Saturday, December 31, 2011

भऽ जाएब छू- (बाल चौबटिया-सड़क नाटक) गजेन्द्र ठाकुर

भऽ जाएब छू- गजेन्द्र ठाकुर

(बाल चौबटिया-सड़क नाटक)


सूत्रधार: आउ, आउ। ऐ चौबटिया नाटक, सड़क नाटक देखबाले आउ।
(सूत्रधार लोक सभ दिस तकै छथि।| हमर कलाकार सभ गप-शप करैत हल्ला जेकाँ करैत छथि।)
भीड़सँ आएल पुरुष कलाकार: (कलाकार सभक गोलसँ बहार भऽ निकलैत)- की हौ। की सभ बाजि रहल छह हौ। की छिऐ ?
सूत्रधार: सभ जुमि कऽ आउ। घेराबा बना लिअ। मैथिली चौबटिया नाटकले घेरा बना कऽ ठाढ़ भऽ जाऊ। चोटगर नाटक हएत।
भीड़सँ निकलि कऽ आएल दोसर महिला कलाकार: चल रे चल। एकरा सभक मैथिली नाटक हेबऽ दही। नाटक देखलासँ भोजन चलतौ रौ।
सूत्रधार: नै यै दाइ। भुखलेबला लेल ई नाटक छै। पेटक भूख, मोनक भूख आ बोलीक भूख।
महिला कलाकार: से छै। तखन आबै जाइ जो।
सूत्रधार: आबै जाउ, आबै जाउ। आइ हएत बच्चा, किशोर, युवा, प्रौढ़ आ बूढ़क लेल नाटक। स्त्री-पुरुषक लेल नाटक। चिड़ै-चुनमुनी लेल नाटक, गाछ-बृच्छ लेल नाटक, हबा-बसात लेल नाटक। सूर्य-चन्द्र-तरेगण लेल नाटक। मूर्त-अमूर्त लेल नाटक। देश लेल नाटक। निन्न आ सपना लेल नाटक।
(महिला सूत्रधार बिच्चहिमे आबि जाइ छथि। भीड़सँ आएल वएह महिला कलाकार महिला सूत्रधार बनि सकै छथि।)
महिला सूत्रधार: हे। सोझे कहू ने जे ककरा लेल ई नाटक नै छै। एना पैघ-पैघ गप किए दऽ रहल छी।
सूत्रधार: कोनो नाम छुटि गेलै की ?
महिला सूत्रधार: यएह लिअ। सेहो हमहीं कहू। आब ताम-झाम शुरू करू आ देखाउ जे की विस्तार लेने अछि ई नाटक।
सूत्रधार: बेस तँ शुरू करू।

(कलाकार सभ एक दोसरामे मिज्झड़ भऽ एक-एकटा फराक पाँती बनबैत छथि। छोट, किशोर, युवा आ बूढ़क पाँती। स्त्री-पुरुषक पाँती। चिड़ै-चुनमुनी जेकाँ छोट बौआ आ छोट बुच्ची बजैत अछि। किशोर सभ हाथमे गाछ-बृच्छक हबा-बसातमे हिलैत पातक फोटो लऽ लैत छथि। युवा पुरुष सूर्य-तरेगणक फोटो आ युवा स्त्री-चन्द्रक फोटो लेने अबैत अछि लेने अछि तँ बूढ़ आ बूढ़ी भूत-प्रेत, भगवान आ स्वप्नक फोटो हाथमे लऽ लैत छथि।)

१ छोट बौआ: हम ओम। हम चिड़ै। नै भगजोगनी।
२ छोट बुच्ची: हम आस्था। हम चुनमुनी। हा हा (हँसैत)। भगजोगनी।
३ किशोर बौआ: हम जयन्त। हम गाछ।
४ किशोर बुच्ची: हम अपाला। हम बृच्छ। हेँ हेँ (हँसैत)।
५ युवा: हम विजय। हम सूर्य तरेगण।
६ युवती: हम विजया। हम चन्द्र माने चन्दा। खी-खी (हँसैत)।
७ वृद्ध: (थड़थड़ाइत) हम नेकलाल। हम भूत-प्रेत-राकश...।
८ वृद्धा: हम रामवती। हम स्वप्न माने कल्पना। हम...हम...हम...।
(कल्पनाक भाव-भंगिमा तीन बेर करैत छथि।)
सूत्रधार: अहाँ सभक काज की ?
महिला सूत्रधार: अहाँ सभक काज की ?
(आब छोट बौआकेँ –ओमकेँ- १ छोट बुच्ची- आस्थाकेँ- २ एना ८ धरि कहब।)

१ सँ ८ (संगे-संग): हम सभ कोनो काजकेँ ढंगसँ कऽ देब, कहि कऽ तँ देखू।

महिला सूत्रधार: चिड़ै-चुनमुनी, दुनू गोटे आउ आ भगजोगनी बनि जाउ।
(१ सँ ८ संगे-संग चिकड़ऽ लगैत अछि। तखने १ आ २ झोंझसँ निकलि कऽ बगलमे राखल झोरासँ भगजोगनीक फोटो आ दूटा लेजर लाइट लऽ अनै छथि आ शेष छह गोटे एकटा चद्दरिसँ दुनू गोटेकेँ अढ़ कऽ दै छथि।)

१ : (लेजर लाइट बड़बै छथि): कतऽ छी आस्थू।
२ : (चद्दरिसँ बहार भऽ लेजर लाइट बड़बैत) हमदेख लेलौं ई संकेत। हम ओतऽ छलौं झोँझमे।
१ आ २ (संगे संग बजैत): हँ भऽ गेल।
७ आ ८ (संगे बजैत): की भऽ गेल?
१: देखलौं नै जे कोना प्रकाशसँ हमसभ एक दोसराकेँ ताकि लेलौं।
७: ई तँ जखन हम मनुक्ख रही, माने मुइलाक पहिने, तखन खूब प्रयोग करैत रही। की यै रामवती।
८: करैत तँ रही, मुदा प्रकाश संग कतेक गर्मी आबि जाइ छलै। गुमारसँ जान चलि जाइ छल।
७: हे, प्रकाश हेतै तँ गर्मी तँ बहार हेबे करतै।
८: नेकलालजी।  सोलह आना ऊर्जामे सँ पन्द्रह आना गर्मी आ एक आना मात्र प्रकाश आनै छलौं अहाँ। बड़का वैज्ञानिक बनै छलौं। प्रकाश तँ आबै छल मुदा गुमारसँ जान चलि जाइ छल।
७: अहाँ तँ छीहे कल्पना। मुइलाक बाद तेँ ने बनि गेलौं कल्पना।
८: आ तेँ ने अहाँ बनि गेलौं भूऽऽऽऽऽत, प्रेऽऽऽऽऽत, राकश।
७: (कने तमसाइत) हे तँ अहीं कहू जे प्रकाश बिन गर्मीक भेट सकैए। (लोकसभ दिस हाथ पसारि कऽ तकैत अछि)
५: (सोझाँ अबैत): नै, ई सम्भव नै अछि।
६: ई सम्भव अछि विजय।
५: आबि गेली विजया!!! (आश्चर्यसँ हाथ पसारैत अछि।) हिनकासँ कने पूछू जे हिनका लग अपन प्रकाश छन्हि की?
८: नै छन्हि मुदा तैयो रातिमे जे हिनकासँ इजोरिया छिटकैए से ठंढा तँ लगिते अछि।
७: हा!!! कल्पना!!! अपने फुरेने बजैत जाउ…बजैत जाउ…!!!
८: अहाँ जँ जिबैतेमे हमर गप सुइतौं, कल्पना करितौं तँ बना सकितौं बिन गुमारबला प्रकाश। ठंढ़ा प्रकाश।
७: सुनऽ हौ ओम-आस्था, बिन गुमारबला प्रकाश !! (आश्चर्य प्रकट करैत हाथ पसारैत अछि।) आब तोँहीं सभ बताबह जे बिन गुमारबला प्रकाश सम्भव नै छै।
१ आ २ : (आशचर्यसँ हाथ पसारैत) प्रकाशसँ गर्मी निकलतै तँ भगजोगनी तँ मरिये जेतै।
८: तखन तों सभ कोना जीवित छह।
१: माने?
२: प्रकाश तँ ठंढ़ा होइ छै।
१: हमर पुछरीसँ बहराइए प्रकाश, शीतल प्रकाश।
२: करैए मोन ठंढ़ा। दैए संकेत आ ताकि लै छी हम सभ एक-दोसराकेँ।
८: ओह, हम तकैत रहि गेलौं रातिमे दूर देशक चन्द्रमा आ करैत रहि गेलौं कल्पना। मुदा अहाँ नेकलाल, किए नै देख सकलौं रातिमे घुमैत भग जोगनी सभकेँ।
७: असफल वैज्ञानिक छी हम। राकश बनि घुमै छी, प्रकाशक ऊर्जासँ जड़ै छी। कल्पने, हम नै कऽ सकलौं कल्पना, नै तँ बनि जइतौं भगजोगनी।
८. जे पूरा कऽ दैतौं अहाँ हमर ओ कल्पना तँ हमहूँ बनि जइतौं भगजोगनी, । नै कटितै एतेक रास गाछ-बृच्छ, बोन देखू कतेक दूर भेल देखाइए (दूर बाध दिस आंगुर देखबैत अछि।)

