विदेह मैथिली नाट्य उत्सव 'Videha Maithili Drama Festival'- the encyclopaedia of Maithili Stage and Drama/ VIDEHA PARALLEL MAITHILI THEATRE
Wednesday, August 24, 2011
बेचन ठाकुर -बाप भेल पित्ती
बेचन ठाकुर
\ श्रीसरस्वत्यै नमः
महान सामाजिक मैथिली नाटक
( बाप भेल पित्ती )
अंक - पहिल
ढृश्य - एक
( स्थान - लखनक घर। दलान पर लखन, लखनक कक्का मोतिलाल, भए बौहरू बड़का बेटा संतोष उपस्थित छथि। लखन चिन्तित मुद्रा मे छथि। सभ कियो चौकी पर बैस विचार-विमर्श कए रहलाह अछि। बारह वर्षीय मनोज आ दस वर्षीय संतोष दलान पर माटि-माटि खेल रहल आछ। )
मेतिलाल - लखन, चिन्ता फीकीर छोड़ू। की करबै ? भागवान के जे मर्जी होइत अछि, ओकरा के बदलि सकैत अछि ? अहाँक कनियां केँ एतबे दिनका भोग छेलै। आब अहाँक की विचार भऽ रहल अछि ?
लखन - कक्का, अपने सभ जे जेना विचार देबै।
मेतिलाल - हम सभ की विचार देब ? पहीने तऽ अहाँक अपन इच्छा।
लखन - दुटा छोट-छोट बौआ अछि। ओकर प्रतिपाल कोना हाएत ? जँ कुल कनियां नीक भेटत तऽ दोसर कऽ लइतहुँ।
मोतिलाल - भातीज, अहाँक नीक विचार अछि। ऐ उमर मे अहाँक निर्णय हमरो उचित बुझना जाइत अछि।
बौहरू - कक्का, एगो कहबी जे छै ‘‘ सतौत भगवानो के नै भेलै ‘‘ से ?
मोतिलाल - बौआ, तोहर की कहब छह ? लखनकेँ बियाह नै करबाक चाही की ?
बौहरू - हँ, हमर सएह कहब रहाए। भैया कने त्याग कऽ दुनु छोंराकेँ पढ़-लिखाकऽ बुधियार बनाबतथि। ओना भैयाकेँ कनियां केहेन भेटतनि केहेन नै।
मोतिलाल - हमरा विचार सँ लखनक परिस्थिति बियाह कर‘ वाला अवस्य अछि।
लखन - कक्का, नजरिमे दऽ देलौंह जदी सुर-पता लागए तऽ जोगार लगाएब।
मोतिलाल - बेस देखबै।
पटाक्षेप
दृष्य - दू
( स्थान - मदनक घर। ओ अपन बियाहल बेटीक बियाहक चिन्तामे लीन छथि। कातमे पत्नी गीता दलान झााड़ि रहल छथि। मोतिलालक समधिक समधि हरिचन मोतीलालकेँ मदनक ऐठाम कुटमैतीक संबंधमे लऽ जाए रहल छथि। हरिचन मदनक ग्रामीण छथि । हिनका दुनुक पहुँचैत मारत गीता घोघ तानि अन्दर चलि जाइत छथि। दलान पर तीन-चारि टा कुर्सी लागल छैन। मोतिलाल आ हरिचनक प्रवेश )
हरिचन - नमस्कार मदन भाइ। ( कर जोड़ि )
मदन - नमस्कार नमस्कार।
मोतिलाल - नमस्कार कुटुम।
मदन - नमस्कार नमस्कार । बैसै जाइ जाउ। ( दुनु जन बैसलाह। ) संजाय, संजय बेटा संजय, संजय।
संजय - ( अन्दरसँ ) जी पिताजी, इएह अएलहुँ। ( संजयक प्रवेश ) जी पीताजी।
मदन - अन्दर जाउ, दू लोटा पानि लेने आउ। ( संजय अन्दर जाक ‘ दू लोटा पानि आनैत छथि। ) हरिचन भाइ, कहु की हाल-चाल ?
हरिचन - बड्ड बढ़िया बड्ड बेस। सब उपरवालाक किरपा अछि। आओर अपना दिसुका। बाल बच्चा आनन्द ?
