनि कम क’र’ पड़तनि । ई कहबामे कनियो संदेह नहि जे एहि तीनू अभिनेतामे प्रियंका सब स’ बेसी प्रभाव छोड़लीह अपन अभिनयमे ।

अमृत नामक पात्रके अभिनय क’ रहल छलाह आशुतोष अनभिज्ञ । आशुतोष मैथिली रंगमंच स’ अनभिज्ञ नहि छथि । मुदा, अभिनय दृष्टिए हिनका अखन काफी मेहनत करबाक आवश्यकता छनि । हिनक कोनो अभिव्यक्ति पात्रक अनुरूप नहि छनि । हिनका पर प्रियंका काफी भारी परि रहल छथि । हिनकर अभिनयमे एखन हेजिटेशन बहुत अधिक छनि ।

प्रस्तुतिक अति महत्वपूर्ण अंग थिक मंच । एहि प्रेक्षागृहक मंच कोनो कोण स’ एहि नाटकक अनुरूप नहि अछि । अभिनेता, मंच संयोजन, प्रकाश संयोजन, ध्वनि संयोजन, प्रेक्षकक बैसबाक स्थिति आदि सभमे समझौता क’र’ पड़ल अछिसे ओहिना देखार होइत छै ।

प्रेक्षागृहमे दर्शक अति प्रबुद्ध वर्गक छलाह । मुदा, नाटक देखबाक लेल जे अनुशासन दर्शकमे होबाक चाहियनि से अत्यंत कम छल । बिना मतलबे थोपड़ी पीटब, मोबाइल मौन करब त’ दूर, बीच नाटकमे मोबाइल पर गप्प करब, नाटकक ऑनलाइन समीक्षा देब, बीच बीचमे जोर स’ आपसी गप्प क’ लेब, बीच बीचमे उठिक’ बाहर भीतर करब आदि कार्यकलाप स’ बंचित नहि छल प्रेक्षागृह । एहि कारण नीक प्रेक्षक के अत्यंत परेशानी भेल हेतनि एहन कठिन नाटकके देखबामे से निश्चित । हमर दर्शक वर्ग के ई बूझक चाहियनि जे नाटकक दर्शक भेनाई कोनो दोसर विधाक दर्शक स’ अत्यंत फराक होइत अछि ।

हम प्रयोग पढ़ने छी । एक बेर नहि कतेको बेर । एहि पर हमर आलेख “प्रयोग एकांकीक रंगमंचीय दृष्टि” सेहो प्रकाशित अछि विदेह ई पत्रिकाक अंक 51 (01 फरवरी 2010 ; पृष्ट सं. 112)मे । तेँ हमरा एकर मंचन देखब अति महत्वपूर्ण छल । मुदा पढ़लाक बाद जे कोनो बिम्ब हमरा दिमागमे उचरैत अछि एहि प्रस्तुतिके ल’क’ तकर लगभग पच्चीस प्रतिशत मात्र एहि प्रस्तुतिमे हमरा भेटल । एहि प्रस्तुतिक अंतिम दृश्यक अंतिम भाग नीक परिकल्पित भेल अछि जे बेर बेर हमरा दिमागमे आबि जाइत अछि । कुणालजी हमर सभहक श्रेष्ठ निर्देशक छथि । सीतायन, कुसमा सलहेस, पारिजात हरण आदि प्रस्तुति हुनकर नाम लैत देरी मोनमे घुमर’ लगैत अछि । हुनका स’ हमरा सभके हरदम किछु विशेषक अपेक्षा अछि । संगहि ओ अपन प्रस्तुतिमे नव नव प्रयोगक लेल विख्यात सेहो छथि । हुनक एहि प्रस्तुतिमे पूर्वाभ्यासक अभाव नीक जेना खटकैत छल आ कोनो तरहक निर्देशकीय कुशलताक प्रयोग सेहो नहि देखायल । आदरणीय कुणालजी आजुक समयमे हम सभ रंगकर्मीक लेल पथ प्रदर्शक व्यक्तित्व छथि आब हुनका स’ एहन अपरिपक्व प्रोजेक्टक आशा नहि अछि ।
- प्रकाश चन्द्र ; नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ; भगवान दास रोड, नई दिल्ली – 110001
(साभार विदेह)

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