३ आ ४ (समवेत स्वरमे) असगर भऽ गेल छी हम सभ। सूर्य तरेगन चन्द्रमा सन असगर।

(ऐ दुनूकेँ छोड़ि कऽ सभ कलाकार भीड़मे मिज्झर भऽ जाइ छथि।)
४: असगरे रहि गेल छी हम सभ। किछु दिनमे खतम भऽ जाइ जाएब।
३: लगैए सएह। बनि जाएब भूत, प्रेत, राकश।
(तखने भूत-प्रेत बनल वृद्ध अबैए।)
७: से किए, अहाँ सभक ई स्थिति कोना भेल।
३: अहाँ द्वारे।
४: अहीं दुआरे।
७: आब हम की कऽ देलौं।
३: कागच बनबैले हमरा काटलौं।
४: मकान बनबैले हमरा काटलौं।
७: मुदा से तँ जरूरी छल। से तँ करैए पड़ितै किने।
३: तँ हमरा रोपलौं किए नै। कल्पना किए नै केलौं।
(तखने वृद्धाक प्रवेश होइए।)
८: कहू। कल्पना किए नै केलौं?
७: कोन कल्पना।
८: कल्पना जे कतेक काटी आ तकर कतेक गुना रोपी।
७: मुदा हम तँ रोपलौं।
३: अहाँ रोपलौं यूकेलिप्टस।
४: अहाँ रोपलौं विदेशी गाछ।
३: खून..नै नै..पानि पीब गेल सभटा ऐ जमीनक।
७: हे सभटा हमरे दोख नै दै जाउ। की अहाँ सभ ऊर्जा नै खर्च करै छी? हम वैज्ञानिक छी। सभटा बुझल अइ हमरा।
(३ आ ४ समवेत स्वरमे गीत गाबै छथि।)

ऑक्सीजन जरा भोजन बनबै छी
काज मोताबिक सेहो जरबै छी
जाड़क मासमे गरम रहै छी
नै होइ छै सगरो गरमी तँए
(नाचऽ लगै जाइए।)
७: बुझल अछि हमरा ई सभ। मुदा गर्मी कम्मे सही आनै तँ छी।
३: मुदा सेहो अहीं सभ लेल।
७: हमरा सभ लेल। कोना..कोना?
४: जाड़मे फूल तोड़ैकाल हाथ नै ठिठुरए अहाँ सभक तेँ कमलक फूलकेँ गरम राखै छी।
७: हे तँ कियो अहाँकेँ काटैए तँ अपन सुरक्षा अपने किए नै करै छी।
८: कल्पना..सोचू सोचू।
३: करै छी।
४: जतेक सक बनि पड़ैए, ततेक करै छी।
(३ आ ४ समवेत स्वरमे गीत गाबै छथि।)
काँट देखा कऽ दूर भगाबी
फल खुआ कऽ भूख भगाबी
फूल तोड़ि कऽ, लऽ जाउ
देवता पितरपर अहाँ चढ़ाउ
(नाचऽ लगै जाइए।)
३: फल-फूलक लालचो दै छिऐ।
४:काँट देखा कऽ डराबितो छिऐ
३: मुदा तैयो नै मानै जाइए।
८: कल्पना..सोचू, सोचू।
७: (वृद्धा रामवती दिस तकैत।) हे कल्पने। हमरा जे अहाँ कहै छलौं जे कतेक काटी, तकर कतेक गुना रोपी, से हिनको सभकेँ कहियौन्ह ने।
८: हिनकर सभक पएर तँ माटिमे रोपल छन्हि, ई सभ कोना कऽ से करताह।
७: (मुँह दुसैत) कल्पना..सोचू..सोचू।
(३ आ ४ समवेत गाबऽ लगैए आ वृद्धक मुँह गीत सुनबाक क्रममे झूस हेबऽ लगै छै; मुदा गीत सुनैत-सुनैत वृद्धा मुदित भऽ जाइए। )
बीया फँसैए महीसक केसमे
लऽ जाइए ओ दूरदेशमे
झाड़ैए देह पहुँचाबैए ओतए
रोपने पएर, चलि जाइ ओतए!!!!
(बिन हिलने दुनू गोटे हाथसँ दूर इशारा करैत अछि।)

३: बीयामे तेना कऽ नोकसी सन फाँस बनबै छिऐ जे ओ मालक देहमे बाझि कऽ दूर चलि जाए ।
४: आ दूर जा कऽ बीया ओतऽ नव गाछ जनमाबए।
३: पराग लऽ कऽ टिकली दूर जाइए।
४: दोसर गाछकेँ ओइ परागसँ पुष्ट करैए..दूर देशमे।
८: कल्पना..ऽऽऽऽऽ।
(वृद्ध माथपर हाथ धऽ बैस जाइए, मुदा वृद्धा सेहो ओकर बगलमे बैस जाइए, आकाश दिस चिन्तित भऽ तकैत।)
४: जयन्त आब लगैए हमसभ खतम भऽ जाएब। जइ देशक वैज्ञानिक कल्पना नै करैत होथि ओतऽ की हएत? (हाथ घुमा कऽ पुछै छथि।)
३: अपाले। ओतऽ भविष्यक गाछ-बृच्छ विहीन कल्पना सत्य भऽ जाइए।
४: जेना एतऽ भेल अछि।
(३ आ ४ कानि कऽ गाबैए।)
जड़ि कटने भऽ जाएब छू
फूल पात सभ, लऽ लू
मरि गेल सभटा बुतरू
(दुनू खोंखी करऽ लगैए।)

(१ सँ ८ सभ बैसि जाइए आ गाबैए।)
जड़ि कटने भऽ जाएब छू।

जड़ि कटने भऽ जाएब छू
फूल पात सभ, लऽ लू
मरि गेल सभटा बुतरू
(सभ खोंखी करऽ लगैए।)

Friday, December 30, 2011

बुधियार छौरा आ राक्षस राजविराजमे (जितेन्द्र कुमार झा "जीतू"जीक राजविराजसँ रिपोर्ट)


मिथिला नाट्य कला परिषद् जनकपुर बितल रवि दिन राजविराजमे बुधियार छौडा आ राक्षस नामक मैथिली नाटक प्रस्तुत केलक । बौआ-बुच्ची आ युवा लोकनिकेँ केन्द्रित कऽ प्रस्तुत कएल गेल उक्त नाटक देखबाक लेल स्थानीय गजेन्द्र चौकमे बाल-बालिका आ युवा दर्शक लोकनिक नीक उपस्थिति रहल छल ।

