Sunday, August 21, 2011

अधिकार- बेचन ठाकुर



बेचन ठाकुर, गाम चनौरागंज, झंझारपुर, मधुबनी।
बेचनजी विगत पचीस बर्खसँ मैथिली नाटकक लेखन आ निर्देशनमे जुटल छथि। हिनकर एक दर्जन नाटक ग्रामीण सभक मोन तँ मोहनहिये छल, हिनकर विदेहमे प्रकाशित छीनरदेवी आ बेटीक अपमान विश्व भरिमे पसरल मैथिली भाषीक बीचमे कएकटा समीक्षात्मक बहस शुरू कऽ देने अछि। जखन मैलोरंग अपन सर्वेक्षण शुरू केलक जे मैथिलीक सर्वश्रेष्ठ नाटक महेन्द्र मलंगियाक ओकर आंगनक बारहमासा वा बेचन ठाकुरक बेटीक अपमान आ आशीष अनचिन्हारक समीक्षापर बहस चलिये रहल छल तँ तारानन्द वियोगीक कथन आबि गेल, ऐ सर्वेक्षणकेँ रोकबाक आग्रह करैत- "हम त चकित छी प्रकाश। की मैथिलीक एहन दुर्दिन आबि गेलै जे आब एना तुलना कएल जेतै? जकरा बल पर सौंसे भारतीय साहित्य मे मैथिलीक झंडा बुलन्द मानल जाइत रहल अछि, तकरा मादे हमर नवतुरिया सब एना बात करता? एतेक सतही आ विवेकहीन पीढी मिथिला पैदा केने छथि यौ? की पं० गोविन्द झाक ओ कथन सत्य होब'बला छै जे तीस-चालीस साल मे मैथिली मरि जाएत। (मैथिली माने मैथिली साहित्य।) एना नहि काज चलत। किछु करियौ बाबू।" मुदा प्रकाश बाबू कहलखिन्ह- "सर ! किछु कारण अछि । सब नवतुरियाक स्थिति एक रंग नहि छनि । सभहक अपन अपन मनतव्य छनि । मुदा अँग्रेजी मे एकटा कहाबत अछि । सरभाइवल ऑफ दी फिटेस्ट.... । जे कियो जे किछु सोचैइथ मुदा मैथिली आ नाटक लेल सोचैत छैथि यैह हमरा लेल जीवन दायी अछि ।" तारानन्द वियोगी फेर लिखलन्हि- "मिथिलाक प्रति जं प्रेम अछि, तं अपन बिरासत कें चिन्हनाइ आ ओहि पर गर्व करनाइ सीखू। हरेक भाषा मे किछु एहन रचना होइ छै जे 'क्लासिक्स' के कोटि मे अबै छै। । (से मैथिलियो मे छै) जखन आगुओ कोनो ओहि टक्कर के रचना आबि जाइ छै तं ओकरा सम्मान दैत पूर्वक क्लासिक्स के बराबर मे राखल जाइ छै। एहि लेल बिरासत कें खारिज करब जरूरी नै छै। मानि लिय' जे गजेन्द्र ठाकुर बड्ड विशिष्ट कवि छथि, तें की अहां ई सर्वेक्षण कराएब पसन्द करब जे 'विद्यापति पैघ कवि की गजेन्द्र ठाकुर?' साहित्य के संस्कृति मे आम तौर पर एना नहि कएल जाइ छै। मुदा 'खास' तौर पर जं करए चाही, तं ताहि सं ककरो के रोकि सकै छै। राजनीति के संस्कृति मे तं से चलन छैके।" तइपर उमेश मंडल जवाब देलखिन्ह जे ई उदाहरण तखन सटीक होइतए जँ बेचन ठाकुर वा महेन्द्र मलंगियाक तुलना ज्योतिरीश्वरसँ कएल जाइत। ऐ डिसकसनक शुरूमे प्रकाशजीक विचार बेचनजीक नाटकक विरुद्ध छलन्हि आ से पुनः सिद्ध भेल जखन बेचन ठाकुरक "अधिकार" नाटक ऐ टिप्पणीक संग पोस्ट कएल गेल तँ ओ ओकरा डिलीट कऽ देलन्हि। एना किए भेल? जखन प्रकाश झा महेन्द्र मलंगियाक नाटक करबै छथि (मैथिलीमे विदेहक एलासँ पूर्व प्रूफरीडरकेँ सम्पादक कहल जाइ छल आ नाटकमे जे कियो कोनो काज नै करथि कुर्सीपर पएर लटका क' बैसथि आ गप छाँटथि तकरा नाटकक निर्देशक कहल जाइ छल) तँ 90 प्रतिशत दर्शक मैथिल ब्राह्मण आ जखन संजय चौधरी मलंगियेक नाटक करै छथि तँ 90 प्रतिशत दर्शक कर्ण कायस्थ; आ दुनू गोटे मैथिलीक नामपर सरकारी संगठनसँ, जे टैक्सपेयरक पाइसँ चलै छै, पाइ ल' नाटक करै छथि, शहरो वएह दिल्ली छिऐ। ई समाज किए तोड़ल जा रहल अछि? आ दु जातिक अतिरिक्त शेष मैथिली भाषी? मुदा तइले वियोगीजीक आह्वान प्रकाशकेँ नै भेटै छन्हि! किए!! आ प्रकाशजी बेचनजीक नामो बेचा ठाकुर लिखै छथि आ पाठकक ऐपर भेल विरोधक बावजूद सुधार नै करै छथि से उच्चारण दोष, ह्रिजै दोष अनायास भेल नै सायास भेल सिद्ध होइत अछि। प्रकाशजी उमेश मंडलकेँ कहै छथि जे ओ हुनकासँ सम्पर्क बढ़ेबामे रुचि नै राखै छथि मात्र फोनपर गप छन्हि से हमहूँ 2008 मे प्रकाशजीक पहिल बेर नाम नाम सुनने रहियन्हि, मिथिलांगनक अभय दास नाम-नम्बर देने रहथि आ तहियासँ दू-तीन बेर 2-3 मिनटक फोनपर गप अछि आ 2-3 बेर ठाढ़े-ठाढ़े गप अछि, अंतिम बेर जखन उमेश मंडल जीक कहलापर जगदीश प्रसाद मण्डल जीक नाटक हुनका देने रहियन्हि आ ओ ओइ बदलामे मलंगियाजीक पोथी कूरियरसँ पठेबाक गप कहने रहथि। वियोगीजी आ प्रकाशजी अखनो धरि "मेडियोक्रिटी" सँ बाहर नै आबि सकल छथि आ सार्थक सम्वाद आ समालोचना सहबामे तत्काल अक्षम छथि। जँ जँ ओ लोकनि आर मेहनति करताह आ "मेडियोक्रिटी"सँ बाहर बहरेताह तँ तँ हुनका लोकनिमे समालोचना सहबाक क्षमता बढ़तन्हि।
टैक्सपेयर तँ सभ छथि, ओतए तँ जाति-भेद नै छै। मुदा "अधिकार" नाटक डिलीट नै कएल जा सकल, ई बचि गेल कारण ऐ नाटकक कएक टा बैकप कतेक संगणकपर उपलब्ध छल। से ऐ परिप्रेक्ष्यमे बेचन ठाकुर जीक तेसर नाटक "अधिकार" विदेहमे देल जा रहल अछि आ आशा करैत छी जे आशीष अनचिन्हार फेर ऐ नाटकक समीक्षा करताह आ सूतल लोक जेना आँखि मीड़ैत उठल अछि तहिना ई नाटक ग्रामीणक पहिने आ मैथिली नाटकक किछु ठेकेदार समीक्षक/ निर्देशक लोकनिक पछाति निन्न तोड़त। संगहि जेना मजारपर वार्षिक उर्स होइ छै जतए लोक सालमे एक बेर चद्दरि चढ़ा आ अगरबत्ती जड़ा क' कर्तव्यक इतिश्री मानि लैए, तहिना मैथिलीक नामपर खुजल कागजी संगठन सभक, जे बेसी (95 प्रतिशत) मैथिल ब्राह्मण सम्प्रदाय द्वारा टैक्सपेयरक पाइकेँ लुटबा लेल फर्जी पतापर बनाएल गेल अछि, वार्षिक (बर्खमे ओना एक्के बेर हिनकर सभक निन्न खुजै छन्हि) काजक समीक्षा होएबाक चाही। जखन हम संस्कृत वीथी नाटकक निर्देशन/ अभिनय करै छलहुँ तँ ओतए अभिनय केनिहार सभक आ सह-निर्देशक लोकनिक प्रतिभा आ मेहनति देखि हर्ष होइ छल; मुदा एतए प्रतिभाक दरिद्रता किएक? उत्तर अछि जे एक जातिकेँ लेब आ तहूमे तै जातिकेँ जकरा अभिनयसँ पारम्परिक रूपमे कोनो लेना देना नै छै, आ जकरा लेना-देना छै तकरा अहाँ बारने छी तँ की हएत? जखन हरखा पार्टीमे खतबेजी रावणक अभिनय करै छलाह तँ से आ जखन ओ चन्द्रहास नाटकमे खलनायकक नै वरन चरित्र अभिनेताक अभिनय करै छलाह से, दुनू मे कियो नै कहि पबै छल जे कोन अभिनय बीस! बच्चामे गाममे आँखिसँ देखल अछि। संगहि जे लिस्ट गनाओल जाइत अछि, तैमे खतबे जी कतौ नै!! दसटा मैथिली निर्देशक छथि जे पटना, कलकत्ता, दिल्ली, मुम्बइ, चेन्नइमे (सभटा मिथिलासँ बाहर) निवास करै छथि आ 200 लोकक सोझाँमे ऑडिटोरियममे नाटक करबै छथि आ कलाक न्यूनताक पूर्ति लाल-पीअर-हरियर लाइट-बत्ती जड़ा क' करै छथि (किछु अपवादो छथि), की भरि मिथिलामे एतबे नाटक मैथिलीमे होइए आ की एतबे निर्देशक मैथिलीमे छथि? गाम-गाममे पसरल असली मैथिली नाटकक निर्देशकक सूची आ हुनका द्वारा बिना टैक्सपेयरक फण्डसँ खेलाएल गेल नाटकक अभिलेखनक काज विदेह टीम द्वारा चलि रहल अछि जकर विस्तृत सूची "सर्वे ऑफ मैथिली लिटेरेचर वोल्यूम.2 मे देल जाएत।
प्रस्तुत नाटक इन्दिरा आवास योजनाक अनियमितताकेँ आर.टी.आइ.सँ देखार करैबला आ रिक्शासँ झंझारपुरसँ दिल्ली जाइबला (आ अभिषेक बच्चनसँ झंझारपुरमे पुरस्कार पाबैबला) असली चरित्र मंजूरक कथा अछि जे डिलीट नै कएल जा सकल मुदा किए डिलीट कएल जा रहल छल, किनकर हितकेँ ऐ नाटकसँ खतरा छन्हि/ छलन्हि आ किए एकर विरोध एतेक तीव्र रूपमे भेल, से सभटा आब फरिच्छ भ' गेल अछि। -गजेन्द्र ठाकुर, सम्पादक, विदेह।
अधिकार
-श्रीसरस्वत्यै नमः-