मदन - आओर सभ ठीके छै। खाली कहने जे रही बहुत पहिने। ओही चिंतामे डुमल रहै छी। भाइ हिनका नै चिन्हलियै।
हरिचन - ई छथि मोतिलाल बाबू, हमरे कुटुम छथि। अहींजे कहने रही; ओही संबंधमे अएलाह अछि। ई अपन भतिजकेँ अपने ऐठाम कुटमैती कर चाहैत छथि। हमही कहलियनि।
मदन - बेस, होनी हेतै, जूड़-बंधन हेतै तऽ अवस्स हेतै । लड़िकाके अपने देखने छियै ?
हरिचन - हँ हँ, किछुए दिन पहिने हमरा ओइठाम आएल रहथि।
मदन - लड़िका केहेन छथि ? अहाँके पसीन छैथ।
हरिचन - हँ हँ, लड़िका-लड़िकी जोगम-जोग अछि। खाली लड़िकाकेँ दूगो छोट-छोट बेटा छनि आ‘ पत्नी डिलेभरीए कालमे हॉस्पीटले दम तोड़ि देलखिन ।
मदन - भाइ, अहाँकेँ ई कुटमैती केहेन लागैत अछि ?
हरिचन - जदी हमरा पूछै छी तऽ हम इएह कहब जे कुटमैती बढ़िया हाएत। अहाँक लड़िकीयो तऽ विधबे छै। ओना ऐ सँ नीक कतौ नजरिमंे अछि तऽ हम के रोकनिहार ?
मदन - हम चाहैत रही कुमार लड़िका करै लाए।
मोतिलाल - हमहुँ चाहैत रही कूमारि लड़िकी करै लाए।
हरिचन - तहन ऐ दुनुके जीवन बेकार भऽ जाए; से नीक की ने ? जदी कुमार लड़िका नै भेटाए तहन ?
मदन - अपन कोशिश तऽ करबाक चाही।
हरिचन - से तऽ सत्ते। खाइर हमरा लोकनि चललहुँ। ( मोतिलाल आ‘ हरिचन जेबाक लेल तैयार भेलाह। )
मदन - हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, ( मुस्कुराइत ) औगतैयौ नै। कने अन्दर चलू। ( हरिचनकेँ मदन पकड़िकऽ अन्दर लऽ जाइत छथि । )
मदन - लड़िकाके बेटा दुगो छै। अपना भैरि कोनो दिक्कत नै छै आ‘ अस्था-पाती ?
हरिचन - गोटेक बीघाक अन्दरे छै। अपना भरि कोनो दिक्कत नै छै।
मदन - की करी की नै, किछु नै फुराइ आए।
हरिचन - हमरा सभकेँ लेट होइ आए। यदि विचार हुआए तऽ हुनका लड़िकी देखाए दियौन। नै तऽ कोनो बात नै ।
मदन - बेस अपने दलान पर चलू। हम बुच्चीकेँ लेने आबैत छी। ( हरिचन दलान पर आबि गेलाह किछुए काल बाद मदन सेहो आबि गेलाह। )
मदन - चलू, देखल जेतै। कऽ लेबै। आगू भगवानक मर्जी। हम लड़िकी के बाप छियै तें हमरा लड़िका देखबाके चाही। मुदा हम सब िदन अहाँ पर विष्वास करैम रहलहुँ। आइ कोना नै करब ?
हरिचन - हम अहाँक संड. विष्वासघात कएलहुँ ?
मदन - से तऽ कहिसो नै। ओना दूनिया विष्वासे पर चलै छै। ( वीणाक संग मीनाक प्रवेश मीना सभकेँ पाएर छुबि गोर लागैत आछि। )
हरिचन - कुर्सी पर बैसु बुच्ची। ( मीना कुर्सी पर बैसैत अछि। वीणा ठाढ़े अछि। ) मोतिलाल बाबू , लड़िकीकेँ किछु पूछबो करबैन , त पुछियौ।
मोतिलाल - की पूछबैन , किछु नै।
हरिचन - बुच्ची अहाँ चलि जाउ। ( मीना सभकेँ गोर लागि अन्दर गेलीह। )
मदन - हरिचन भाइ , लड़िकी अपने सभकेँ पसीन भेलीह ?
मोतिलाल - हँ लड़िकी हमरा लोकनिकेँ पसीन अछि।
मदन - तहन अगिला कार्यक्रम की हेतै ?
हरिचन - जे जेना करीयै। ओना हम विचार दैतहुँ जे बियाह मंदिरमे कऽ लैतहुँ। चीप एण्ड बेस्ट।
मदन - कहिया तक ?