प्राचीन दन्त कथापर आधारीत ओइ नाटकक माध्यमे युवा सभमे सकारात्मक परिवर्तन अनबाक सन्देश प्रवाह करबाक प्रयत्न कएल गेल- ई दर्शक लोकनिक प्रतिक्रिया छल । रमेश रंजन झा द्वारा लिखित उक्त नाटककेँ मैथिली नाट्य क्षेत्रमे एक प्रयोगक रुपमे देखल जा रहल अछि । नाटकमे कलाकार लोकनिक शारीरिक हाउ-भाउ तथा संकेतक माध्यमसँ अधिकांश सन्देश प्रवाह कएल गेल- ई दर्शक लोकनिक कथन अछि । एक गोटय युवक क लापरवाहीक कारण हुनक गाइकेँ राक्षस द्वारा उठा कऽ लऽ गेलाक बाद युवक अपन माए क गाइर माइर आ दुत्कारक पश्चात कोना अपना सुझ-बुझसँ राक्षसकेँ मारि अपन गाएकेँ फिर्ता अनैत अछि, ऐ प्रसंगकेँ कथाक माध्यमे देखाओल गेल अछि।

ओना वर्तमान समयमे नेपाली जनताकेँ भेटल ऐतिहासिक लोकतान्त्रिक गणतन्त्रकेँ संस्थागत करबामे नेता लोकनि द्वारा देखाओल गेल उदासीनता आ लापरवाहीक कारणे लोकतान्त्रिक गणतन्त्र पुनः खतरामे पड़ि सकबाक सन्देश सेहो नाटकक माध्यमे प्रवाह भऽ रहल- ई किछु दर्शक लोकनिक प्रतिक्रिया छल ।

समग्रमे कहल जाए तँ नाटक अवधि भरि देखाओल गेल कथा नृत्य गीत द्वन्द्व रोमांच प्रेम प्रसंग सहितक विषय वस्तुकेँ नाटककार आ निर्देशक अत्यन्त कुशलता संग प्रस्तुत कएने छथि । अनिलचन्द झा द्वारा निर्शित नाटकमे परमेश झा, राजेन्द्र झा, प्रियंका झा आ रीना रीमाल अभियनय केने छलीह । डेनमार्क राजदुतावास क सहयोगमे मिनाप द्वारा राजविराजक अतिरिक्त बीरगंज, कलैया गौर वरहथवा मलंगवा जलेश्वर वर्दिवास नगरैन लहान आ इटहरी सहित क स्थान सभमे नाटक "वुधियार छौरा आ राक्षस" क प्रदर्शन कएल जा चुकल अछि ।

Tuesday, December 27, 2011

"CLEVER CHILD AND THE DEMON" MAITHILI CHILDREN PLAY (REPORT BY MR. PRAVIN NARAYAN CHOUDHARY)

- "CLEVER CHILD AND THE DEMON" MAITHILI CHILDREN PLAY, IS BEING PLAYED UNDER FAMILY THEATRE PROJECT
-THIS MAITHILI PLAY IS BEING PLAYED AT MORE THAN DOZEN LOCATIONS IN NEPAL, WITH SUPPORT FROM EMBASSY OF DENMARK.
-THIS PLAY IS BEING STAGED (BOTH AS STREET PLAY AND ALSO ON STAGE) BY MINAP (MITHILA NATYAKALA PARISHAD), JANAKPUR.
-THE WRITER OF THE PLAY IS MR. RAMESH RANJAN.
-THE DIRECTOR OF THE PLAY IS MR. ANIL CHANDRA JHA.
-THE PRESIDENT OF MINAP IS MR. SUNIL KUMAR MALLICK.
-THE LEAD ROLES ARE BEING PLAYED BY MR. PARMESH JHA, MR. RAVINDRA JHA, MS. PRIYANKA JHA AND MS. RINA RIMAL.
-THE PLAY IS BEING PLAYED IN A MANNER WHERE ACTING IS ACTIVITY BASED AND EVEN PEOPLE NOT VERSED IN MAITHILI LANGUAGE CAN ENJOY IT.

NOW ENJOY THE PLAY BY VIEWING ALL THESE 28 PHOTOGRAPHS WITH CAPTIONS. THE PHOTOGRAPHS ARE FROM 13TH STAGING OF   "CLEVER CHILD AND THE DEMON" ON 27TH OF DECEMBER 2011 AT BIRATNAGAR, NEPAL.
["बुधियार छौड़ा आ राक्षस" आइ २७ दिसम्बर २०११ केँ नेपालक बिराटनगरमे सड़क नाटक मंचन भेल (प्रवीण नारायण चौधरीजीक रिपोर्ट)- नीचाँमे चित्रक माध्यमसँ सम्पूर्ण नाटकक मजा लिअ।]

Entire Team of Drama - Sunil Mallik Jee introducing them to audience! Harih Harah!
Sunil Mallik Jee addressing the audience about the drama - it is indeed for child group, anything is possible through Drama, he says. Teachers can use drama as a 100% successful tool for educating all. Indeed the truth!! Harih Harah!
Here are school students - the main audience of this drama! Harih Harah!
In beginning people have no hope for something better is going to be shown to them. Gathering crowd for drama! Harih Harah!
Hey! Demon has a dangerous look always, this is why he is a demon. Harih Harah!
I am the mightiest - says the demon! Harih Harah!
I will eat you up today - Cow being soft target by non-Hindu community. Don't forget - Gaavo Vishwasya Maatarah! Harih Harah!
The villages of Mithila! Simply awesome. Harih Harah!
Mother guiding his sport-loving boy to also care household jobs sincerely. Harih Harah!
Real acting shown for how the demon came and took away the cow from their home. Harih Harah!
And now, here is the commitment. Boy decides to use his bow-arrows and art he learned in village. He would kill the demon, for he has become committed. Damn care! What would happen to his own life, but he would leave home and look for the demon to kill. Harih Hara!

Despite several dangerous tests in Jungle, the boy learns to be a decent adept! Great art with human beings to settle in whatever adverse situation it may come after challenges accepted. Wow!! Harih Harah!
What a beautiful stage arrangement by MINAP - the set immediately changes into Jungle - nice artwork. Harih Harah!
And see the audience! Aren't they all lost in the presentations? :) Great presentation indeed! I am saying through the eyes of curious audience. Harih Harah!
All curious and enthusiastic audience, some are joining late with repenting inside. :) Harih Harah!!
Demon's niece - seeing human being lying on ground helplessly and feels to share all loves she might have in life. A beautiful way of presentation - thanks the director. Great really! Harih Harah!
Love can happen to anyone and at anytime. Love is something so unique that is not done with planning, nature causes love without much judgement or consideration. Harih Harah!
Photographers find opportunities to take snaps from their angles - God knows what they find when at stage to click. :) Harih Harah! But photography is a nice art!! :) Om!
Moments of judgement - but after love happens to the pair! Harih Harah!
Demon's detective looking for human beings who has invaded the protected den of demon. Harih Harah! Beautiful concept developed by the writer and director both. Harih Harah!
Here, in drama, when actor fired the arrow, a man came and took the arrow and reached to target - this was really a nice Nautanki!! :D Harih Harah!
But demon is really mightier! Boy attempts in all possible ways to no avail. :P Harih Harah!
Lastly all of the people are imprisoned. And...

Harih Harah!
Demon is filled with pride of his might! It happens! We are in same delusion due to illusory effect of our physical might. :) Harih Harah!
And, the pride takes us to destiny, the one that is ultimately true. It is said - when we long for something with undue attachments, non-fulfillment of longing causes anger, anger loss of memory, loss of memory destroys the wisdom and the destruction of wisdom is end of life. Harih Harah!
Here goes the play! Kauri - boy has been mastering this game since very childhood. And he challenges the demon to play that game. :) Harih Harah!
While playing the Kauri on dais, the boy cleverly throws the same into well and declares himself the winner. As the demon curiously wish to see the point, boy indicates those Kauris in well and asked the demon to see in it... and then... the demon was pushed into the well. Hahahaha!! Harih Harah!!
The Group Leader now appears with his short address to audience and thank you all for seeing this drama. Wisdom is mightier than physical strength - indeed that is true. Harih Harah!