महान सामाजिक एवं क्रांतिकारी मैथिली लघुनाटक अधिकार

दृश्य - एक
( स्थान - मुखिया चन्दनक घर। दलान पर चारि-पाँचटा कुर्सि लागल छै। मुखियाजीक मुहँलगुआ अमरनाथ आ चन्दन कुर्सी पर बैस गपसप क ऽ रहल छथि। )
अमरनाथ - मुखियाजी, आइ-काल्हि कोनो मुल्हा फँसलै की नै।
चंदन - फँसिते रहै छै की। ओना दू-तीनि दिनसँ बाहिनीओ नै भेल अमर भाई।
अमरनाथ - मुदा बड कसिक ऽ ध ऽ लै छिऐ अहाँ।
चंदन - की करबै , अहीं कहु। हमरा सरकार कोनो तनखाह दै छै ? (मंजूरक प्रवेश पूर्ण गरीबी अवस्था में )
मंजूर - मुखियाजी प्रणाम।
चंदन - प्रणाम प्रणाम। आउ मंजूर भाई। ( मंजूर भूइया पर बैसि जाइ अछि।) मंजूर भाइ , नीच्चाँमे किआए बैसलहुँ ? कुर्सी पर बैसु ने।
मंजूर - हम कुर्सी पर बैसैबला लोके नै छियै। कुर्सि पर हाकिम सभ बैसै छथिन्ह।
अमरनाथ भाई , प्रणाम ।
अमरनाथ - प्रणाम प्रणाम , कहु मंजूर भाई, की हाल चाल ?
मंजूर - जीऐ छी नै मरै छी , हुक्कुर-हुक्कुर रिै छीै अहाँ ऐ फाटल-चिटल लोक पर , कोनो ध्याने नै दै छी ।।
अमरनाथ - कहु धिया-पुताक हाल-चाल , घरवालीक हालचाल ?
मंजूर - की कहब , धिया-पूता चारि-पाँचटा बेसी भ ऽ गेलै। तैसँ अक्कछ रहै छी। कहलनि अपरेशन करा ऽ लिअ त कहलनि अपना सबहक हदीशमे से नै लिखल छै। आ फेर कहलनि हुअ न दियौ कत्ते हेतै अपन-अपन कमा ऽ खेतै।
(चन्दन आ अमरनाथ मुस्काए रहल छथि। )
अमरनाथ - मंजूर भाइ , कनियां थेहगर छ से ?
मंजूर - की पूछै छी ? आब नै सकै छी तैयो बड हरान क ऽ दै आए। आब छोड़ भाइ मजाक तजाक। ऐ बुढ़बाकेँ की चटै छी ?
चन्दन - कह मंजूर केम्हर-केम्हर एलाह ?
मंजूर - सरकार, इन्दिरा आवासवला गप हम कहिया कहलौं 2006ए में। कत्ते दिन भ ऽ गोलै ? ताबे कत्ते आदमीकेँ इन्दिरा आवास भेटबो केलै। सरकार हमरोसँ बेसी गरीब कियो छै ? टमटम चलबै छेलौं त ऽ घोड़ीओ खर्च नै निकलै छेलाए। सुखा-टटाक ऽ घोड़ीओ मरि गेल। करजा-बरजा ल ऽ क ऽ एगो पुरना रिक्षा कीनलहुँ। सेहो कहियो चलै बाए कहियो नै। टेम्पू-सवारी रिक्षेवलाक रोजी-रोटी खेलकै। आब हमरो पर ध्यान दियौ सरकार। बरसात में एक्को बुन्नी पानि बाहर लै खसै छै।
चन्दन - बीस हजार तोरा नाम सँ ऽ भेटतह । ओइमे की खरचा-बरचा करबहक ?
मंजूर - हम त ऽ कहब, एक्को पाइ नै । मुदा अहीं कहियौ की केना लगतै ?
चन्दन - अमरनाथ भाइ, कनी बूझाए दियौ।
अमरनाथ - मजूर भाइ, ओना सभकेँ छ-सात हजार लगै छै, अहाँकेँ पाँच हजार लागतै।
मंजूर - बाप रे बा, तहन हमरा की बचतै ? पनरह हजार मे केहेन घर हेतै ?
अमरनाथ - किछु अपनो दिशिसँ लगा देबै।
मंजूर - खाइ लाए मरै छी,धिया-पुता पन्नी बिछै आए रोड पर। ओइ मे से एक-दू साए टका खइ-पीऐ लाए द ऽ देब, सरकार। किरपा करियौ।
चन्दन - पाँच हजार देबै तहने हाएत। नै त ऽ नै हाएत। बात जानी साफ।
मंजूर - हे हे सरकार, पाएर पकड़ै छी। दाढ़ी पकड़ै छी। एगो घर डाइनो बकसै छै। एगो गरीबो केँ कल्सरण करू। नीक हाएत सरकार।
चन्दन - बेसी नीक कमरा नै पचै छै। ओत्ते लगबे करत।
मंजूर - तहन जाइ छी सरकार। जे करियौ। ओना एगो गरीबकेँ तारितियै ऽ ऽ ऽ ऽ।
(प्रस्थान)
चन्दन - हम फेर मुखिया हाएब की नै, के जनै छै ? माल बनेबाक बेर अनेक नै अछि।
अमरनाथ - से त ऽ ठीके मूखियाजी। काल्हि के देखलकै ? ओना मंजूर वास्तवमें बड गरीब अछि।
(पटाक्षेप)
दृष्य - दू
( स्थान - मंजूरक सलाहकार विनोदक दलान विनोद कूर्सी पर बैसि पेपर पढ़ि रहल छथि। दीन हीन अवस्था में मंजूरक प्रवेश। )
म्ंाजूर - नेताजी प्रणाम।
विनोद - प्रणाम प्रणाम। कह की हाल चाल ? आइ बहुत दिन पर देखलिअ। कह केम्हर-केम्हर एलाह ?
