दुर्गा नन्द ठाकुर (दुर्गा
नन्द ठाकुर जी केँ विदेह हास्य अभिनय सम्मान- २०१२ देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)
बे.ठाकुर- अहाँकेँ ऐ कार्यक प्रति रुचि केना आ कहियासँ जगल?
दु.न.ठा- ऐ
कार्यक प्रति हमरा बचपनेसँ लगाउ अछि, जखन हम छठा-सतमामे पढ़ैत रही। गुरुदेव श्री
बेचन ठाकुर जीक विद्यालयमे पढ़ैत रही जतए प्रति वर्ष कार्यक्रम होइत अछि। आेइ
कार्यक्रमकेँ देखि कऽ हमरो मनमे अभिनय करबाक इच्छा भेल। एकबेर हम अपन
गुरुदेवकेँ ‘उगना’ नाटकमे उगनाक पाट खेलैत देखलौं जइसँ हम काफी प्रभावित भेलौं आ
हमरो मनमे हास्य अभिनयक रूचि जागि गेल।
बे.ठाकुर- ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
दु.न.ठा- ऐ
कार्य करबामे हमरा हमर गुरुदेव बेचन ठाकुर प्रोत्साहित करै छथि।
बे.ठाकुर- अहाँकेँ कार्य करबामे की प्रोत्साहित करैत अछि?
दु.न.ठा- हमरा ऐ
कार्य करबामे हमर गुरुजी बेचन ठाकुर जीक मार्गदर्शन आ प्रोत्साहन हमरा प्रोत्साहित
करैए।
बे.ठाकुर- पहिल बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं आ कहियासँ?
दु.न.ठा- पहिल
बेर लगभग सात-आठ साल पहिने अही रंगमंचपर एकटा व्यंग्यात्मक कवितासँ आरम्भ
केलौं।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन काजमे १.“सोच”, २.“कोनो पुरान वा नव लीख” वा ३ “शिल्प” ऐ तीनूमे सँ केकरा प्रधानता दै छी?
दु.न.ठा- हम अपन
काजमे सोचकेँ प्रधानता दइ छी।
बे.ठाकुर- अहाँक काजक समाजमे कोन स्थान छै? की ऐसँ समाजमे परिवर्तन एतै?
दु.न.ठा- हमर
काजसँ समाजमे व्याप्त तनाव किछु कालक लेल कम भऽ जाइत अछि। अगर हमरा काजसँ
एक्को आदमीक मन प्रसन्न होइत अछि तँ हम बुझै छी जे हम किछु विशिष्ट कार्य
केलौं। अखुनका समैमे लोककेँ दुखे-दुख आ तनावे-तनाव अछि। तँए अगर लोक एक-दोसरकेँ
प्रसन्न कऽ दैत अछि तँ हम बुझै छी जे ऐ काजसँ समाजमे परिवर्त्तन जरूरे हेतै।
बे.ठाकुर- अहाँ जइ विधामे लागल छी ओकर की व्यक्तिगत विशेषता छै, ई ऐ क्षेत्रमे कार्यरत दोसर लोकक काजसँ कोन अर्थे भिन्न छै?
दु.न.ठा- हमर ऐ
विधामे व्यक्तिगत विशेषता ई अछि जे सदिखन लोककेँ खुश रखैक प्रयास करैत छी।
जेना हमर जीवन-यापनक पेशा अध्ययन-अध्यापन अछि आ ऐ क्षेत्रमे हम सेहो अपना विद्यार्थीकेँ
हँसा-खेला कऽ पढ़बैत छी। ऐ क्षेत्रमे कार्यरत किछु लोक पाइ लेल काज करैत छथि तँ
किछु प्रतिष्ठाक लेल मुदा हम अपन आ दोसराक मनोरंजन लेल ई काज करै छी।
बे.ठाकुर- अहाँक विधाक क्षेत्रमे आन के सभ छथि आ ओ कोन तरहक विशिष्ट काज कऽ रहल छथि?
दु.न.ठा- हमरा
विधाक क्षेत्रमे दयानन्द, संजय आदि ऐ संस्थानक छात्र सभ अछि ओ सभ अखन इंजीनियरिंग कऽ रहल छथि।
बे.ठाकुर- की अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
दु.न.ठा- हमर ई
काज घरेलू अा जीवन-यापनक काजमे कोनो बाधा नै पहुँचबैए। ई काज हम सदिखन नै बल्कि
मौका भेटलापर करै छी आ ऐ काजसँ हमरा सहायता ई भेटैए जे हमहूँ तनावमुक्त भऽ जाइ
छी।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
दु.न.ठ- हमर आन
रूचि, अखबार पढ़नाइ आ काॅमेडी शो देखनाइ अछि।
बे.ठाकुर- कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
दु.न.ठ- हम
संदेश देबाक योग्य तँ नै छी मुदा एतेक जरूरे कहब जे हमरा सभकेँ अप्पन मातृभाषाक
विकासमे पूर्ण योगदान देबाक चाही।
परिचए- श्री दुर्गानन्द ठाकुर, पिताक
नाओं- स्व. भरत ठाकुर, गाम+पोस्ट- चनौरागंज, भाया- झंझारपुर, जिला- मधुबनी, बिहारक
स्थायी निवासी छथि। दुर्गानन्दजी अंग्रेजी विषयसँ बी.ए. कएने छथि। आर्थिक
रूपसँ पछुआएल रहलाक कारणे निजी अध्यापन कार्य करैत परिवारक भरन-पोषन करैत छथि।
जे.एम.एस. कोचिंग सेन्टर, चनौरागंजक विश्वसनीय छात्रमे अग्रगण्य छथि। हिनक
हास्य प्रदर्शन दर्शक वृन्दकेँ बड्ड चोटगर लगैत छन्हि। विदेह हास्य सम्मान-
२०१२ सँ सम्मानित करैत विदेह परिवार प्रसन्नताक अनुभव कएलक अछि।
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