"बुधियार छौड़ा आ राक्षस" आइ २७ दिसम्बर २०११ केँ नेपालक बिराटनगरमे सड़क नाटक मंचन भेल (प्रवीण नारायण चौधरीजीक रिपोर्ट)
-"बुधियार छौड़ा आ राक्षस"क १३म प्रस्तुति
-मिनाप द्वारा सड़क नाटक मंचन आइ २७ दिसम्बर २०११ केँ नेपालक बिराटनगरमे भेल
-१४म प्रस्तुति झापा जिलाक भद्रपुरमे
-३१ दिसम्बर २०११केँ एकर अन्तिम बेर प्रस्तुति जनकपुरमे हएत (फैमिली थियेटर प्रोजेक्टक अन्तर्गत)
-विराटनगरमे नाटक क्षेत्रमे जुड़ैत अपन सजीव योगदान हेतु रामभजन कामत, डोमी कामत, राजकुमार राय एवं नवीन कर्णकेँ मिनाप तरफसँ सामरिक सहयोग हेतु मैथिली सेवा समिति महासचिव प्रवीण नारायण चौधरी आह्वान कयलन्हि
- मैथिली सेवा समिति संस्थाक अध्यक्ष डा. एस. एन. झा, उपाध्यक्ष ई. फूल कुमार देव, संस्थापक अध्यक्ष डा. सुरेन्द्र ना. मिश्र ऐ आह्वानक समर्थनमे अपन प्रतिबद्धता व्यक्त केलन्हि।
-सहभागी दर्शक लोकनि विराटनगरमे ऐ तरहक नाटक संस्था अवश्य हुअए तइ बातक स्वागत केलन्हि।






प्रस्तुत विडियोमे मिनापकेर अध्यक्ष सुनील मल्लिक कान्तिपुर दैनिक केर भीम घिमिरेजी केँ अन्तर्वार्ता दऽ रहल छथि।




पूर्वपीठिका:

- "बुधियार छौड़ा आ राक्षस" आइ २६ दिसम्बर २०११ केँ नेपालक पूर्वी तराइक इटहारीमे मंचित भेल।
-रमेश रंजनक लेखन, अनिलचन्द्र झाक निर्देशन
-नाटकक कलाकार परमेश झा, रवीन्द्र झा, प्रियंका झा, आ रीना रीमाल
-ई ऐ विधिये खेलाएल जा रहल छै जइमे भाषाक सीमा हटि जाइ छै।
-बच्चा सभमे भऽ रहल अछि बेस लोकप्रिय।
मिथिला नाट्यकला परिषद (मिनाप), जनकपुर एकटा विशेष नाटक "बुधियार छौड़ा आ राछस" बौवाबुच्चीक लेल लऽ कऽ आबि रहल अछि। सम्वादसँ बेशी क्रियाप्रधान ऐ नाटकक अन्तिम तैयारीक हेतु मिनाप एक सप्ताहक कार्यशाला समाप्त केलक अछि। क्रियाप्रधान हेबाक कारण ई विश्वक कोनो मंचपर प्रस्तुत कएल जा सकैत अछि कारण जे मैथिली नहियो बुझै छथि ओ ई नाटक बुझि सकै छथि। नाटक एक घण्टाक अछि। एकर आलेख अछि रमेश रंजनक आ निर्देशन अछि अनिलचन्द्र झाक। ऐ मे अभिनय कऽ रहल छथि परमेश, रवीन्द्र, प्रियंका आ रीना।

मिथिला नाट्यकला परिषद् , मिथिलांचलक मात्र नै नेपालक अग्रणी नाट्य संस्था अछि | अपन ३२ बर्षक यात्रा पूरा क' चुकल मिनाप ,एम्बैसी ऑफ़ डेनमार्कक सहयोग मे रंगमंचक प्रसार लेल नेपालक १७ ठाम अहि नाटकक प्रदर्शन करत | नाटकक अंतिम रूप देबयमे डेनमार्कक नाटक निर्देशन एक्सपर्ट जच्क्कुए मेदिस्सें आ सेट डिजाइनर क्रिस्टन क्रिम्स्सें २ बेर एक-एक हप्ताक प्रशिक्षण देलैन| नाटकक प्रेमिएर २२ तारीखकें काठमांडूमे हैत|

नाटकक कथा : दंत्य कथापर आधारित अहि नाटकमे एकटा किशोर गैर जिम्मेबार व्यवहारसं कोना परिवर्तन करैत अछि व एकटा राक्षसकें मारैत अछि आ ओकर भगिनी संग विवाह करैत अछि से देखाओल गेल अछि| नाटक सन्देशमूलकसं बेसी मनोरंजनात्मक अछि| अहि नाटकमे एकटा राक्षस एकटा बुढ़िया कए जीविकोपार्जनक एकमात्र स्रोत ओकर गायक अपहरण क' क' ल' जैत अछि| माय अपन बेटा कए गायकें बचाबय नहि सकलापर धुत्कारैत अछि| तखन बेटा राक्षसकें माइर क' गाय फिरता अनबाक प्रण करैत जंगलमे जैत अछि| जंगलमे राक्षसक भगिनी भेटैत छै| दुनुमे प्रेम भ' जैत अछि| अंततः छौरा राक्षसकें अपन बुधिसं माइर दैत अछि| आ ओकर भगिनी आ अपन गाय ल' क' चलि अबैत अछि |सरल कथात्मकता आ सरल प्रबाह अहि नाटक कए विशेषता अछि|मिनाप अहिसं पहिले एहन प्रयोगक नाटक नहि केने छल|

Monday, December 26, 2011

"बुधियार छौड़ा आ राक्षस" आइ २६ दिसम्बर २०११ केँ नेपालक पूर्वी तराइक इटहारीमे मंचित भेल (रोशन झाक रिपोर्ट)

- "बुधियार छौड़ा आ राक्षस" आइ २६ दिसम्बर २०११ केँ नेपालक पूर्वी तराइक इटहारीमे मंचित भेल।

-रमेश रंजनक लेखन, अनिलचन्द्र झाक निर्देशन

-नाटकक कलाकार परमेश झा, रवीन्द्र झा, प्रियंका झा, आ रीना रीमाल

-ई ऐ विधिये खेलाएल जा रहल छै जइमे भाषाक सीमा हटि जाइ छै।

-बच्चा सभमे भऽ रहल अछि बेस लोकप्रिय।

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा

चित्र साभार रोशन झा



पूर्वपीठिका:

मिथिला नाट्यकला परिषद (मिनाप), जनकपुर एकटा विशेष नाटक "बुधियार छौड़ा आ राछस" बौवाबुच्चीक लेल लऽ कऽ आबि रहल अछि। सम्वादसँ बेशी क्रियाप्रधान ऐ नाटकक अन्तिम तैयारीक हेतु मिनाप एक सप्ताहक कार्यशाला समाप्त केलक अछि। क्रियाप्रधान हेबाक कारण ई विश्वक कोनो मंचपर प्रस्तुत कएल जा सकैत अछि कारण जे मैथिली नहियो बुझै छथि ओ ई नाटक बुझि सकै छथि। नाटक एक घण्टाक अछि। एकर आलेख अछि रमेश रंजनक आ निर्देशन अछि अनिलचन्द्र झाक। ऐ मे अभिनय कऽ रहल छथि परमेश, रवीन्द्र, प्रियंका आ रीना।

मिथिला नाट्यकला परिषद् , मिथिलांचलक मात्र नै नेपालक अग्रणी नाट्य संस्था अछि | अपन ३२ बर्षक यात्रा पूरा क' चुकल मिनाप ,एम्बैसी ऑफ़ डेनमार्कक सहयोग मे रंगमंचक प्रसार लेल नेपालक १७ ठाम अहि नाटकक प्रदर्शन करत | नाटकक अंतिम रूप देबयमे डेनमार्कक नाटक निर्देशन एक्सपर्ट जच्क्कुए मेदिस्सें आ सेट डिजाइनर क्रिस्टन क्रिम्स्सें २ बेर एक-एक हप्ताक प्रशिक्षण देलैन| नाटकक प्रेमिएर २२ तारीखकें काठमांडूमे हैत|

