Wednesday, August 24, 2011

विभा रानी

विभा रानी

(लेखक- एक्टर- सामाजिक कार्यकर्ता)

बहुआयामी प्रतिभाक धनी विभा रानी राष्ट्रीय स्तरक हिन्दी व मैथिलीक लेखिका, अनुवादक, थिएटर एक्टर, पत्रकार छथि, जिनक दर्ज़न भरि से बेसी किताब प्रकाशित छन्हि आ कएकटा रचना हिन्दी आ र्मैथिलीक कएकटा किताबमे संकलित छन्हि। मैथिली के 3 साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखकक 4 गोट किताब "कन्यादान" (हरिमोहन झा), "राजा पोखरे में कितनी मछलियां" (प्रभास कुमार चाऊधरी), "बिल टेलर की डायरी" व "पटाक्षेप" (लिली रे) हिन्दीमे अनूदित छन्हि। समकालीन विषय, फ़िल्म, महिला व बाल विषय पर गंभीर लेखन हिनक प्रकृति छन्हि। रेडियोक स्वीकृत आवाज़क संग ई फ़िल्म्स डिविजन लेल डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म, टीवी चैनल्स लेल सीरियल्स लिखल व वॉयस ओवरक काज केलन्हि। मिथिलाक 'लोक' पर गहराई स काज करैत 2 गोट लोककथाक पुस्तक "मिथिला की लोक कथाएं" व "गोनू झा के किस्से" के प्रकाशनक संगहि संग मिथिलाक रीति-रिवाज, लोक गीत, खान-पान आदिक वृहत खज़ाना हिनका लग अछि। हिन्दीमे हिनक 2 गोट कथा संग्रह "बन्द कमरे का कोरस" व "चल खुसरो घर आपने" तथा मैथिली में एक गोट कथा संग्रह "खोह स' निकसइत" छन्हि। हिनक लिखल नाटक 'दूसरा आदमी, दूसरी औरत' राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली के अन्तर्राष्ट्रीय नाट्य समारोह भारंगममे प्रस्तुत कएल जा चुकल अछि। नाटक 'पीर पराई'क मंचन, 'विवेचना', जबलपुर द्वारा देश भरमे भ रहल अछि। अन्य नाटक 'ऐ प्रिये तेरे लिए' के मंचन मुंबई व 'लाइफ़ इज नॉट अ ड्रीम' के मंचन फ़िनलैंडमे भेलाक बाद मुंबई, रायपुरमे कएल गेल अछि। 'आओ तनिक प्रेम करें' के 'मोहन राकेश सम्मान' से सम्मानित तथा मंचन श्रीराम सेंटर, नई दिल्लीमे कएल गेल। "अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो" सेहो 'मोहन राकेश सम्मान' से सम्मानित अछि। दुनु नाटक पुस्तक रूप में प्रकाशित सेहो अछि। मैथिलीमे लिखल नाटक "भाग रौ" आ "मदद करू संतोषी माता" अछि। हिनक नव मैथिली नाटक –अछि बलचन्दा।
विभा 'दुलारीबाई', 'सावधान पुरुरवा', 'पोस्टर', 'कसाईबाड़ा', सनक नाटक के संग-संग फ़िल्म 'धधक' व टेली -फ़िल्म 'चिट्ठी'मे अभिनय केलन्हि अछि। नाटक 'मि. जिन्ना' व 'लाइफ़ इज नॉट अ ड्रीम' (एकपात्रीय नाटक) हिनक टटका प्रस्तुति छन्हि।
'एक बेहतर विश्र्व-- कल के लिए' के परिकल्पनाक संगे विभा 'अवितोको' नामक बहुउद्देश्यीय संस्था संग जुड़ल छथि, जिनक अटूट विश्र्वास 'थिएटर व आर्ट-- सभी के लिए' पर अछि। 'रंग जीवन' के दर्शनक साथ कला, रंगमंच, साहित्य व संस्कृति के माध्यम से समाज के 'विशेष' वर्ग, यथा, जेल- बन्दी, वृद्ध्राश्रम, अनाथालय, 'विशेष' बच्चा सभके बालगृहक संगहि संग समाजक मुख्य धाराल लोकक बीच सार्थक हस्तक्षेप करैत छथि। एतय हिनकर नियमित रूप से थिएटर व आर्ट वर्कशॉप चलति छन्हि। अहि सभक अतिरिक्त कॉर्पोरेट जगत सहित आम जीवनक सभटा लोक आओर लेल कला व रंगमंचक माध्यम से विविध विकासात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम सेहो आयोजित करैत छथि।(साभार विदेह)

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