म्ंाजूर - की पूछै छी नेताजी। मूखिया बिना घूसे ? इंदिरा आवास नै देम ऽ चाहैय। तहूमे बीस हजार मे कम-सँ-कम पाँच हजार। कहू त ऽ पनरह हजार मे की की करब ? अहूमे आइ चारि-पाँच सालसँ आइ-काल्हि आइ-काल्हि करै य। अखैन कतबो पाएर दाढ़ी पकड़लियैन तैयो उ नै घमलथि। एक्को बेर कहलथि, पाँच हजार देबै तहने हाएत। नै त नै हाएत। बात जानि साफ। अपने हमरा बुधि दिअजे एकर कोनो नियम कानून छै की नै ?
विनोद - कानून त छै, मूदा दौड़ा-बढ़ी कर पड़तह। तों गरीब आदमी छह। तोरा सँ पार लागतह ?
मंजूर - नेताजी, मरता क्या नहीं करता । मरल त हम छीहे। अहाँ हमरा रस्ता बताए दिअ, देखै छियै कानून मे दम छै की नै। उचितक लेल अहाँ हमरा जे कहब से करै लाए तैयार छी।
विनोद - हम एगो आवेदन लिखि दैत छियह। मुखिया लग बखैन चलि जा द ऽ दिहक आ की कहै छह से फेर कहिहह।
(विनोद मंजूर के एगो आवेदन लिख दैत छथि आ मंजूर उ ल ऽ क ऽ मुखिया लग तुरंत जाइ अछि। )
(पटाक्षेप)
दृष्य - तीन
( स्थान - चन्दन मुखियाक दलान। दलान पर चन्दन आ अमरनाथ कुर्सी पर बैस गपसप क ऽ रहल छथि। मंजूरक प्रवेश। )
म्ंाजूर - मुखिया जी प्रणाम।
चन्दन - प्रणाम प्रणाम।
मंजूर - अमरनाथ भाइ प्रणाम।
अमरनाथ - प्रणाम प्रणाम मंजूर भाइ। बैसू।
मंजूर - की बैसब ? बैसलासँ पेट भरतै। मुखिया जी एगो दरखास छै, देखल जाउ।
चन्दन - ल ऽ लिअ अमरनाथ। पढ़ियौ की लिखल छै।
( अमरनाथ दरखास्त लऽ कऽ पढ़ै छथि। मंजूर भूइयांमे बैसि जाइत अछि। )
अमरनाथ - सेवा में,
श्रीमान् मुखिया महोदय।
ग््रााम पंचायत राज रामपूर।
महाशय,
नम्र निवेदन अछि जे हम अति निर्धन व्यक्ति छी। अपन पंचाइत मे किनको सँ पहिने हमरा कोनो सुविधा भेटक चाही। ओइमे अपने हमरा पाछू छोड़ि दै छियै। इंदिरा आवास लाए चारि-पाँच साल सँ घूमबै छी। जै गरीबकेँ पाँच हजार टाका घुस लाए नै भेटै।
ऐ संदर्भ मे अपने सँ करबद्ध प्रार्थना अछि जे एगो महागरीबकेँ निःषुल्क इंदिरा आवास प्रदान कऽ कल्याण काएला जाए। संगहि सूचना अधिकारक तहत पंचाइत सचिव सँ इंदिरा आवासवला आयव्याय फाइल उपलब्ध कराब ऽ मे सहयोग काएल जाए। धन्यवाद।
अपनेक विष्वासी - मंजूर
चन्दन - जाउ मंजूर, अहाँकेँ जै अधिकारक प्रयोग करबाक अछि करू ग। देख लेबै। नै, जदी पाँच हजार टाका ओइ मे से देबै तऽ अखनो भऽ सकैया।
मंजूर - नै मुखियाजी , हमरा कानूनेमे जाए दिअ।
चन्दन - जाउ न हम रोकने छी।
मंजूर - बेस हम जाइ छी। (मंजूरक प्रस्थान )
अमरनरथ - मुखियाजी एकरा बुते एगो अल्हुआ तऽ उखरबे नै करतै आ आएल छेलाह धमकी दै लाए। केहेन-केहेन गेल्लाह तऽ मोंछवला एल्लाह।
चन्दन - हा हा हा ऽ ऽ ऽ ऽ (ठहक्का मरि हँसै छथि। ) जाए दियौ अमरनाथ कत्त जेतै कानून अपना हाथमे छै।
(पटाक्षेप)
दृष्य - चारि
(स्थान - विनोदक दलान। विनोद ससुराइर जाइक तैयारी मे छथि। तखने मंजूरक प्रवेश। )
म्ंाजूर - नेताजी प्रणाम।
विनोद - प्रणाम प्रणाम। कह मंजूर, मुखियाजी भेटलखुन।
मंजूर - हँ भेटलथि त जरूर। मुदा फेर ओएह गप्प। बिना पाँच हजार घुसे काज नै हाएत। अहाँके जै अधिकारक प्रयोग करबाक हुआए ये करू।
विनोद - आब हुनक, किछु नै कहक। हम तोरा तीनिगो आवेदन लिख दै छियह। एगो बी0 डी0 आ0 केँ द ऽ दिहक, एगो एस0 डी0 ओ0 के द ऽ दिहक आ एगो डी0 एम0 केँ द ऽ दिहक। डर नै न हेतह।
मंजूर - डर कथीके हेतै नेताजी। कोनो हम चोरी कर जाएव। अहाँ कनी हानिक ऽ लिखि दिअ।
(विनोद तीनीगो आवेदन लिखि दै छथि। )
विनोद - मंजूर, ई तीनु आवेदन लाएह। तीनु ऑफिसमे दऽ दिहक। हम आइ ससुराइर जाइ छिसह। एक सप्ताहक बाद एबह। देखहक की होइ छै ?
मंजूर - हम एखनइ जाइ छी नेताजी।
विनोद - बेस जाह। हमहूँ लाइ छियह।
(पहिने मंजूरक प्रस्थान। तकर बाद विनोदक प्रस्थान। )