नाटकक कथा : दंत्य कथापर आधारित अहि नाटकमे एकटा किशोर गैर जिम्मेबार व्यवहारसं कोना परिवर्तन करैत अछि व एकटा राक्षसकें मारैत अछि आ ओकर भगिनी संग विवाह करैत अछि से देखाओल गेल अछि| नाटक सन्देशमूलकसं बेसी मनोरंजनात्मक अछि| अहि नाटकमे एकटा राक्षस एकटा बुढ़िया कए जीविकोपार्जनक एकमात्र स्रोत ओकर गायक अपहरण क' क' ल' जैत अछि| माय अपन बेटा कए गायकें बचाबय नहि सकलापर धुत्कारैत अछि| तखन बेटा राक्षसकें माइर क' गाय फिरता अनबाक प्रण करैत जंगलमे जैत अछि| जंगलमे राक्षसक भगिनी भेटैत छै| दुनुमे प्रेम भ' जैत अछि| अंततः छौरा राक्षसकें अपन बुधिसं माइर दैत अछि| आ ओकर भगिनी आ अपन गाय ल' क' चलि अबैत अछि |सरल कथात्मकता आ सरल प्रबाह अहि नाटक कए विशेषता अछि|मिनाप अहिसं पहिले एहन प्रयोगक नाटक नहि केने छल|

Sunday, December 25, 2011

विदेह नाट्य उत्सव २०१२ क प्रस्तुति.....उल्कामुख

-"उल्कामुख" विदेह नाट्य उत्सवमे मंचित हएत।

-"उल्कामुख"क नाटककार छथि गजेन्द्र ठाकुर।

-निर्देशक रहताह बेचन ठाकुर।

-जादू वास्तवितावादी ऐ नाटकमे इतिहासक एकटा षडयंत्रकेँ उघारल गेल अछि , मंच परिकल्पना अछि भरतक नाट्यशास्त्रक अनुसार।

-आचार्य व्याघ्र, आचार्य सिंह, आचार्य सरभ, शिष्य साही, शिष्य खिखिर, शिष्य नढ़िया, शिष्य बिज्जी  ऐ मे पात्र छथि।
[ पात्र: पहिलसँ चारिम कल्लोल धरि : गंगेश , वल्लभा, देवदत्त, वर्द्धमान, उदयन, दीना, भदरी, आचार्य व्याघ्र, आचार्य सिंह, आचार्य सरभ, शिष्य साही, शिष्य खिखिर, शिष्य नढ़िया, शिष्य बिज्जी, भगता, भगताक शिष्य।
पात्र: पाँचम कल्लोलसँ : शिष्य साही बनि गेल हरपति (गंगाधरक पिता), गंगेश बनि जाइ छथि गंगाधर, वल्लभा बनि जाइ छथि कुमरसुता (गंगाधरक पत्नी), भगता बनि गेल जटा, भगताक शिष्य बनि गेल दलित गायक हीरू, आचार्य व्याघ्र बनि जाइ छथि मनसुख (जीवेक पिता), आचार्य सिंह बनि जाइ छथि हरिकर-सेनापति (मेधाक पिता), आचार्य सरभ बनि जाइ छथि कीर्ति सिंह (राजा), वर्द्धमान बनि जाइ छथि मितू (गंगाधरक बहिनोइ), देवदत्त बनि जाइ छथि जीवे (मनसुखक बेटा), शिष्य खिखिर बनि गेल राजाक अर्थमंत्री नारायण, शिष्य नढ़िया बनि गेल दरबारी-१, शिष्य बिज्जी बनि गेल दरबारी-२, उदयन बनि गेल माधव (अनुभव मण्डलक सदस्य आ दरबारी), दीना बनि गेलाह माधवक सहयोगी-१, भदरी बनि गेलाह माधवक सहयोगी-२। ४ टा स्त्री पात्र ऐ अन्तिम दुनू अंकमे बढ़ि जाइ छथि: रुद्रमति (माधवक माए) सोहागो (गंगाधरक माता), आनन्दा (गंगाधरक बहिन), मेधा (हरिकर- सेनापतिक बेटी)]


-गंगेश आ वल्लभाक प्रेम ऐ नाटकक विषय अछि। मुदा पहिल दू अंकक बाद तेसर आ चारिम अंक जादू वास्तविकतावादक उदाहरण बनि जाइए। आ आबि जाइ छथि सोझाँ उदयन, दीना, भदरी, आचार्य व्याघ्र, आचार्य सिंह, आचार्य सरभ, शिष्य साही, शिष्य खिखिर, शिष्य नढ़िया, शिष्य बिज्जी। आ शुरू भऽ जाइए इतिहासक एकटा षडयंत्रक अनुपालन। मुदा चारिम कल्लोलक अन्तमे भगता कहि दै छथि अपन शिष्यकेँ एकटा रहस्य.......जे विस्मरणक बादो आबि जाएत स्मरणमे।...बनि उल्कामुख...

- पाँचम कल्लोलसँ संकेतक बदला वास्तविकता, कल्पनाक बदला सत्य...

-पहिलसँ चारिम कल्लोल धरि मंचपर शतरंजक डिजाइन बनाएल घन राखल रहत, पाँचम कल्लोलसँ भूत आ कल्पनाक प्रतीक ओइ संकेतक बदला वास्तविकताक प्रतीक गोला राखल रहत।

- गंगेशक तत्त्वचिन्तामणिपर ढेर रास टीका उपलब्ध अछि, गंगेशकेँ कहल जाइ छन्हि तत्वचितामणिकारक गंगेश; मुदा हुनकर कविता भऽ गेल छन्हि "उल्कामुख"!!!


मैथिली नाटककेँ.....................
नव आयाम दैत ............................
नाटकक नव युगमे प्रवेश प्रवेश करबैत अछि.......
उल्कामुख.........................................................
विदेह नाट्य उत्सव २०१२ मे मंचित हएत............................
निर्देशक बेचन ठाकुर..................................................................
मंच भरत नाट्यशास्त्रक अनुरूप.......................................................................






Saturday, December 24, 2011

जितेन्द्र कुमार झा "जीतू"

-जितेन्द्र कुमार झा "जीतू" सप्तरीक तिलाठी गामक श्री सरस्वती सांस्कृतिक नाट्य कला परिषद् सँ आवद्ध रहि परम्परागत रुपमे मैथिली नाटक मंचन केने छथि
-राजबिराजमे अरुणोदय नाट्य मंचक गठन कऽ कऽ मैथिली रंगमंचकेँ अहि क्षेत्रमे अपन पुरान अस्तित्व संग स्थापित करबाक प्रयासमे प्रयत्नशील छथि



विद्यापति पर्व २०११ मे राजबिराजमे भेल मैथिली नाटक "'आइग धधकि रहल अछि"।-जितेन्द्र कुमार झा जीतू पागल नेताक अभिनय करैत।

Wednesday, December 21, 2011

अन्तर्राष्ट्रीय युवा नाट्य महोत्सवमे "बुधियार छौड़ा आ राक्षस" (रिपोर्ट रमेश रंजन)

-मण्डला थिएटर द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय युवा नाट्य महोत्सवमे मिथिला नाट्यकला परिषद जनकपुर , "बुधियार छौड़ा आ राक्षस" रसियन कल्चर सेन्टर, कमल पोखरी , काठमाण्डूमे २५ नवम्बर २०११ साँझमे भेल।

-रमेश रंजनक लेखन, अनिलचन्द्र झाक निर्देशन

-नाटकक कलाकार परमेश झा, रवीन्द्र झा, प्रियंका झा, आ रीना रीमाल

-"बुधियार छौरा आ राक्षस"क ट्राइल शो २५ नवम्बर २०११ केँ काठमाण्डूक स्कूली विद्यार्थी सभकेँ देखाओल गेलै।

पूर्वपीठिका:
मिथिला नाट्यकला परिषद (मिनाप), जनकपुर एकटा विशेष नाटक "बुधियार छौड़ा आ राछस" बौवाबुच्चीक लेल लऽ कऽ आबि रहल अछि। सम्वादसँ बेशी क्रियाप्रधान ऐ नाटकक अन्तिम तैयारीक हेतु मिनाप एक सप्ताहक कार्यशाला समाप्त केलक अछि। क्रियाप्रधान हेबाक कारण ई विश्वक कोनो मंचपर प्रस्तुत कएल जा सकैत अछि कारण जे मैथिली नहियो बुझै छथि ओ ई नाटक बुझि सकै छथि। नाटक एक घण्टाक अछि। एकर आलेख अछि रमेश रंजनक आ निर्देशन अछि अनिलचन्द्र झाक। ऐ मे अभिनय कऽ रहल छथि परमेश, रवीन्द्र, प्रियंका आ रीना।

