प्रियंका
कुमारी (प्रियंका कुमारीकेँ विदेह हास्य अभिनय सम्मान- २०१२ देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार
लेलनि।)
बे.ठाकुर- अहाँकेँ ऐ कार्यक प्रति रुचि केना आ कहियासँ जगल?
प्रियंका- हमरा ऐ कार्यक प्रति आेइ दिन रूचि जागल जखन हम छोटे धिया-पुता छलौं।
देखैत छलौं जे नाटकमे केना लड़िकी केकरो बेटा बनि गेल तँ माए बनि गेल। एनाहिते
सभ लड़िकी मिलि कऽ नाटक करैत छलीह। ई सभ देखलापर हमरा बुझैमे आएल जे कोनो लड़िकी
दस गोटेक बीच बजेमे सुकुचाइत रहैए। मुदा ओही लड़की जखन सबहक सामने कनिये दिनक बाद
नाटक खेलाइत देखलौं, सबहक सोझामे बजैत देखलौं। धाक टुटैत देखलौं। नीक-नीक रौल करैत
देखलौं। हमरो मनमे आएल जे हमहूँ दस गोटेक बीचमे बाजी। आ धीरे-धीरे ई काज शुरू
केलौं। आइ ओकर फल हमराे भेट गेल। आइ हमहूँ दस गोटेक बीच बाजए लगलौं।
बे.ठाकुर- ऐ
कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
प्रियंका- ऐ कार्य करबामे पहिने तँ हमर घरक गारजन प्रोत्साहित करै छथि जे
ओ ऐ कार्य हेतु आज्ञा दैत छथि। जौं ओ कोनो काजक महत नहियो बुझै छथि तँ कोनो
बुजूर्ग द्वारा बूझि-समझि कऽ ओकर महत हमरो बुझा प्रोत्साहित करै छथि।
बे.ठाकुर- अहाँकेँ कार्य करबामे की प्रोत्साहित करैत अछि?
प्रियंका- हमर मन, इच्छा आ लगाउ।
बे.ठाकुर- पहिल बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं आ कहियासँ?
प्रियंका- 2005 ई.मे पहिल बेर हम नाटकमे ओ रौल लैत रही जइमे मंचपर बाजए नै
पड़ए।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन काजमे १.“सोच”,
२.“कोनो पुरान वा नव लीख” वा ३ “शिल्प” ऐ तीनूमे सँ केकरा प्रधानता दै छी?
प्रियंका- मिलि-जुलि कऽ कार्य करएबला सोच।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन काजक दिशाकेँ, रूपकेँ एक पाँतिमे कोन रूपमे वर्णन करब।
प्रियंका- ऐ तरहक कार्यक्रम एनािहये जारी रहए, हमरा संग आरो सखी-बहिनपा
सोझाँ औतीह, कला-संस्कृतिक विकास सामुहिक रूपेँ हएत।
बे.ठाकुर- अहाँक काजक समाजमे कोन स्थान छै? की ऐसँ समाजमे परिवर्तन एतै?
प्रियंका- हमरा सनक लोककेँ देखि जिज्ञासा बढ़तै, विश्वास जगतै। परिवर्तन
हेतै।
बे.ठाकुर- अहाँ जइ विधामे लागल छी ओकर की व्यक्तिगत विशेषता छै, ई ऐ क्षेत्रमे कार्यरत दोसर लोकक काजसँ कोन अर्थे भिन्न छै?
प्रियंका- कोंचिगमे
पढ़ै छी बेचन सर लग, वएह ई कार्यक्रम करबै छथि। सुविधा अछि, माँ-बाबू जीक सहयोग
भेटैए। तँए ई हमरा लेल विशेष अछि।
बे.ठाकुर- अहाँक विधाक क्षेत्रमे आन के सभ छथि आ ओ कोन तरहक विशिष्ट काज कऽ रहल छथि?
प्रियंका- संवंधित विधाक क्षेत्रमे बहुतो गोटा छथि जेना कि श्री बेचन
ठाकुर।
बे.ठाकुर- की
अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
प्रियंका- हमरा ऐ कार्यसँ हमर जीवन-यापनक कार्जमे कोनो बाधा नै पहुँचैत अछि
बल्कि सहायता होइत अछि।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
प्रियंका- पढ़ेमे आ घरेलू काजमे सेहो रूचि अछि।
बे.ठाकुर- कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
प्रियंका- अहू कार्यकेँ आवश्यक बूझक चाही।
परिचए- सुश्री प्रियंका कुमारी, पिताक
नाओं श्री बैद्यनाथ साह, गाम- सिमरा, पत्रालय- सिमरा, भाया- झंझारपुर, जिला-
मधुबनी (बिहार)। १६ वर्षीय प्रियंका दसम वर्गक छात्रा छथि। पंचायत स्तरपर अपन
नीक प्रदर्शन लेल पुरस्कृत भऽ चुकल छथि। जे.एम.एस., कोचिंग सेन्टर, चनौरागंज केर
प्रांगणमे सरस्वती पूजाक अवसरपर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रममे हास्यक
क्षेत्रमे हिनका प्रतिष्ठा भेटलनि। विदेह हास्य कला सम्मान- २०१२ सँ
सम्मानित करैत विदेह परिवार प्रसन्न अछि।
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