(पटाक्षेप)
दृष्य - पाँच
( बी0 डी0 ओ0 कार्यालय। गेट पर एगो सिपही छथि। बी0 डी0 ओ0 अषोक कार्यालय मे फाइल उनटा रहल छथि। तखने मंजूरक प्रवेश। सिपाही मानसिंह छथि। )
म्ंाजूर - प्रणाम सर।
मनसिंह - प्रणाम प्रणाम। का बात हउ ?
म्ंाजूर - सर, कनी बी0 डी0 ओ0 सहाएबकें भेंट करबाक छै।
मानसिंह - बात का ह, से पहिले बोल न ? सहाएव जरूरी काममे फंसल बा ?
म्ंाजूर - सर, हमरो बड जरूरी काज छै। इंदिरा आवासवला एगो दरखास छै।
मानसिंह - अच्छा जा।
(मंजूर अशोक लग पहुँचलथि।)
म्ंाजूर - हाकिम परणाम।
अषोक - बाजू की बात अछि ?
म्ंाजूर - हाकिम इंदिरा आवासवला एगो दरखास छै।
अषोक - अखैन उ सब काज नै होइ छै ब्लॉक मे। उ काज मुखिए करै छै। अपन मुखिए लग जाउ।
मंजूर - हाकिम, मुखियासँ अक्कछ भऽ गेलहुँ जहन ने अपनेक शरणमे एलहुँ। चारि-पाँच साल पहिने बाढ़िमे घर दहाए गोल। सिरकी तानि सभ परानी कौहुना जीबै छी।
अषोक - मुखिया की कीहलनि ?
मंजूर - मुखिया कहलनि जे बीस हजारमे पाँच हजार लेब, तहने हाएत, नै त नै।
अषोक - किछु लऽ दऽ के काम क ऽ लैतहुँ न ?
मंजूर - हाकिम, हमरा उ बात एक्को रत्ती पसीन नै पड़ल। एक-दू साए वला गप रहितै तऽ सोंचबो करितिऐ। हाकिम, किरपा कऽ ई दरखास लियौ आ एगो गरीबोसँ गरीअ पर विचार करियौ।
अषोक - बेस लाउ। ( मंजूर अषोककेँ दरखास दऽ दै छथि। )
मंजूर - परणाम हाकिम। जाइ छी हम। रिक्षा चलबै लाए जाएब। ( प्र स् था न )
अषोक - सेवा मे,
श्रीमान् प्रखंड विकास पदाधिकारी महोदय,
कार्यालय - भगवानपुर
महाशस,
सूचना अधिकारक तहत हम पूछै लाए चाहै छी जे इंदिरा आवास पाँच
हजार घुसे लऽ किआए भेठत, ओना किआए नै भेटत ? एकर लिखित जवाब
दूः दिनक अन्दर चाही। नै त आगू बढ़ब। धन्यवााद,
मंजूर, ग्राम पंचाइत राजरामपुर।
(अषोक आवेदन पढ़ि कूड़ामे फेंक दै छथि। )
एकर लिखित जबाब दू दिनक अन्दर चाही, नै तऽ आगू बढ़ब। जाउ, जत्त
बढ़ब, तत्त बढ़ू। सब ठाम एक्के रंड. भेटत।

प टा क्षे प

दृष्य - छह

( स्थान - अनुमंडल कार्यालय। सुनील एस0 डी0 ओ0 आ बहादुर हुनक सिपाही छथि। सुनील फाइल उनटा रहल छथि। मंजूरक प्रवेश। )
म्ंाजूर - सर प्रणाम।
बहादुर - प्रणाम प्रणाम। कत्त हुरार जकँा हुरकल जाइ छी ? रूकू। पहिने एत्त पाँच गो टका दिअ, तहन अन्दर जाएब।
मंजूर - ( जोर सँ ) ऐ देहमे करौआ लागल छह की ? सरकार सँ तों तनखाह नै लै छहक ?
बहादुर -अच्छा जा। बेसी बाजह नै ( मंजूर सुनील लग पहुँचल। )
मंजूर - परणाम हाकिम।
सुनील - की बात ?
मजूर - इंदिरा आवासवला एगो दरखास छै। लेल जाउ।
सुनील - ( आवेदन लऽ कऽ ) अहाँ जाउ।
मुजूर - जाइ छी हाकिम। एगो गरीबोकेँ कल्यााण करबै। परणाम।( मंजूरक प्रस्थान। )
सुनील - सेवा में,
श्रीमान् अनुमंडलाधिकारी महोदय, बेनीपुर।
महाशय,
हम मंजूर ग्राम पंचाइत राज रामपूर स्थाई निवासी छी। चारि-पाँच
साल पहिने बाढ़िमें काहि काटि रहल छी। इंदिरा आवास लाए मुखिया चंदन
पाँच हजार टाका घुस मांड.ै आए। बी0 डी0 ओ0 साहेब सेहो हमर आवेदन
पर कोनो ध्यान नै देलनि। सूचना अधिकारक तहत हम एकर लिखित जबाब
दू दिनक अन्दर चाहै छी। अन्यथा आगू बढ़ब।
धूः ई बकवासवला आवेदन छै। के माथा पच्ची
करतै ऐमे ?
( सुनील आवेदन के कूड़ा मे फेंक दै छथि । )