मिथिला नाट्यकला परिषद् , मिथिलांचलक मात्र नै नेपालक अग्रणी नाट्य संस्था अछि | अपन ३२ बर्षक यात्रा पूरा क' चुकल मिनाप ,एम्बैसी ऑफ़ डेनमार्कक सहयोग मे रंगमंचक प्रसार लेल नेपालक १७ ठाम अहि नाटकक प्रदर्शन करत | नाटकक अंतिम रूप देबयमे डेनमार्कक नाटक निर्देशन एक्सपर्ट जच्क्कुए मेदिस्सें आ सेट डिजाइनर क्रिस्टन क्रिम्स्सें २ बेर एक-एक हप्ताक प्रशिक्षण देलैन| नाटकक प्रेमिएर २२ तारीखकें काठमांडूमे हैत|


नाटकक कथा : दंत्य कथापर आधारित अहि नाटकमे एकटा किशोर गैर जिम्मेबार व्यवहारसं कोना परिवर्तन करैत अछि व एकटा राक्षसकें मारैत अछि आ ओकर भगिनी संग विवाह करैत अछि से देखाओल गेल अछि| नाटक सन्देशमूलकसं बेसी मनोरंजनात्मक अछि| अहि नाटकमे एकटा राक्षस एकटा बुढ़िया कए जीविकोपार्जनक एकमात्र स्रोत ओकर गायक अपहरण क' क' ल' जैत अछि| माय अपन बेटा कए गायकें बचाबय नहि सकलापर धुत्कारैत अछि| तखन बेटा राक्षसकें माइर क' गाय फिरता अनबाक प्रण करैत जंगलमे जैत अछि| जंगलमे राक्षसक भगिनी भेटैत छै| दुनुमे प्रेम भ' जैत अछि| अंततः छौरा राक्षसकें अपन बुधिसं माइर दैत अछि| आ ओकर भगिनी आ अपन गाय ल' क' चलि अबैत अछि |सरल कथात्मकता आ सरल प्रबाह अहि नाटक कए विशेषता अछि|मिनाप अहिसं पहिले एहन प्रयोगक नाटक नहि केने छल|

प्रकाश झाक निर्देशनमे मैलोरंग, दिल्लीक मैथिली नाटक प्रस्तुति-- (मुन्नाजीक रिपोर्ट)

स्व. राजकमल चौधरीक प्रसिद्ध कथा  “ललका पाग”क नाट्य रूपान्तरण प्रस्तुत कएल गेल- (मुन्नाजीक रिपोर्ट)
२० दिसम्बर २०११ केँ भारतक राजधानी दिल्लीमे प्रतिष्ठित संस्था ’मैलोरंग” द्वारा मिथिलोत्सव-११ क सफल संचालन श्रीराम सेन्टर, मण्डी हाउस दिल्लीमे कएल गेल।
ऐ अवसरपर स्व. राजकमल चौधरीक प्रसिद्ध कथा “ललका पाग”क नाट्य रूपान्तरण प्रस्तुत कएल गेल, जइमे नाटकक सभ तरहक तकनीकक संयोजन आ प्रदर्शन देखाएल।
मुदा आधुनिक प्रयोगक नामपर अतिप्रयोगसँ सामान्य दर्शककेँ कतेको बेर अगुताइत देखल गेल। संगहि मंचकेँ आवश्यकतासँ बेशी देर धरि छोड़ि देल जाइत छल जे संयोजनक कमीकेँ देखार करैत रहल।
दोसर सत्रमे प्रसिद्ध रंगकर्मी श्री दयानाथ झाकेँ ज्योतिरीश्वर सम्मान, श्री मुकेश झाकेँ श्रीकान्त मण्डल सम्मान आ श्रीमती सुधा झाकेँ प्रमिला सम्मान देल गेल। सत्य! सम्मानसँ रंगकर्मीकेँ ऐ क्षेत्रमे आगाँ बढ़बामे बल भेटत।
तेसर सत्र गीत संगीतकेँ समर्पित रहल। ऐ सत्रमे लिटिल चैम्प नेना सुश्री मैथिली ठाकुरक “जय जय भैरवि..” सभ दोसर क्रियाकलापपर भारी रहल आ कर्णप्रिय रहल। गम्भीर अस्वस्थताक पछाति स्वस्थ भऽ पहिल बेर अंशुमाला जीक प्रस्तुति “पिया मोर बालक” लोककेँ मोहलक। मुदा हुनकर अस्वस्थ अवस्था अखनो हुनकर चेहरापर नजरि आएल जे मोनकेँ कचोटलक।

प्रकाश झाक निर्देशनमे मैथिली नाटकक प्रस्तुति


१. एक छल राजा, लेखक – उदय नारायण नचिकेता, निर्देशन – प्रकाश झा, दिनांक – १८/०२/२००७
स्थान – श्रीराम सेंटर (दिल्ली)

२.कमलमुखी कनियाँ, मूल कथा – राजकमल चौधरी (नाट्यरूपांतर), निर्देशन – प्रकाश झा, दिनांक – ०१/०८/२००८, स्थान – श्रीराम सेंटर (दिल्ली)
३. जल डमरू बाजे, लेखक – रामेश्वर प्रेम (मूल हिन्दीक मैथिली अनुवाद), निर्देशन – प्रकाश झा, दिनांक – २७/०९/२००९, स्थान – श्रीराम सेंटर (दिल्ली)

४.जल डमरू बाजे (पुनः), लेखक – रामेश्वर प्रेम (मूल हिन्दीक मैथिली अनुवाद), निर्देशन – प्रकाश झा
दिनांक – ०७/०५/२०१०, स्थान – नृत्य कला मन्दिर (पटना)

५.विलाप, मूल कविता – बैद्यनाथ मिश्र यात्री,नाट्यरूपांतर – महेंद्र मलंगिया,निर्देशन – प्रकाश झा,दिनांक – ०२/०१/२०११,स्थान – श्रीराम सेंटर (दिल्ली)

६.मुक्ति पर्व, लेखक – अविनाश चंद्र मिश्रा (हिंदी), मैथिली अनुवाद – जितेन्द्र झा, निर्देशन – प्रकाश झा, दिनांक – २९/०८/२०११, स्थान – श्रीराम सेंटर (दिल्ली)
७. स्व. राजकमल चौधरीक प्रसिद्ध कथा “ललका पाग”क नाट्य रूपान्तरण, निर्देशन – प्रकाश झा, स्थान – श्रीराम सेंटर (दिल्ली), दिनांक – १०/१२/२०१२

(हिन्दी-मिश्रित)
. काठक लोक, लेखक – महेंद्र मलंगिया, निर्देशन – प्रकाश झा, दिनांक – ११/०९/२००६, स्थान – श्रीराम सेंटर (दिल्ली) (हिन्दी-मिश्रित)
. काठक लोक (पुनः), लेखक – महेंद्र मलंगिया, निर्देशन – प्रकाश झा, दिनांक – २९/०६/२००८
स्थान – नगर भवन (मधुबनी) (हिन्दी-मिश्रित)

[नाटक – कोसी सन बेदर्दी जग मे कोई ने (हिन्दी-ऐमे ओना किछु मैथिली गीत रहए), लेखक – ओम प्रकाश भारती, निर्देशन – प्रकाश झा, दिनांक – १२/०९/२००८, स्थान – राजेन्द्र भवन (दिल्ली)]
[नाटक – पाँच पत्र, मूल कथा – हरिमोहन झा, नाट्यरूपांतर – महेंद्र मलंगिया, निर्देशन – उत्पल झा, दिनांक – २१/१२/२००९, स्थान – त्रिवेणी कला संगम (दिल्ली)]

विदेह सम्मान


विदेह सम्मान
- श्री नवेन्दु कुमार झा केँ पहिल "विदेह मैथिली पत्रकारिता सम्मान



"पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल समदिया http://esamaad.blogspot.in/  अगस्त २०११ सँ सभ मास "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया" सम्मानक घोषणा कएल जा रहल अछि। -समदिया- पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक-सूचना-सम्पर्क-समाद पूनम मंडल आ प्रियंका झा।

