Wednesday, August 24, 2011

ज्योति सुनीत चौधरी एकांकी केसर

एकांकी
केसर
पात्र
सूत्रधार वा पार्श्वध्वनि- (ई महिला वा पुरुख कोनो स्वर भऽ सकैए, महिला स्वर रहए तँ बेशी नीक)
पुरुष पात्र:
पिता
महिला पात्र :
कैश (माने केसर)
वृद्धा
विदेशी मूलक सैम्युएला माने सैम
नवयुवती ग्राहक


(घरक दृश्य, दूटा कुर्सी लगेलासँ सेहो काज चलि जाएत। पार्श्वसँ रेडियो वा टी.वी.क अबाज सन अबाज कऽ दियौ वा दू चारिटा बासन ढनमना दियौ तँ सेहो ठीक रहत।)

पार्श्वध्वनि::  केसर एक मध्यम वर्गीय परिवारक उच्च महत्वाकांक्षी। ओइ हजारक हजार प्रवासी भारतीय किशोरीमे सँ एक छथि जे बड्ड अभिलाषासँ सीमा टपै छथि। खाली देशक नै वरन भारतीय हिन्दू वैवाहिक संस्थाक नामपर जे हुनका सभकेँ सामाजिक बन्धन रूपी पिछड़ापन लागै छनि, तइ मानसिकताक सेहो। बहुत प्रतीक्षाक बाद स्टुडेण्ट (विद्यार्थी) वीसा आ स्कॉलरशिप भेटलनि। माता-पिता जखन अपन चिन्ता व्यक्त करै छलखिन, जखन ओ सभ अपन परामर्श दैत रहै छलखिन, तखन केसर अपन स्वप्नक उड़ान भरैत रहै छली।
पिता: भारतमे एकसँ बढ़ि कऽ एक संस्थान छै, तखन विदेश लेल अतेक किए मोन लागल अछि? भारतक पढ़ल लोक सभकेँ विदेशी कम्पनी सभ प्राथमिकतासँ बहाली करै छै, सेहो चिक्कन वेतन संगे। तखन अहॉंकेँ विदेशमे पढ़ै लेल एतेक किए मोन लागल अछि?
कैश: हम जइ विषयमे शोध करब तकर बढ़िया संस्थान विदेशेमे छै आ जखन हमरा खर्चा भेटि रहल अछि तखन अहॉं सभकेँ कोन परेशानी अछि?
माँ: मात्र खर्चे महत्वपूर्ण नै छै। अतेक दूर आन देशमे असगर कोना रहबें?
कैश: अरे मॉं, सभ साल कतेको विद्यार्थी बाहर जाइ छै। बहुत भागसँ एहेन अवसर भेटै छै। हम ऐ अवसरकेँ बेकार नै होमए देब।
माँ: तोहर तुरिया सभक बियाहो भऽ गेलौ। कतेकोकेँ बच्चो भऽ गेलै।
कैश:  अरे मॉं, यएह तँ अहॉं सभ नै बूझि रहल छिऐ। हम अपन जिन्दगी खेनाइ, पकेनाइ, पति, सासु-ससुरक सेवा, बच्चा पोसनाइ ऐ सभमे नै व्यर्थ करए चाहै छी। हमरा आर्थिक रूपसँ स्वाबलम्बन चाही। हम अपन अस्तित्व बनाबए चाहै छी।
(पुनश्च पार्श्वध्वनि शुरू हएत। एकर उपयोग माँ आ पिताजीक प्रस्थानसँ कऽ सकै छी। माँ-पिताजीक पार्ट खेलनिहार कुर्सी सहित प्रस्थान करथु।)
पार्श्वध्वनि: बेटीक ऐ महत्वाकांक्षाक सोझाँ माता पिता नतमस्तक भऽ गेला। अन्ततः विदेशक एक महाविद्यालयमे  शोधकार्य लेल नामांकन भऽ गेलनि। एकटा सम्बन्धी सेहो रहनि ओइ ठाम जे आग्रह केने रहनि पेइंग गेस्ट बनि कऽ रहै लेल। मुदा हिनका अपन स्वाधीनता बेसी प्रिय छलनि जे ओइ सम्बन्धियोकेँ बेसी सुविधाजनक लगलै शाइत। केसरसँ कैश तँ ओ भारतेमे भऽ गेल छलथि, एतौ मानसिक रूपसँ पूर्णतः पढ़ाइपर ध्यान दै लेल एक डिपार्टमेण्टल स्टोरक काउण्टरपर पार्ट टाइम कैशियरक काज पकड़ने छलथि। विद्यालयसँ भागैत-भागैत काज लेल पहुँचैत छलीह। रस्तामे सभ दिन एकटा वृद्धा भेटैत छलखिन। कनी वार्तालाप सेहो भऽ जाइन।
(मंच खाली। कैश आ वृद्धाक प्रवेश।)