प टा क्षे प

दृष्य - सात
( स्थान - समाहरणालय। डी0 एम0 चन्द्रकान्त कार्यालय में फाइल उनटा रहल छथि। गेट पर सिपाही हंसराज ठाढ़ छथि। तखने मंजूरक प्रवेश। )
म्ंाजूर - परणाम हूजूर। अन्दरा कलक्टर सहाएब छथिन्ह ?
हंसराज - की बात ?
मंजूर - हुनके सँ काज य।
हंसराज - कोन काज स ?
मंजूर - इंदिरा अवासवला एगो दरखस देबाक स हाकिमकेँ।
हंसराज - लाउ ने पाँच हजार टाका, हमही काज कराऽ दै छी। हाथो-हाथ काज भऽ जाएत।
मंजूर - खाएब, से ओकाइदे नै आ पाँच हजार टाका हम कत्त सँ देब ?
हंसराज - तहन ऑफिसमे नै घुसु। घुरि जाउ।
मंजूर - से किआए, अहींक ऑफिस छी लगाएल।
हंसराज - बेसी फटर-फटर बाजलौंह तऽ एक्के झापर में ठीक भऽ जाएब। कोनो बाप काज नै देत - 3
मंजूर - बेसी बाप-बाप केलौं तऽ बुझिा लिअ।
हंसराज - ( मंजूर के एक थापर मारि ) हरमी कहीं के। आब बाज कोन बाप काज देतौ।
मंजूर - ( हंसराज केँ एक थापर मारि ) हरमी सभ, चोट्टा सब गरीबकेँ खाकऽ साँढ़-पारा भऽ गेल।
( हंसराज आ मंजूर में हाथापाई भऽ रहल अछि। हल्ला सुनि चन्द्रकान्त गेट पर एलाह। )
चंद्रकान्त - अहाँसब हल्ला-फसाद किआए करै छी ? हंसराज की भेलै ?
हंसराज - सर, ई हमरा बिना मतलबकेँ गाड़ि द ऽ देलक।
मंजूर - सर, पहिने इहाए हमरा गाड़ि देलक। तहन हम देलियै।
चंद्रकान्त - धिया पुता जेकाँ गाड़ि-गलैज, मारि-पीट करै जाइ छी। छिः! छिः! लेक सब हँसत। बाजू बौआ, की बात अछि ?
मंजूर - हूजूर एगो इंदिरा आवासवला दरखास छै।
चंद्रकान्त - लाउ अन्दर आउ। ( मंजूर आ चन्द्रकान्त कार्यालस मे जाइ छथि। ) आब बाजू की कश्ट ?
मंजूर - हजूर हम रिक्षा चालक छी। कमाइ छी तऽ खाइ छी। नै तऽ उपासे रहै छी। चारि-पाँच साल पहीने बाढ़िमें हमर झोपरी दीहा गोल। इंदिरा आवास लाए मुखियालजीकेँ कहलियन्हि तऽ उ कहलनि जे पाँच हजार टाका घूस देबही तहने हेतौ नै तऽ नै हेतौ। पाएरो दाढ़ीयो पकड़लियनि जे खाइ पीयै लाए, एक-दू साए टाका पेटो काटि कऽ देब। हमरा पर किरपा कएल जाउ। मुदा टस-सँ-मस नै भेलाह।
हजूर, एगो हमर दरखास स्वीकार काएल जाउ।
चंद्रकान्त - बेस लाउ। ( मंजूर चंद्रकान्तकेँ दरखास्त दऽ दै छथि। )
मंजूर - हजूर, हमरा पंचाइत मे हमरासँ बेसी गरीब कियो नै हाएत। अपने पता कऽ लियौ। एगो गरीब बड आशा सँ अपने लग पहुँचल अछि। किरपा अवस्स कएल जाउ हजुर।
आब हम जाइ छी हजुर। तीनि दिनसँ भुखले छी।
चंद्रकान्त - सेवा में,
श्रीमान् समाहती महोदय , परसा
महाशस ,
नम्र निवेदन अछि जे हम मंजूर ग्राम पंचाइत राज रामपुरक स्थाइ
निवासी छी। हम अति निर्धन रिक्षा चालक छी। चारि-पाँच साल पहिने
पहिने हमर झोपड़ी बाढ़िा में दहा गेल। हम सब परानी सिरकी तानि पषु
जीवन जीबै छी।
कृपया एगो इंदिरा आवासक अनुमति प्रदान काएल जाउ। ऐ लेल
हम अपनेक आजीवन कृतज्ञ रहब। ओना मुखिया,बी0 डी0 ओ0 आ एस0 डी0
ओ0 के आचरणसँ हम पूर्ण आजीज छी।
कृपया हमर अनुमति दू दिनक अंदर देबाक कश्ट करी। अन्यथा हम
सूचना अधिकारक तहत घुसखोरीक विरूद्ध आवाज अवस्य उठाएब।
धन्यवाद,
( आवेदन पढ़ि चन्द्रकांत कूड़ा में फेक दै छथि। ई तऽ सरासर धमकी भेलै। सूचना अधिकारक हमरा मुट्ठीमें छै। हम कोनो आइरी-गाइरी हाकिम छी, डी0 एम0 छी। )
हंसराज - ( अन्दर कार्यालय जाक ) सर, ई आदमी बड ख्च्चर छेलाह। जाहाँ कहलियै पाँच हजार घूस देबै तऽ हाथो-हाथ काज करा देब। फट सन एक थापर बैसा देलक। तकरे हाथापाई छेलै ।
चन्द्रकांत - जाए न दियौ। ओकरा कोनो ऑफिस गुदानतै।

प टा क्षे प
दृष्य - आठ
( स्थान - विनोदक दलान। विनोद कुट्टी काटि रहल छथि। मंजूरक प्रवेश। )
म्ंाजूर - नेताजी परणाम।
विनोद - परणाम परणाम। कह मंजूर, काज भेलह ?
मंजूर - आइ पनरह दिन भऽ गोल। काजक कोनो अता-पता नै। बेकार लाए रोजी-रोटी छोड़ि कऽ हरानो भेलहुँ।
विनोद - मंजूर, तों जिला तक पहुँचलक। तोहर काजक कोनो सुनबाई भेलै। आब बुझहकं प्रशासन केहेन भ्रश्ट छै। एकटा करह, छोड़ह माथा-पच्ची। जा कमैहह आ खैहह। ऐ सबहक चक्करमें नै पड़ह। ऐ रास्तामे बडा फैदरत छै।
मंजूर - नेताजी, परेशानी झेलै लाए हम तैयार छी। अहाँ हमरा उपाइ बताउ।
विनोद - हाईकोर्ट छै, सुप्रीम कोर्ट छै। सूचना आयोग छै।
मंजूर - नेताजी, हमरा आहाँ जत्त जाइ लाए कहबै ओत्त जाइ लाए तैयार छी।
विनोद - बेसी, एगो दरखास्त हम लिख दै छियह। तों जगदीशपुर चलि जाह। ओइ गाममे एगो हमर पुरना मित्र छथिनह। हुनक नाम ष्यामनन्द छियन्हि। पूछैत-पूछैत चलि जइहह। हुनका दरखास्त दऽ दिहक। बड नीक लोक छथिन्ह। गरीबकेँ अपनो दिशसँ मदति करै छथिन्ह।
मंजूर - बेस अपने लिखि दियौ। ( विनोद आवेदन लिखै छथि। मंजूर आवेदन लऽ कऽ प्रस्थान करै छथि। )
विनोद - केहेन भ्रश्ट प्रशासन छै जे ओइ बुढ़बाकेँ दौड़बैत-दौड़बैत हरान कऽ देलकै। मुदा बिन घुस एगो इंदिरा आवास नै भेटलै। ( मुँह बिजकाए लै छथि। )

प टा क्षे प
दृष्य - न ऽ
( स्थान - नेता ष्यामानन्दक दलान। दलान पर बैस उ पत्रिका उनटा रहल छथि। मंजूरक प्रवेश। )
म्ंाजूर - परणाम सरकार।
ष्यामानन्द - परणाम परणाम। नै चिन्हलौंह।
म्ंाजूर - सरकार हम मंजूर छी। रामपुरसँ बड़ी आशसँ पाएरे एलहुँहें।
ष्यामान्नद - बाप रे बा, एत्ते दूरसँ पाएरे। धन्यवाद अहाँक।
म्ंाजूर - सरकार, मजबूरीक मारल छी, बाढ़िक झमारल छी, मुखिया-बी0डी0ओ0-एस0डी0ओ0-कलक्टर सभसँ रिटाइर छी।
ष्याामान्नद - कहु की बात अछि।
म्ंाजूर - सरकार, एगो हमर दरखास छै।
ष्याामान्नद - लाउ दरखास्त। ( ष्यामानंद आवेदन लऽ पढ़ै छथि। )