- सालक अन्तमे सर्वश्रेष्ठ मैथिली पत्रकारिता लेल ऐ १२ टा देल सम्मानमे सँ सर्वश्रेष्ठ श्री नवेन्दु कुमार झा केँ पहिल "विदेह मैथिली पत्रकारिता सम्मान" देल जएबाक घोषणा भेल।

-दोसर चक्रक लेल अगस्त २०१२ सँ सभ मास "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया" सम्मानक घोषणा कएल जाएत।  अगस्त २०१३ मे हएत दोसर "विदेह पत्रकारिता सम्मान"क घोषणा।



"ऐ मासक सभसँ नीक समदिया" 


जुलाइ २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री   सुजीत कुमार झा  - जुलाइ २०१२  क सभसँ नीक समदिया श्री     सुजीत कुमार झा  केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/07/blog-post_6412.html लेल देल गेल अछि ।

जून २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री   रूपेश कुमार झा "त्योँथ" -  जून २०१२  क सभसँ नीक समदिया श्री    रूपेश कुमार झा "त्योँथ"  केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/06/blog-post_04.html लेल देल गेल अछि ।


मइ २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री  अमरनाथ झा -  मइ २०१२  क सभसँ नीक समदिया श्री   अमरनाथ  झा   केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/05/blog-post_21.html लेल देल गेल अछि ।


अप्रैल २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री  नवेन्दु कुमार झा -  अप्रैल  २०१२  क सभसँ नीक समदिया श्री  नवेन्दु कुमार झा   केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/04/blog-post_389.html लेल देल गेल अछि ।


मार्च २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री आशीष अनचिन्हार -  मार्च २०१२  क सभसँ नीक समदिया-  मार्च २०१२   क सभसँ नीक समदिया  श्री आशीष अनचिन्हार  केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/03/blog-post_8433.html लेल देल गेल अछि ।


फरबरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया श्री सरफराज सिद्दीक पप्पू फरबरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया- फरबरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया श्री सरफराज सिद्दीक पप्पूकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/02/blog-post_05.html लेल देल गेल अछि।

जनवरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया नवेन्दु कुमार झा
जनवरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया-  नवेन्दु कुमार झा केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/01/blog-post_3943.html लेल देल गेल अछि।


दिसम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया राम भरोस कापड़ि भ्रमर
दिसम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया- राम भरोस कापड़ि भ्रमरकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.com/2011/12/blog-post_4671.html लेल देल गेल अछि।


नवम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया विनीत उत्पल
नवम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया- विनीत उत्पलकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.com/2011/11/vinit-utpals-rti-application-dated.html लेल देल गेल अछि।



अक्टूबर २०११ क सभसँ नीक समदिया एक बेर फेरसँ नवेन्दु कुमार झा
अक्टूबर  २०११ क सभसँ नीक समदिया- एक बेर फेरसँ नवेन्दु कुमार झाकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट  http://esamaad.blogspot.com/2011/10/blog-post_14.html लेल देल गेल अछि।



सितम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया-नवेन्दु कुमार झा
सितम्बर  २०११ क सभसँ नीक समदिया- नवेन्दु कुमार झाकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट  http://esamaad.blogspot.com/2011/09/blog-post_01.html लेल देल गेल अछि।



अगस्त २०११ क सभसँ नीक समदिया- उदय चटर्जी
अगस्त २०११ क सभसँ नीक समदिया- उदय चटर्जीकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर मिथिलाक विकाससँ सम्बन्धित समाद http://esamaad.blogspot.com/2011/08/blog-post_26.html लेल देल गेल छन्हि।



विदेह सम्मान
-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान सेहो हएत विदेह सम्मानक घोषणा द्वारा

-ई घोषणा दिसम्बरक अन्त वा जनवरी २०१३ मे हएत
-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान कएल जाएत
-विदेह नाट्य उत्सव २०१३ क अवसरपर प्रदान कएल जाएत ई सम्मान।"



विदेह सम्मान
समदिया- पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल।विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक-सूचना-सम्पर्क-समाद पूनम मंडल आ प्रियंका झा।

अपन इलाकाक कोनो समाचार ऐ अन्तर्जाल (http://esamaad.blogspot.com/)पर देबा लेल , समाचार poonamberma@gmail.com वा priyanka.rachna.jha@gmail.com पर पठाउ वा एतए http://www.facebook.com/groups/samadiya/ फेसबुकपर राखू।"]

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता (नेपाल देशक भाषा-साहित्य,  दर्शन, संस्कृति आ सामाजिक विज्ञानक क्षेत्रमे  सर्वोच्च सम्मान)

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता
श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' (2010)
श्री राम दयाल राकेश (1999)
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव (1994)

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान मानद सदस्यता
स्व. सुन्दर झा शास्त्री

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान आजीवन सदस्यता
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव



फूलकुमारी महतो मेमोरियल ट्रष्ट काठमाण्डू, नेपालक सम्मान
फूलकुमारी महतो मैथिली साधना सम्मान २०६७ - मिथिला नाट्यकला परिषदकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ - सप्तरी राजविराजनिवासी श्रीमती मीना ठाकुरकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ -बुधनगर मोरङनिवासी दयानन्द दिग्पाल यदुवंशीकेँ

साझा पुरस्कार (नेपालक साझा संस्थानक पुरस्कार) साझा लोकसंस्कृति पुरस्कार
-वि.सं. २०६७ प्राज्ञ रामभरोस कापड़ि भ्रमर

विद्यापति पुरस्कार कोषक पुरस्कार- मैथिली भाषा, साहित्य, कला संस्कृतिक लेल नेपाल सरकार द्वारा स्थापित नेपालमे सभसँ बड़का राशिक पुरस्कार। 

विद्यापति पुरस्कार कोषक लेल विभिन्न पाँच विद्यामे २०१२ (

२०६८ कातिक १८ गते नेपाल सरकार एक करोड रुपैयाक विद्यापति पुरस्कार कोषक स्थापना कएने छल, तकरा बाद र्इ पुरस्कार पहिल वेर देल जा रहल अछि।)
दु लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली भाषा साहित्य पुरस्कार मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजेन्द्र विमलकेँ।
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली कला संस्कृति पुरस्कार शहीद रंजु झाकेँ
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली अनुसन्धान पुरस्कार डा. रामावतार यादवकेँ
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली पाण्डुलिपी पुरस्कार साहित्यकार परमेश्वर कापडिकेँ
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली अनुबाद पुरस्कार डा. रामदयाल राकेशकेँ


साहित्य अकादेमी  फेलो- भारत देशक सर्वोच्च साहित्य सम्मान (मैथिली)


           १९९४-नागार्जुन (स्व. श्री वैद्यनाथ मिश्र “यात्री” १९११-१९९८ ) , हिन्दी आ मैथिली कवि।


           २०१०- चन्द्रनाथ मिश्र अमर (१९२५- ) - मैथिली साहित्य लेल।



साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान ( क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य आ गएर मान्यताप्राप्त भाषा लेल):-
           
           २०००- डॉ. जयकान्त मिश्र (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
           २००७- पं. डॉ. शशिनाथ झा (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
            पं. श्री उमारमण मिश्र


साहित्य अकादेमीक टैगोर साहित्य पुरस्कार

२०११- जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, लघु कथा संग्रह)


साहित्य अकादेमी पुरस्कार- मैथिली


१९६६- यशोधर झा (मिथिला वैभव, दर्शन)

१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न गाछ, पद्य)

१९६९- उपेन्द्रनाथ झा “व्यास” (दू पत्र, उपन्यास)

१९७०- काशीकान्त मिश्र “मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य)

१९७१- सुरेन्द्र झा “सुमन” (पयस्विनी, पद्य)

१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा “मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास)

१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र (किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण)

१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक “विधु” (सीतायन, महाकाव्य)

१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ: उद्भव ओ विकास, समालोचना)

१९७८- उपेन्द्र ठाकुर “मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य)

१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण चरित, महाकाव्य)

१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपन्यास)

१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी (अगस्त्यायिनी, महाकाव्य)

१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास)

१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास)

१९८४- आरसी प्रसाद सिंह (सूर्यमुखी, पद्य)

१९८५- हरिमोहन झा (जीवन यात्रा, आत्मकथा)