कैश:  नमस्कार, केहेन छी?
वृद्धा:बढ़िया। धन्यवाद, अहॉं अपन कहू।
कैश: हमहूँ ठीक छी। धन्यवाद। अहॉंकेँ बहुत दिनसँ देखैत छी, अहॉं असगर घुमैत रहैत छी। परिवार कतए अछि?
वृद्धा:पतिक देहान्त भऽ गेल अछि आ बॉंकी परिवारमे बेटा, पुतहु, बेटी, जमाय, नाती, पोता सभ अछि। सभ अपन-अपन घरमे रहैत अछि।
कैश: कतेक दुःखक बात छै जे अहॉंकेँ असगर रहए पड़ैत अछि।
वृद्धा:नै, ई हमर अपन निर्णय अछि। जहिना हुनका सभकेँ अपन निजी जिन्दगीक गोपनीयता पसन्द छनि तहिना हमरा अपन स्वाधीनता पसन्द अछि। फेर जरूरत पड़लापर सभ एक दोसरकेँ देखिते छिऐ।
(केसर अपनेसँ आब बजतीह, तइ बीच बूढ़ीक प्रस्थान हएत। एकटा दोकानक दृश्य आओत, मॉल सन चहल-पहल। नै हुअए तँ पर्दापर एहन चित्र बना कऽ वा प्रोजेक्टर द्वारा ई प्रभाव उत्पन्न कऽ सकै छी। पार्श्वध्वनिसँ दोकानक दृश्य सेहो उत्पन्न भऽ सकैत अछि, दोकानक काउन्टर एकटा टेबुल राखि बनाओल जा सकैए जे विदेशी मूलक सैम्युएला वा सैम लऽ आबि सकै छथि, संगमे दूटा बार-कोड स्कैनर/ रीडर सेहो चाही। नै हुअए तँ दूटा कारी लोहाक छोट रौडसँ काज चलाउ। स्कैन करबाक स्वांग करू आ पार्श्वसँ क्लिक-क्लिकक ध्वनि करू।)
केसर (स्वगत): हमर नानी-दादी सभ तँ अपन समस्त जिनगी परिवारक नामे कऽ देने छली। परिवारक पसिन्नक खेनाइ पकौनाइ, परिवार लेल पूजापाठ, बच्चा सभक ध्यान राखनाइ, आजीवन परिवार लेल खटैत रहनाइ, यएह सभ हुनकर जिनगी छलनि। हुनका सभकेँ तँ अपन स्वतंत्रता एतेक प्रिय नै छलनि। मुदा हुनकर सबहक ऐ गुण लेल सभ हुनकासँ एतेक स्नेह करैत छलनि।
(दोकानक काउण्टर पर पहुँचैत देरी केसर अपन काज पूरा तत्परतासँ करए लगली आ संगमे अपन सहकर्मी विदेशी मूलक सैम्युएलासँ बात सेहो करैत छली।)
कैश:  नमस्कार सैम, केहेन छी ?
(कैश ई पूछि बार-कोड रीडरसँ समान स्कैन करए लगली।)
सैम: बहुत नीक कैश, हमर बच्चाकेँ नर्सरीमे मंगनीमे जगह भेट गेल।
(तखने एकटा नवयुवती ग्राहक अबै छथि। कैशक ध्यान अपन नवयुवती ग्राहक पर नै गेलनि जे हुनकर सबहक बात सुनैत छलनि। ओ भारतीय मूलक छल से रूप रंगसँ बुझाइत छल मुदा जनमल आ पढ़ल लिखल विदेशक छल।)