सेवा मे,
श्रीमान् सूचना आयुक्त महोदय, पटना।
महाशय,
निवेदन अछि जके चारि-पाँच साल पर्व बाढ़िमें हमर झोपड़ी दहा
गेल। हम गरीब आदमी छी। रिक्षा चलाकऽ कौहुना गुजर करै छी। कमाइ
छी तऽ खाइ छी नै तऽ उपासे रहै छी। आइ पाँच सालसँ सिरकी तानि पषु
जेकाँ रहै छी। बरसात में एक्कोटा बुन्नी बाहर नै खसै आए।
म्ुखियाजीकेँ पाएर-दढ़ी पकड़लियन्हि त उ कहलनि पाँच हजार
घुस देबै तऽ इंदिरा आवास भेट जाएत। नै तऽ कोनो उपाए नै।
बी0 डी0 ओ0, एस0 डी0 ओ0 आ डी0 एम लग दरखास्त देलौं
आ सूचना अधिकारक तहत दू दिनमे जबाब मांड.लौह। आइ पनरहम दिन
छी। कत्तौ कोनो सुनवाइ नै।
ऐ संदर्भमे हमर श्रीमान् सँ करबध प्रार्थना अछि जे स्थितिक पूर्ण
जाँच करबाए हमर सूचना अधिकारक औचित्य पर गंभीरतापूर्वक विचार
काएल जाए आ एगो उजरल अतिदिनकेँ बसाएल जाए।
ऐ पुण्यात्मक कार्यक लेल हम अपनेक आजीवन आभारी रहब।
धन्यवाद,
अपनेक विष्वासी
नाम - मंजूर
ग्राम - रामपुर
प्रखण्ड - भगवानपुर
जिला - परसा ( बिहार )
( ष्याामानंद किछु देर सोंचिकऽ )
टाइ धरि हमरा लग एहेन केस नै आएल छल। ई गंभीर केस अछि। खाइर मंजूर अहाँ जाउ। हम पूर्ण प्रयास करब।
म्ंाजूर - हमरा आबो पड़तै पटना। ?
ष्यामानंद - एखन नै। जरूरी पड़तै तऽ बजाए लेब।
म्ंाजूर - बेस सरकार किरपा अवस्स करबै।
ष्यामानंद - अहाँ जाउ। एत्ते दूर जेबाको अछि पाएरे।
म्ंाजूर - परणाम सरकार।
ष्यामानंद - परणाम परणाम। ( मंजूर प्रस्थान करै छथि। )
प टा क्षे प

दृष्य - दस

(स्थान - मंजूरक घर। मंजूर घरक आगू रस्ता पर माथा-हाथ दऽ बैसल छथि। )
मंजूर - अल्ला सबटा विपत्ति हमरे दऽ देलक। घोड़ीओ मरि गेल। सब दिन रिक्षो नै चलै आए। गाम-घरक कजो सब दिन नै भेटै आए। एम्हर धिया-पुत खोखरै आए। सिरकीयो चुऐ आए। की करी की नैं, किछु नै फाुराइ आए। या अल्लाह, या खुदा।
( ष्यामानंदक नोकर मालिकक प्रवेश। )
मालिक - मंजूर अपने छिऐ ?
म्ंाजूर - जी जी, की कहै छी से ?
मालिक - हमर नेताजी श्री ष्यामानंद बाबू अपनेकेँ काल्हिु पटना बजौलन्हि। सूचनाअधिकारक प्रयोग में अपनेक बड पैघ प्रतिश्ठा भेटऽ जा रहल अछि।
म्ंाजूर - परणाम सर, परणाम सर। धन्यवाद अहाँकेँ। एहेन षुभ समाचार आइ धरि कियो नै देने रहथि।
मालिक - बेस हम जाइ छी। अहाँ जरूर जेबै, बिसरबै नै। ( प्रस्थान )
म्ंाजूर - ( घरवाली नजीमा लग जा कऽ ) गै नजीमा काल्हि हम पटना जेबै। आब देखही अल्ला की करै छै ?
नजीमा - बटखरचा लाए तऽ घरमे किच्छो नै छै। कनी मुरही हेतै।
म्ंाजूर - साहाए दऽ दिहैन।
नजीमा - जेबहक केना ? ओत्ते दूर पाएरे हेतह जाएल।
म्ंाजूर - टेनमे मांडै.त-चांडै.त चलि जेबै गै।
नजीमा - कनी ओरियाके जइहह। सेहो तऽ गाड़ी आइए पकड़बहक तब नऽ काल्हि पटना पहुँचबहक।
म्ंाजूर - ठीक कहै छें नजीमा। जो अखने मुरही लेने आ विदे भ जाइ। ओना असडै.सँ टेन छुटि जाएत तहन। हमरा भीखो मांड. पड़तै नजीमा।
नजीमा - की करबहक ? मजबूरीक नाम महात्मा गाँधी होइ छै। तोरा अबेरो होइ छह। हैआए मुरही लेने आबै छियह। ( नजीमा एक मुठी मुरही खोंइछामे आनलथि। ) हैआए, एतबे छेलै।
म्ंाजूर - ला जे छौ से। ( नजीमा मंजूरक गमछामे देलक ) हम जाइ छियौ। राति विराति कनी जाइगे के सुतीहें। घर बेपरद छौ ।
नजीमा - बेस, तू जा न अल्ला के नाम लऽ केऽ ।
म्ंाजूर - या अल्ला, या विस्मिला ।
प टा क्षे प

दृष्य - एगारह
( स्थान - सूचना आयुक्त कार्यालय पटना। ब्रह्मदेव सुचना आयुक्त, नेताजी ष्यामानंद आ उप सूचना आयुक्त अनजार कार्यालय मे बैसकऽ मंजूरक भूमिका पर समीक्षा कऽ रहल छथि। )
ष्यामानंद - सर, आइ धरि हमरा मंजूर जेकाँ केस कहियो आ कत्तौ नहि टकराएल राहाए। एत्ते गरीब एवं मूर्ख रहैत एहेन कठिन स्टेप।
अनजार - साहाएब, वास्तवमे मंजूर धन्यवादक पात्र आछ जेे निच्छछ देहाती आ औंठा छाप रहैत अपन अधिकारक आ कर्त्तव्यक प्रति संघर्शषीलताक प्रदर्षन केलनि।
ब्रह्मदेव - हम एते पद देखलहुँ मुदा मंजूर जेकाँ अपन हकक प्रति जागरूक एवं कर्मठ व्यक्ति नै भेटल राहाए। जदी उ अखैन एत्त रहिताए तऽ हम हुनका हार्दिक धन्यवाद दैतहुँ।
ष्यामानंद - आइ पटना आबै लाए ओकरा संवाद पठेने रहियै। संवाद भेटलै की नै। आएत की नै पता नै । ( मंजूरक प्रवेश। )
म्ंाजूर - (ष्यामानंद केँ ) परणाम हुजूर। (कर जोड़ि )
ष्यामानंद - परणाम परणाम।
म्ंाजूर - ( ब्रह्मदेव केँ ) परणाम हुजूर।
ब््राह्ममदेव - परणाम हुजूर।
म्ंाजूर - ( अनजारकेँ ) आदाब हुजूर।
अनजार - आदाब आदाब।
मंजूर - हुजूर सभ, हमरा आबैमे बड देरी भऽ गेल। क्षमा काएल जाउ। हुजूर ?टेने लेट छेलै।
ब्रह्मदेव - अच्छा चलू कोनो बात नै। बेसी लेट नै भेल। अहींक नाम मंजूर छी ने ?
मंजूर - जी हुजूर।
ब्रह्मदेव - हम सूचना आयुक्त छी। हम अहाँकेँ हार्दिक धन्यवाद दै छ। ( वाह! वाह! कहि पीठी ठोकै छथि। ) अहाँ जेकाँ अपन अधिकारक आ कर्त्तव्यक प्रति समर्पित नागरिक देशकेँ उद्धार कऽ देत। अपने केँ बहुत-बहुत धन्यवाद। ( हिन्दुस्तान पत्रकार पवन आ दैनिक-जागरणक पत्रकार महेशक प्रवेश। दुनु मंजूरक फोटो घीचै छथि आ गपसप करै छथि।)
पवन - मंजूर, ऐ कार्यालय मं अपनेकेँ की भेटलै ?
मंजूर - हुजूर। सूचना आयुक्तक साहाएब हमरा धनवाद देलकै।
महेश - जखन धन्यवाद नै दैतथि तहन ?
मंजूर - तखन हमरा हाकिम परसँ विशवास हटि जाइताए। हम बुझि जाइतहुँ जे बड़को आपिस बकवास अछि बेमतलब अछिै
पवन$महेश - धन्यवाद मंजूर भाइ।