हरिचन - कहिया तक , चट मंड.नी पट बियाह। काल्हिए कऽ लिअ। बढ़िया दिन छै। कुटमैती लगाकऽ नै रखबाक चाही।
मदन - भाइ , ओरियान कहाँ किच्छो छै ?
हरिचन - जे भेलै सेहो बढ़िया , जे नै भेलै सेहो बढ़ियां। आदर्शो मे आदर्श ।
मदन - बेस काल्हुके रह दियौ।
हरिचन - जाउ , जे भऽ सकाए , ओरियान करू। हम सभ सेहो जाइ छी। जय रामजी की।
मदन - जय रामजी की।
मोतिलाल - जय रामजी की कुटुम।
मदन - जय रामजी की। ( हरिचन आ मोतिलालक प्रस्थान। ) होनी जे हेबाक हेतै; सएह न हेतै। आप इच्छा सर्वनाशी , देव इच्छा परमबलः।
पटाक्षेप
दृष्य - तीन
(दृष्य - लखनक वरियातीक तैयारी। वर लखन , मोतीलाल , बौहरू , मनोज आ संतोश मदनक ओइठाम जा रहल छथि। मदन अपन घरक कातमे एकटा षिव मंदिर क प्रांगणमे बियाहक पूर्ण तैयारी कएने छथि। सात गोट कुर्सी आ एक गोट टेबूल लागल अछि। पंडीजी गणेश महादेवक पूजा कए रहल छथि। मदन,मीना,गीता,हरिचन,संजय आ वीणा मंदिरक प्रांगणमे थाहाथाही कए रहल छथि तथा वरियातीक प्रतिक्षा कए रहल छथि। मीना कनिया के रूप मे पर्ण सजल अछि। वरियाती पहुँचलाह डोलमे राखल पानि सँ सब बरायाती हाथ-पाएर धोइ कऽ कुर्सी पर बैसलाह आ लखन वरवाला कूर्सी पर बैसलाह। बापेक कातमंे एक्के कुर्सी पर मनोज आ संतोस बैसलाह। मदन प्रागणमे आबि जलखैक व्यवस्था केलनि। सभ कियो जलखै कऽ रहल छथि। )
मनोज - पापा , पापा , नाच कखैन सुरू हेतै ?
लखन - धूर बूरबक अखैन किछु नै बाज। लोक हँसतौ।
मनोज - किआए हौ , लोक हँसतै तऽ हमहुँ हँसबै। कह न नटुआ कखैन औतै ?
लखन -चुप चुप, नटुआ नै कही । लड़िकी औतै।
मनोज - काए गो लड़िकी औतइ ? आर्केस्ट्रा कखैन सुरू हेतै ? लड़िकी संड.े हमहुँ नचबै, गेबै आ रूमाल फाड़िके उड़ेबै। पापा हौ , लड़िकीके कहबै खाली रेकॉर्डिंग डांस करै लाए अगबे भोजपूरीए पर।
लखन - चूप बड खच्चर छें रौ। आर्केस्ट्रा नै हेतै डांस नै हेतै ।
मनोज - तखन एत की हेतै हौ पापा ?
लखन - हमर बियाह हेतै बियाह।
स्ंातोष - पापा हौ , तोहर बियाह हेतै आ हमर नै
लखन - हँ हँ , तोरो हेतै ।
स्ंातोष - कहिया हेतै।
लखन - नमहर हेबहीन तहन हेतौ।
स्ंातोष - हम नमहर नै छिऐे। एतेटा तऽ भऽ गेलिऐ। आब बियाह कहिया हेतै ?
लखन - बीस साल बाद हेतौ।
स्ंातोष - बीस साल बाद बूढ़े भऽ जेबै तऽ बियाह क के की हेतै ? हम आइए करब।
लखन - आइ तोरा लाए लड़िकी कहां छै ?
स्ंातोष - आइं हौ पापा तोरा लाए लड़िकी छै आ हमरा लाए नै छै। केकरोसे कऽ लेबै।
लखन - केकरासे करबिहीन ?
स्ंातोष - मौगी सब औतै न तऽ ओइमे जे सबसे मोटकी मौगी हेतै ; ओकरेसे करबै। दूधो खूब पीबै , नम्हरो हेबै आ मोटेबो करबै। पापा हौ , हमरा लोकनियामे तोरे रह पड़तह।
लखन - बेस रहबौ बौआ। ( जगमे पानि आ गिलास लऽ कऽ संजयक प्रवेश। सभ कियो पानि पीलनि आ हाथ-मूँह धोइ अपन-अपन जगह पर बैसलनि। पंडीजी पूजा पूर्णाहुतिक पश्चात वर लग बैस जलखै कएलाह। )
गणेश - अहाँ सभ विलंब किएक करै छी ? बियाहक मुहुर्त हुसि रहल अछि । हौ हौ जल्दी चलै चलू। कोनो चीजक टेम होइ छै की ने ?
