नव लेखक आ नव निर्देशक (द्व्य) दिल्लीक मैथिली रंगमंच मे अपन उपस्थिति दर्ज करेलाह.... एकटा वरिष्ठ रंगकर्मीक मूह स बहुत पहिने सुननए रही आ अपनो अनुभव कहैत अछि जे नाटक करब आ कन्यादान दुनू बराबरे छैक.... सेहो दिल्ली एहन शहर मे ...... एहन परिस्थिति मे युवक आ युवती सब आपस मे चन्दा क क आयोजन केलाह आ सफल मंचन सेहि भेलाह ।
हमर भाग्य जे हमरो अहि प्रस्तुतिक सहभागी बनक मौका भेटल....... नेप्थ्यय स काज करक ।
हठात जेना फेर स गाम पहुंच गेल हो ......... वाएह बांस बल्लाक अस्थायी मच. पर्दा, साउंड आ लाईटक आभाव, कलाकारक वाएह जोश...... सब किछु देखय मे आएल्.... जेना आई स 15 वर्ष पहिने (वा आईयो जखन गाम मे नाटक करैत छी) जतय स नाटकक जीवन शुरू केने रही... ओह....
मोन भेल जे ओतहि ठहरि जाई.... राति 10.30 मे नाटक शुरू भेल आ खतम भेल 2.30 मे..... फेर भोर मे घाट पर जाईक लेल सीमापुरी स विनोद नगर एलहु..........
नाटकक कलाकार के देख क लागल जे कला ठीके नैसर्गिक होइत छैक.... अजित, शिखा, संतोष जी, जितेन्द्र जी, नारयण जी क अभिनय एकोरती अप्रशिक्षित कलाकारक नहि लागल........
अस्तु, दिल्ली मे गाम देखल....... मोन मे भेल जे ठीके आब मा मैथिली प्रवासे मे आबि गेलीह कारण राजधानी मे कम स कम मैथिली रंगमंचक सब रूप देखना मे अबैत अछि............ आगु फेर कखनो......
सौजन्य पवन कान्त झा (काश्यप कमल ) |
सौजन्य पवन कान्त झा (काश्यप कमल ) |
सौजन्य पवन कान्त झा (काश्यप कमल ) |
सौजन्य पवन कान्त झा (काश्यप कमल ) |
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