प टा क्षे प

दृष्य - बारह
( स्थान - आई0 बी0 एन0-7 चैनलक मनेजर अखिलेशक आवास। उ मिथिला समाद पेपर पढ़ि रहल छथि। )
अखिलेश - मंजूर को प्रतिश्ठा
मंजूर ग्राम-पंचाइत राज रामपूर, प्रखंड-भगवानपुर, जिला-परसा ( परसा ) क स्थाई निवासी छथि। ओ अतिदीन रिक्शा-चालक छथि जे पूर्ण मुर्ख छथि। ओ इंदिरा आवासमे घुसखोरीक विरूद्ध आवाज उठेबामे सूचना कार्यालयसँ प्रतिष्ठा प्राप्त केलन्हि जइसँ सूचना आयुक्त ब्रह्मदेव हार्दिक धन्यवाद दैत पीठ ठोकलनि। ब्रह्मदेव कहलनि, ऐहेन कर्मठ नागरिक देशक उद्धार करत।
( अखिलेश किछु काल सोचिकऽ पेपर राखि दै छथि। )
म्ंाजूर मूर्ख एवं गरीब रहिकऽ ऐहन कठिन कदम उठौलनि देशक महान प्रेरणादायक काज केलनि। उ देशक अस्सल नागरिक छी। हुनका हमरा तरफसँ हार्दिक धन्यवाद आ अवार्ड परसु दिल्ली में भेटतन्हि। हम हुनका सपरिवार आबै-जाइक भाड़ा पठाए दै छियन्हि।
प टा क्षे प

दृष्य - तेरह
( स्थान - मंजूरक झोपड़ी। झोपड़ीमे मंजूर, नजीमा, बेटी सलमा, नाजीनी, खुशबू आ बेटा अजहर, जफर एवं अस्फाक उपस्थित छथिै मंजूर सपरिवार दिल्ली जेबाक विचार-विमर्ष काए रहल छथि। )
म्ंाजूर - गै नजीमा, अखिलेश अपना सभकेँ दिल्ली आबै-जाइक खर्च पठाए देलकौ, से जेबही ?
नजीमा - कथी लाए हौ ?
म्ंाजूर - से हमरो नै बुझल छौ। एक आदमी कहै छेलाए जे जाह दिल्ली, अखिलेश बड़का अबार देतह। कहाँदुन पेपरमे निकलल छेलै।
नजीमा - चल न देखियौ तऽ ओकरा केहेन छै ? हौ हमरा से कुच्छो पूछतै तऽ की कहबै ?
म्ंाजूर - जे फुरतौ से कहियै। उ कोनो नै बुझै हेतै जे मंरूख आ गरीबक भनसिया सधारणीमे केहेन होइ छै।
गै नजीमा, लोक सभ हमरा बड मजाक करै य जे दिल्ली जा न, रिक्षा पर बैसाक ऽ अन्नपूर्णा के खूम घुमबिहह।
नजीमा - हौ, अपना सभकेँ अपने गाम लऽ के नै तऽ चलि जेतै ?
मंजूर - नै गै, से तऽ नै बुझााइ छौ। चल नऽ बुझाल जेतै। बड़ बेसी तऽ अपना गाम लऽ जेतै। ऐ सँ बेसी की हेतै ? ओतै खाएब, पीसब आ मौज मस्ती मे रहबै बुझै छी ही, अखिलेश कत्तेक बड़का आदमी छै ?
नजीमा - हँ हौ, सुनै छिऐ बड़ीटा लोक छै। बियाह-तियाह करै लाए नै न कहतै।
मंजूर - नै गै, तूँ तऽ बूरबक जकाँ गप करै छें।
सलमा - बाबा, हमहुँ जेबौ तोरा सँडे. दिल्ली अखिलेश केँ देखै लाए।
अस्फाक - बाबा, हमहुँ ओकरेसँ बियाह करबै।
मंजूर - केकरासँ
अस्फाक - अखिलेशक साइर सँ।
मंजूर - धुर बुरबक, लोक हँसतौ।
खुशबू - बाबा, सभकेँ दिल्ली लऽ जेबहक आ हम घर पर असगरे रहबै ?
म्ंाजूर - सभ कियो चलबै बुच्ची राजधानी एस्प्रेससँ। ओइ टेनमे जाड़मं गरम आ गरममे जाड़ लगै छै।
गै नजीमा, तू सभ जल्दी तैयार होइ जो। आइ रातिमे पटनासे ओ टेन छै। फेद एत्ते दूर जेबाको छै न। लेट भऽ रहल छौ।
नजीमा - जाइ छियह तैयार होइ लाए। तोंहूँ जा झारा-झपटासँ भऽ आबह। तोरा खुच-खुच झड़े लगैत रहै छह।
मंजूर - अच्छा हम ओम्हरसँ अबै छी। तों सभ तैयार रह।

प टा क्षे प

दृष्य -चौदह
( स्थान - दिल्ली। मंच सजल धजल अछि । दर्षकक भीड़ अछि। अखिलेश आओर अन्नपूर्णा मंच पर उपस्थित छथि। अखिलेश नौकर किसुन मंच पर घुमि रहल छथि। अखिलेश आ अन्नपूर्णा पेपर पढ़ि रहल छथि।
किसुन - मालिक, ओ सभ एखन धरि नै पहुँचलथि की कारण भ सकै छै ?
अखिलेश - ट्रेनक टाइम आब भऽ गेलै आए। ओ सभ आबिते हाएत। ( सपरिवार मंजूरक प्रवेश )
मंजूर - परणाम हुजूर। ( अखिलश केँ )
अखिलेश - परणाम परणाम मंजूर भाइ।
मंजूर - परणाम मैडम।
अन्नपूर्णा - परणाम परणाम। बैसे जाइ जाउ।
( सब कियो कुर्सी पर बैसै छथि। )
अखलेश - मंजूर भाइ, सपरिवार नीके ना एलहुँ न ?
मंजूर - जी, बड नीकेना एलहुँ। राजधानी में चढ़ि हम सभ तइर गेलहुँ।
अन्नपूर्णा - मंजूर भाइ, ई के छथि ?
मंजूर - हमरे घरवाली छियै नजीमा।
अन्नपूर्णा - नजीमा बहिन, नमस्कार।
नजीमा - नमसकार बहिन।
अन्नपूर्णा - बहीन, उ सभ के छथि ?
नजीमा - सभ हमरे धिया-पुता छथि।
अन्नपूर्णा - बहुते धिया-पुता अछि। ऐ पर सुधार करू, बहीन।
नजीमा - की करबै, अल्लाक मर्जी।
अन्नपमूर्णा - सभकेँ नीक जेकाँ पढ़ाएब-लिखाएब।
अखिलेश - मंजूर भाई, आब अपना सबहक आयोजित कार्यक्रम पर ध्यान देल जाए।
मंजूर - जी हुजूर।
अखिलेश - समस्त दर्षक लोकनि,
अखिलेशक नव वर्शक हार्दिक षुभकाना आ अभिनन्दन। आइ ऐ देशक अहोभाग्य अछि जे मंजूर जेकाँ अपन अधिकार आ कर्त्तव्यकेँ बुझ वला प्रथम नागरिक हमरा सभकेँ प्राप्त भेल जे गरीब-गवार रहैत देशक भ्रश्टाचारीक विरूद्ध बीड़ा उठा कऽ अपन इमानदारी आ कर्मठताक परिचय दैत सफलता समस्त जनताक बीच समर्पित केलनि।
हम हिनक अहम भूमिकासँ प्रसन्न भऽ कऽ बेस्ट सिटीजन ऑफ द नेशन अवार्डक लेल चुनलहुँ आओर एखन षीघ्र हम हिनका अपन अवार्डसँ सम्मानित करबैन।
( थोपरीक बौछार भऽ जाइ य। )
मंजूर भाइ अपनेक दर्षक लोकनिकेँ किछु कहियौ।
म्ंाजूर - हम दर्षक भाइ सभकेँ की कहबैन। हम तऽ मुरूख छी। तहन अपनेक आज्ञा भेलै तऽ किच्छो कहि दै छियै।
हम तऽ इहाए कहब जे देशमे भ्रश्टाचारीके जनम जनता देलकै आ ओकर पालन-पोशण से हो जनते करै छै। जदी एकजूट भऽ कऽ सख्ती सँ एकर विरोध काएल जाए तऽ पक्का कहै छी जे ऐ महामारीसँ देशके मुक्ति भेटतै आ हमर देशक कल्याण हेतै तथा दुनिया में एक रनाम हेतै। ऐ से बेसी हमरा किच्छो नै फुराए य। धनवाद। ( फेर थोपरीक बौछार भऽ जाइ छै। )
अखिलेश - आब अपने सबहक समक्ष हम मंजूर भाइकेँ सम्मानित काए रहल छियन्हि।
( अखिलेश मंजूरकेँ फुल-माला अर्पित केलनि। थोपरीक बौछार भेल। अखिलेश मंजूरकेँ अवार्ड देलनि। थोपरीक फेर बौछार भेल। मंजूर अखिलेश केँ पाएर छुबि प्रणाम कर चाहैत छथि। मुदा अखिलेश मंजूरक हाथ पकड़ि लै छथि। )
मंजूर भाइ, सचमुच अपने ऐ देशक महान प्रेरक छियै। हमरा सँ बड पैघ छियै। आ हार्दिक प्रणाम।
म्ंाजूर - खुश रहु अखिलेश भाइ। अहाँकेँ हमर उमेर लगि जाए।
( मंजूर अखिलेश सँ गरदनि मिललथि आ नजीमा अन्नपूर्णा केँ पाएर छुबि प्रणाम केलक। थोपरीक बौछार भेल। )