( लड़िकी संड. सरयातीक प्रवेश फेर सभ कियो मंदिर पर गेलाह। सतह पर बिछाएल दरी पर बैसलाह। )
गणेश - आउ लड़िका-लड़िकी, हमरा लग बैसु। ( लखन आ मीना पंडीजी लग बैसैत छथि। पंडिजी दुनुकेँ अपन रमनामा वला चददरि ओढ़ा दैत छथिन्ह। दुन्नुके हाथमे आर्बा चाउर आओर कुश दै छथिन्ह ।)
गणेश - लड़िका - लड़िकी पढु --
मंगलम्् भगवान विष्णु , मंगलम गरूड़ध्वज: !
मंगलम् पुण्डरीकाक्ष , मंगलाय मनोऽहरि: !!
लखन $ मीना - मंगलम्् भगवान विष्णु , मंगलम गरूड़ध्वज: !
मंगलम् पुण्डरीकाक्ष , मंगलाय मनोऽहरि: !!
( पंडीजी तीनि बेर ई मंत्र पढ़ाकऽ अपन बगल मे राखल सेनुरक पुड़िया मे से एक चुटकी सेनूर लड़िकाक हाथ मे देलनि। )
गणेश - बियाहक मुहुर्त बीत रहल छल। तें हम एक्केटा मंत्र सँ बियाह कराए दैत छी। आब सिन्दुरदान होइ य । लड़िका , लड़िकीक मांड. मे सेनूर दियौन ।
( लखन मीनाक मांड. मे सेनूर देलनि। ) आब अपने सभ दुर्वाक्षत दियौन। ( पंडीजी पैध सबहक हाथ मे दुर्वाक्षत देलखिन । )
\ म्ंात्र - 0 आब्रह्मन ब्राह्मणो
मित्राणामुदयस्तव।
( मंत्रक बाद सभ कियो लड़िका-लड़िकी केँ दुर्वाक्षत देलखिन। ) लाउ , दुनु समधि दक्षिणा-पाती। सस्ते मे अहाँ सभ निमहि गेलौं।
( दुनु सतधि एकावन-एकावन टका दक्षिणा देलनि। ) इएह यौ एक्को किलो रौहक दाम नै । खइर जाउ।
मदन - पंडीजी लड़िका - लड़िकीकेँ आशीर्वाद दियौन । ( लड़िका - लड़िकी पंडीजीके पाएर छुबि प्रणाम करैत छथि। पंडीजी आशीर्वाद दैत छथिन्ह । )
मोतिलाल - पंडीजी मोनसँ आशीर्वाद देबै।
गणेश - हँ यौ , दक्षिणे गुणे न आशीर्वाद भेटत। ( सभ कियो जा रहल छथि। )
पटाक्षेप
दृष्य - चार
(स्थान - रामलालक घर । रामलालक दुनु पत्नी लक्ष्मी आ संतोषी घरमे हुनका सेवा कऽ रहल छथि। लक्ष्मी पक्षमे दूगो बेटी-एगो बेटा छैन। छओ भए-बहिन एक्के पब्लिक इस्कूलमे पढ़ै गेल छथि।)
रामलाल - लडकी , सभ धिया-पुता नीक जकाँ घर पर पढ़ै लिखै अछि न ? हम तऽ हम तऽ भिनसर जाइ छी से रातिमे आबै छी। पेटक पूजा तऽ बड पैघ पूजा छै की ने ? हम नै पढ़लहुँ से अखैन पछताइ छी।
लक्ष्मी - छउटाक लक्षण अखैन बड नीक देखै छियै ; अग्रिम जे हुुआए। हमरा सभकेँ पढ़ै कह नै पढ़ै अछि।
रामलाल - छोटकी , अहाँ किछु नै बाजै छी।
संतोषी - दुनु गोटे एक्के बेर देब त ऽ आहाँ की सुनबै आ की बुझाबै ?
रामलाल - कोनो तकलीफ अछि की ?
संतोषी - जेकरा आहाँ सन घरवाला रहतै ; तेकरा तकलीफो हेतै आ अहुँसँ होशगर कड़की छथि। स्वामी , एगो गप्प पूछी ?