कैश: वाह, एतेक दिन बड्ड तकलीफ छल अहॉंकेँ। बच्चाकेँ संगी सभ लग निहौरा कऽ राखए पड़ै छल।
सैम: ओतबे नै, संगियोक बच्चा सभकेँ कखनो कऽ देखए पड़ै छल हमरा। सप्ताहान्तमे सेहो बुझू तँ हम काज करैत छलौं।
कैश: चलू से नीक भेल, आब आगॉं की?
सैम: हम अपन पुरूष मित्रसँ रिश्ता तोड़ि रहल छी।
कैश: ओह, तँ बच्चा ककरा लग रहत?
सैम: हमरा लग।
कैश: अहॉं तँ पढ़ाइक खर्चेसँ परेशान छलौं, आब बच्चाक पालन पोषण केना करब?
सैम: ओहो कोन कमाइ छल, ओ तँ संगे पढ़ने छलौं तैं दोस्ती छल। बच्चाक नामपर सरकारी सहायता भेटत, फेर एकटा कुक्कुर सेहो पोसने छी तकरो लेल सरकारसँ मदति भेटत।
(कैश कनी काल चुप्प भऽ गेली फेर कनिये देर बाद बजली।)
कैश: कहिया धरि अहॉंक पढ़ाइ पूरा भऽ जाएत?
सैम: अगिला छह मासमे, तकर बाद ट्रेनीक कार्य भेटत जइमे दरमाहा सेहो भेटत। 
कैश: चलू तखन ई सभ तँ सम्हरि गेल। बस अहॉंक निजी जिनगी कनी गड़बड़ा गेल।
सैम: नै-नै, हम एक जगह बात कऽ रहल छी। अगिला सप्ताह तक ओकर नोकरी पक्का भऽ जेतै, तकर बाद डेटपर जाइक इरादा अछि।
(कैश दोसर बेर कने काल लेल चुप भेलथि।)
कैश:  ओह, बढ़िया, शुभकामना।
सैम:   धन्यवाद।
(तखने ओइ नवयुवती ग्राहकपर कैशक ध्यान गेलनि जे हुनकर सबहक बात सुनैत छलनि। ओ भारतीय मूलक छल से रूप रंगसँ बुझाइत छलि मुदा जनमल आ पढ़ल लिखल विदेशक छलि, से बोलीसँ बुझाइत छल। ओकर समानमे वाइनक बोतल छल।)

कैश: (नवयुवती ग्राहककेँ आँखि माड़ैत) मजा करू।
नवयुवती ग्राहक: ई हमर बॉस लेल अछि।
सैम: किए, अहॉं नै लै छी की ?
नवयुवती ग्राहक: नै, हमर माता-पिता एकर अनुमति नै देने छथि।
कैश: तँ अहॉं नोकरी करै छी? जँ खराब नै मानी तँ हम बूझए चाहब जे अहॉंक पुरूष मित्र अछि आकि अहाँ बियाहल छी?
नवयुवती ग्राहक: पुरूष मित्र अछि, बियाहल नै छी।
कैश: (मुस्कुराइत) ओहो।
नवयुवती ग्राहक: ऐमे आश्चर्य की? मित्रता तँ भारतीय संस्कृतिक सुन्दरता अछि। कियो मित्र जे पुरूष अछि से पुरूष मित्र भेल ने।
कैश: नै, हमर इशारा एतुक्का चलन दऽ छल।
नवयुवती ग्राहक: भारत कोनो आब ऐ चलनसँ दूर अछि की ? लागैए एतुक्का चलन तँ अहॉंकेँ एकदम नै बूझल अछि। एतए हम सभ दू पीढ़ी पहिनेसँ बसल छी मुदा कोनो पाबनि नै बिसरै छी। यथासम्भव अपन पारम्परिक परिधान सेहो पहिरै छी। अपन मातृभाषा सेहो नै बिसरल छी। विवाह सेहो माता-पिताक इच्छासँ करबाक इच्छा राखै छी। एतुक्का भारतीय समाज तँ अपन संस्कृतिकेँ जीवन्त राखैले पूरा प्रयास करैत अछि मुदा जे नवतुरिया सभ भारतसँ आबैत छथि सएह कलंकित करै छथि।
कैश: अहॉं एतुक्का बसल सम्पन्न परिवारसँ छी तैं विदेशोमे रहि कऽ अपन रीति रेवाज मानैकऽ साहस अछि आ स्वयंकेँ सभ्य बनाकऽ रखने छी। बेसी सुविधा ककरा ने आकर्षित करैत छै। जे नवतुरिया आबै छथि से जौं एतुक्का सुविधामे रहऽ चाहती तँ हुनका किछु समझौता तँ करए पड़तनि। जे एतुक्का निवासीसँ बियाह करती, एतए अपन बच्चाकेँ जन्म देती तँ हुनका सरकारसँ सभ सुविधा भेटतनि आ कहियो हुनका आ हुनकर बच्चाकेँ अशिक्षा, अकुशलता आ बेरोजगारीक दुःख नै बर्दाश्त करए पड़तनि।
नवयुवती ग्राहक: सरकारी निअम तँ अहॉं अपन देशमे सेहो परिष्कृत कऽ सकै छी, आखिर प्रजातन्त्र छै ओतए। हमरा सभकेँ अपन देशक उन्नति लेल योगदान देबाक चाही, ओइसँ पड़ेबाक नै चाही। हम प्रशिक्षण विभागमे कार्य करैत छी आ यदा कदा समए निकालि भारतीय संस्था लेल सेहो अवैतनिक काज करैत छी। आवश्यकताक अन्त नै छै। तखन तँ निर्णय अहॉंकेँ लेबाक अछि जे अहॉं कैश बनए चाहैत छी आकि केसर।
 
(साभार विदेह)

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