प टा क्षे प

दृष्य -पनरह
( स्थान - मंजूरक झोपरी। मंजूर अपन भाए रमजानीसँ गपसप कऽ रहल छथि। )
रमजानी - भैया, की केना भेलै दिल्ली मे ?
मंजूर - बौआ, अखिलेश हमरा अबार देलकै आ फुल-माला हमरा पहिराकऽ नवाजलकै। लोकक बड भीड़ छेलै।
( चन्दन आ अमरनाथक प्रवेश। )
अमरनाथ - मंजूर भाइ नमस्कार।
मंजूर - नमस्कार , नमस्कार। मुखियाजी, परणाम।
चन्दन - परणाम , परणाम।
मंजूर - बैसल जाउ , सरकार सभ ।
( चन्दन आ अमरनाथ पीढ़ीया पर बैसलथि। )
अमरनाथ - मंजूर भाइ, खर्च-बर्च करू। अहाँकेँ इंदिरा आवासवला बीस हजार टाका आबि गेल आ मुखियाजी सेहो अपना तरफसँ पाँच हजार टाका दै छथि।
मंजूर - अमरनाथ भाइ, हमरा हरामक पाइ नै चाही हमरा अपन उचित पाइ बीस हजार चाही अप्पन पाइ मुखिया जी अपने रखथि।
अमरनाथ - मंजूर भाइ, अहाँकेँ मुखियाजीवला पाँच हजार लेमहि पड़त। उ अहाँकेँ पाँच हजार मदति में दै छथि।
मंजूर - एहेन मदति लेबाक मन नै होइ अए। कारण मुखियाजी समाजक संड. बड गददेदारी करै छथि।
चंदन - इएह लिय, पच्चीस हजार टाका।
मंजूर - लाउ, बड जिद्ध करै छी तऽ।
( चन्दन मंजूरकेँ पच्चीस हजार टाका देलनि। )
चन्दन - मंजूर भाइ, आहाँ सचमुच महान छी। हमर गलती के माफ काएल जाए।
मंजूर - गलती तखने माफ करब जखन अपने पब्लिक संड. नीक व्यवहार करब।
चन्दन - आब केकरो संडे. गलत व्यवहार नै करब।
मंजूर - तहन गलती माफ अछि।
अमरनाथ - धन्यवाद मंजूर भाइ।
( चन्दन आ अमरनाथक प्रस्थान। )
रमजानी - भैया, बड चौंसैठ छह मुखियाजी। एहेन घुसखोर नै देखल।
मंजूर - तैं न हमरा सनक गरीब आ मुरूख सँ घट्टी मानलनि।
रमजानी - भैया, तोरा एत्ते आगू बढ़ाबा मे किनकर यानगदान छै ?
मंजूर - बौआ, नेताजी विनोदक किरपा छैन। ओ गुदरीक लाल छथिन्ह। गरीब जरूर छथिनह मुदा सब तरहक बुधि में पारंगत छथिन्ह। गरीबक मसीहा छथि। उचितक लेल जी जान लगा दै छथिन्ह। ( नेताजी विनोदक प्रवेश। )
परणाम नेताजी।
विनोद - परणाम, परणाम। कह मंजूर कह रमजानी की हाल-चाल छै ?
रमजानी - अपनेक किरपा सँ बड बढ़ियाँ छै। नेताजी, भैयाकेँ खाली अबारेट भेटलै और कहाँ किछु भेटलै।
विनोद - कथी भेटतै ?
रमजानी - किच्छो पाइ-कौड़ी भेटतै तहन ने ?
विनोद - बौआ, प्रतिश्ठा से बढ़ि कऽ किछु नै छै। ओना पाइयो प्रतिश्ठाक सिंड.ार छियै। सेहो मंजूर केँ जरूर भेटतै।
मंजूर तों धैर्य राखह सेतोश राखह। सबटा धीरे-धीरे हेतै। बहुत ठाम तोहर सहयोगक चर्चा भऽ रहल छै।
मंजूर - नेताजी, अपने जेना कहबै। हम साएह करबै। नेताजी, अपने अपन अनुभव पब्लिककेँ किछु दैतिऐ त बड बढ़िया होइतै।
विनोद - हम कोन जोकरक छी जे पब्लिककेँ अपन अनुभव देबै। आइ-काल्हि कियो केकरोसँ कम नै छै। तैयो हम दू शब्द कहि दै छिऐ।
अशिक्षे कारण जनता सुयोग्य प्रतिनिधिक चयन नै कऽ पावै अछि, ताड़ीए दारूए पर बीकी जाइ अछि। स्वभाविक छै जे प्रतिनिधि क्षतिपुर्ती मे घुसखोरीक अश्रय लेत। ओइ घुसखोरीकेँ मेटाबऽ लेल हमरा लोकनिकेँ एकजुट भऽ कऽ शिक्षाकेँ सबसँ आगू बढ़ेनाइ अछि। हमरा नजरिमे सबटा अव्यवस्थाक मूल कारण अशिक्षा छै।
अशिक्षा हटतै तहने व्यवस्था सुधरतै आ देशक चहुँमुखि विकास हेतै।
अंत मे मंजूरकेँ हार्दिक बधाई दैत अपन दू शब्द खत्म करै छी।

जय हिन्द ! जय भारत !! जय शिक्षा !!!
पटाक्षेप (साभार विदेह)

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