रामलाल - एक्के गो किआए , हजारगो पूछिते रहू।
संतोशी - अहाँ , एहेन चिक्कन घरवालीके रहैत दोसर बियाह किआए केलियै ?
रामलाल - बड़कीसँ बेटा होइमे किछु विलंब देखलियै तैं दोसर केलियै।
संतोशी - नै यौ , दोसर गप्प भऽ सकै छै।
रामलाल - हमरा तऽ नै बुझल अछि ; अहीं बाजू दोसर की भ सकै छै ?
संतोशी - अहाँकेँ अहाँकेँ अहाँकेँ एगोसे मोन नै भरल ।
रामलाल - बस करू , बस करू , अहाँ तऽ लाल बुझक्करिछी। अहाँ त अंतर्यामी छी । ओना मोनकेँ जत्त दौड़ेबै ; ओत्त दौड़तै।
मन नही देवता ; मन नही ईष्वर,
मन से बड़ा न कोय ।
मन उजियारा जब जब फैले,
जग उजियारा होय ।। ( इसकुल पोषाकमे सोनिक प्रवेश । )
सोनी - पापा , पापा , इसकुलक फीस दियौ।
रामलाल - माएकेँ कहियौ बुच्ची।
सोनी - माए , इसकूलक फीस दहिन ।
लक्ष्मी - कत्ते फीस लगतौ ?
सोनी - तों नै बुझै छीही छ गो विधार्थीक छ साए टका ।
लक्ष्मी - छोटकी , जाउ ; दऽ दियौ ग।
संतोशी - बेस लेने अबै छी।
( संतोशी अन्दर जाक छ साए टाका आनि सोनीकेँ देलनि आ फेर पति सेवामे भीर गेलीह। )
रामलाल - छोड़ै जाइ जाउ आब । अंगना-घर देखियौ। अहुँ सभकेँ कनी काज होइ छै।
( दुनु पत्नी चलि गेलीह। )
पटाक्षेप
दृष्य - पाँच
( स्थान - रामलालक घर । रामकान्तक संड. बलदेव वार्ड सदस्यक प्रवेश । )
बलदेव - ( दलान पर सँ ) रामलाला भाई , रामलाल भाई।
रामलाल - ( अन्दरे सँ ) इएह अएलहुँ भाई । दलान पर ताबे बैसु । जलखै काएल भए गेल
बलदेव - मुखियोजी अएलाह , कने जल्दीए एबै ।
रामलाल - तहन तुरन्त अएलहुँ। ( हाथ - मुँह पोइछते प्रवेश । प्रणाम-पाती कऽ अन्दर सँ दूटा कुर्सी आनलनि । रामकान्त आ बलदेव कुर्सी पर बैसलनि मुदा रामलाल ठाढ़े छथि । )
रामलाल - मुखियाजी , आइ केमहर सूरूज उगलै ? आइ रामलाल तरि गेल सरकार। कहियौ सरकार हम कोना मोन पड़लहूँ । इनरा आवासवला कोनो गप्प छै की ?
बलदेव - गप्प तऽ इएह छै । मुदा पहिने कुशल-छेम , तहन ने अगिला गप सप। कहु अपन हाल-समाचार ।
रामलाल - अपने सबहक किरपासँ हमर हाल-समाचार बड्ड बढ़ियां अछि। भइ , अपन हाल-चाल कहु।
बलदेव - भाइ एकदम दनदनाई छै।
रामलाल - आ मुखियाजी दिषिका ।
रमाकान्त - हमरो हाल-चाल बड बढ़ियां अछि। ओएह एलेकसन नजदीक छै तें पंचायतमे घुमनाई आवष्यक बुझलहुँ । संडे. संड. अहुँक काज राहाए।
रामलाल - तहन अपने किआए एलियै हमही चलि आबितहुँ ।
रमाकान्त - देखियौ , जनता जनार्दन होइ छै । पहिने जनता तहन न हम। जनता मुखियाकेँ बड आषासँ चुनै छै।
रामलाल - अपने महान छियै । अपनेक आगू हम की बजबै ?
बलदेव - मुखियाजी , कने ओकरो ऐठाम जाइके छै। हिनकर काज जल्दी कऽ दियौन ।
रमाकान्त - तहन दऽ दियौन। ( बलदेव बेगसँ बीस हजार टाका निकालि रामलालकेँ देलखिन । )
रामलाल - ( पाँच साए टाका निकालि ) मुखियाजी , ई अपने राखि लियौ ।
रमाकान्त - नै , ई नै भऽ सकै आए। ई अपने रखियौ । हमरा पेट लाए बहुत फंड छै । कहबी छै - ओएबे खइ जइसे मोंछमे नै ठेकाए ।
रामलाल - भगवान , एहेन मुखिया सगतर होइ।
बलदेव - रामलाल भाइ , जत्त-तत्त सुनै छी अहाँक परिवार चलेनाई आइ-काल्हि असंभव अछि।
रामलाल - सब भबवानक किरपा छैन आ अपन करतब तऽ चाहबे करी।
रमाकान्त - हमरा लोकनि जाइ छी। जाउ , अहुँ अपन काम-काज देखियौ ।
( रमाकान्त आ बलदेवक प्रस्थान )
रामलाल - धन्यवाद बलदेव भाइ , धन्यावाद मुखियाजी एहिना सभ जनता पर खिआल रखबै।
पटाक्षेप
दृष्य - छह
( स्थान - लखनक घर । मीना अपन बेटी रामपरी आ बेटा कृश्णा संड. बैडमिंटन खेल रहल अछि। )
रामपरी - मम्मी , कसिके मारहीन न । कॉर्क नै उड़ै छै ।
मीना - बेसी कसिके मारबौ तऽ कॉर्क पोखिरि मे चलि जेतौ।
रामपरी - मम्मी , मन नै लगै छै। कम-से-कम बौओ जकाँ बमकाही न ?
( मनोजक प्रवेश )
मीना - ओएह , एलौ सरधुआ भाँड़ै लाए ।
रामपरी - आब , दहीन न मम्मी । भाइजी छथिन्ह ।
मीना - भाइजी छथिन्ह । कप्पार छथिन्ह । कॉर्क फुटि जेतौ तऽ आनिके देतौ ?
रामपरी - मम्मी , भाइजी कत्तसँ आनिके देतौ तोंही कह तऽ । आकी पापा आनि देथहीन ।
मीना - पापाकेँ हम जे कहबै से करथुन्ह। तोहर कहल नै करथुन्ह ।
रामपरी - मम्मी , ई गप्प तोहर नीक नै भेलौ आ पापोकेँ नीक नै भेलनि ।
मीना - तों पंचैती करै लाए एलें की बैडमिंटन खेलै लाए एलें ? खेलबाक छौ तऽ खेल नै तऽ जो एत्तसे।
रामपरी - तोंही सब खेल , हमज ाइ छी।
( खीसियाक रामपरीक प्रस्थान रामपरीवला बैटसँ मनोज बैडमिंटन खेल लगै अछि। मीना बैटसँ ओकर मारै लाए छुटै अछि। मनोज बैट छोड़ि कऽ भागि जाइ अछि। फेर दुनु माय-पुत बैटमिंटन खेल लगैत अछि। )
कृश्णा - मम्मी , तोरा दीदी जेकाँ खलल नै होइ छौ। कने पापाकेँ कहबीन सीखा दै लाए से नै।
मीना - बौआ , पापा हमरा की सीखेथुन्ह हमही सीखा दै छियै।
कृश्णा - तेकर माने तों पापा से जेठ छीही ?
मीना - उमरमे भलेंही छोट हाएब मुदा अकलमे निष्चित जेठ।
( संतोशक प्रवेश )
स्ंातोश - हमहुँ खेलबै कृश्णा । ( बैट लऽ कऽ खेल लगै अछि। झटसे मीना संतोशक हाथसँ हाथ मोचरिकऽ बैट लऽ लैत अछि। टुनकीवाला आ मुड़ीमचरूआ कहि बैटसँ मारि लाए दौड़ैम अछि। संतोश भागि जाइ अछि। ओइ पर खीसियाकऽ कृश्णा एक बैट मम्मीकेँ बैसा दैत अछि। )
कृश्णा - तों बड खच्चर छें मम्मी । खेलल-तेलल होइ छौ नहिए आ जमबै छें । अखैन संतोश भाइजी रहितै तऽ खूम बैडमिंटन खेलतौं की नै।
मीना - संतोशबा तोहर भाइजी नै छियौ। जेकर छिऐ से बुझतै । तोरा ओकरासे कोनो मतलब नै।
कृश्णा - किआए मम्मी ? उहो तऽ हमरे पापा के बेटा छिऐ न ? (साभार विदेह)
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