१९८६- सुभद्र झा (नातिक पत्रक उत्तर, निबन्ध)

१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा)

१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास)

१९८९- काञ्चीनाथ झा “किरण” (पराशर, महाकाव्य)

१९९०- प्रभास कुमार चौधरी (प्रभासक कथा, कथा)

१९९१- रामदेव झा (पसिझैत पाथर, एकांकी)

१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध)

१९९३- गोविन्द झा (सामाक पौती, कथा)

१९९४- गंगेश गुंजन (उचितवक्ता, कथा)

१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य)

१९९६- राजमोहन झा (आइ काल्हि परसू, कथा संग्रह)

१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र (ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य)

१९९८- जीवकान्त (तकै अछि चिड़ै, पद्य)

१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा)

२०००- रमानन्द रेणु (कतेक रास बात, पद्य)

२००१- बबुआजी झा “अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य)

२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी चौक पर, पद्य)

२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा)

२००४- चन्द्रभानु सिंह (शकुन्तला, महाकाव्य)

२००५- विवेकानन्द ठाकुर (चानन घन गछिया, पद्य)

२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा)

२००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा)

२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक डारि पर, आत्मकथा)

२००९- स्व.मनमोहन झा (गंगापुत्र, कथासंग्रह)

२०१०-श्रीमति उषाकिरण खान (भामती, उपन्यास)

२०११- श्री उदयचन्द्र झा "विनोद" (अपक्ष, कविता संग्रह)


साहित्य अकादेमी मैथिली अनुवाद पुरस्कार


१९९२- शैलेन्द्र मोहन झा (शरतचन्द्र व्यक्ति आ कलाकार-सुबोधचन्द्र सेन, अंग्रेजी)

१९९३- गोविन्द झा (नेपाली साहित्यक इतिहास- कुमार प्रधान, अंग्रेजी)

१९९४- रामदेव झा (सगाइ- राजिन्दर सिंह बेदी, उर्दू)

१९९५- सुरेन्द्र झा “सुमन” (रवीन्द्र नाटकावली- रवीन्द्रनाथ टैगोर, बांग्ला)

१९९६- फजलुर रहमान हासमी (अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दू)

१९९७- नवीन चौधरी (माटि मंगल- शिवराम कारंत, कन्नड़)

१९९८- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (परशुरामक बीछल बेरायल कथा- राजशेखर बसु, बांग्ला)

१९९९- मुरारी मधुसूदन ठाकुर (आरोग्य निकेतन- ताराशंकर बंदोपाध्याय, बांग्ला)

२०००- डॉ. अमरेश पाठक, (तमस- भीष्म साहनी, हिन्दी)

२००१- सुरेश्वर झा (अन्तरिक्षमे विस्फोट- जयन्त विष्णु नार्लीकर, मराठी)

२००२- डॉ. प्रबोध नारायण सिंह (पतझड़क स्वर- कुर्तुल ऐन हैदर, उर्दू)

२००३- उपेन्द दोषी (कथा कहिनी- मनोज दास, उड़िया)

२००४- डॉ. प्रफुल्ल कुमार सिंह “मौन” (प्रेमचन्द की कहानी-प्रेमचन्द, हिन्दी)

२००५- डॉ. योगानन्द झा (बिहारक लोककथा- पी.सी.राय चौधरी, अंग्रेजी)

२००६- राजनन्द झा (कालबेला- समरेश मजुमदार, बांग्ला)

२००७- अनन्त बिहारी लाल दास “इन्दु” (युद्ध आ योद्धा-अगम सिंह गिरि, नेपाली)

२००८- ताराकान्त झा (संरचनावाद उत्तर-संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र-गोपीचन्द नारंग, उर्दू)

२००९- भालचन्द्र झा (बीछल बेरायल मराठी एकाँकी-  सम्पादक सुधा जोशी आ रत्नाकर मतकरी, मराठी)

२०१०- डॉ. नित्यानन्द लाल दास ( "इग्नाइटेड माइण्ड्स" - मैथिलीमे "प्रज्वलित प्रज्ञा"- डॉ.ए.पी.जे. कलाम, अंग्रेजी)
२०११- श्री खुशीलाल झा (उपरवास कथात्रयी, रघुवीर चौधरीक गुजराती उपन्यास)

साहित्य अकादेमी मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार


२०१०-तारानन्द वियोगीकेँ पोथी "ई भेटल तँ की भेटल"  लेल
२०११- ले.क. मायानाथ झा "जकर नारी चतुर होइ" लेल

साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार

२०११- श्री आनन्द कुमार झा (हठात परिवर्तन, नाटक)

प्रबोध सम्मान


प्रबोध सम्मान 2004- श्रीमति लिली रे (1933- )

प्रबोध सम्मान 2005- श्री महेन्द्र मलंगिया (1946- )

प्रबोध सम्मान 2006- श्री गोविन्द झा (1923- )

प्रबोध सम्मान 2007- श्री मायानन्द मिश्र (1934- )

प्रबोध सम्मान 2008- श्री मोहन भारद्वाज (1943- )

प्रबोध सम्मान 2009- श्री राजमोहन झा (1934- )

प्रबोध सम्मान 2010- श्री जीवकान्त (1936- )

प्रबोध सम्मान 2011- श्री सोमदेव (1934- )

प्रबोध सम्मान 2012- श्री चन्द्रभानु सिंह (१९२२- )

                                  श्री रामलोचन ठाकुर (१९४९- )

यात्री-चेतना पुरस्कार



२००० ई.- पं.सुरेन्द्र झा “सुमन”, दरभंगा;

२००१ ई. - श्री सोमदेव, दरभंगा;

२००२ ई.- श्री महेन्द्र मलंगिया, मलंगिया;

२००३ ई.- श्री हंसराज, दरभंगा;

२००४ ई.- डॉ. श्रीमती शेफालिका वर्मा, पटना;

२००५ ई.-श्री उदय चन्द्र झा “विनोद”, रहिका, मधुबनी;

२००६ ई.-श्री गोपालजी झा गोपेश, मेंहथ, मधुबनी;

२००७ ई.-श्री आनन्द मोहन झा, भारद्वाज, नवानी, मधुबनी;

२००८ ई.-श्री मंत्रेश्वर झा, लालगंज,मधुबनी

२००९ ई.-श्री प्रेमशंकर सिंह, जोगियारा, दरभंगा

२०१० ई.- डॉ. तारानन्द वियोगी, महिषी, सहरसा

२०११ ई.-  डॉ. राम भरोस कापड़ि भ्रमर (जनकपुर)


भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता

युवा पुरस्कार (२००९-१०) गौरीनाथ (अनलकांत) केँ मैथिली लेल।


भारतीय भाषा संस्थान (सी.आइ.आइ.एल.) , मैसूर रामलोचन ठाकुर:- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००३-०४ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) जा सकै छी, किन्तु किए जाउ- शक्ति चट्टोपाध्यायक बांग्ला कविता-संग्रहक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।  रमानन्द झा 'रमण':- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००४-०५ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) छओ बिगहा आठ कट्ठा- फकीर मोहन सेनापतिक ओड़िया उपन्यासक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।



नाटक, गीत, संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, शिल्प आ चित्रकला क्षेत्रमे विदेह सम्मान २०१२ क घोषणा



विदेह सम्मान

विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान

१.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१०-११ 
२०१० श्री गोविन्द झा (समग्र योगदान लेल)
२०११ श्री रमानन्द रेणु (समग्र योगदान लेल)
२.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११-१२ 

२०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)
२०११ बाल साहित्य पुरस्कार- ले.क. मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ, कथा संग्रह)
२०११ युवा पुरस्कार- आनन्द कुमार झा (कलह, नाटक)
२०१२ अनुवाद पुरस्कार- श्री रामलोचन ठाकुर- (पद्मानदीक माझी, बांग्ला- मानिक बंद्योपाध्याय, उपन्यास बांग्लासँ मैथिली अनुवाद)


विदेह भाषा सम्मान २०१२-१३ (वैकल्पिक साहित्य अकादेमी पुरस्कारक रूपमे प्रसिद्ध)

बाल साहित्य पुरस्कार २०१२- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल केँ “तरेगन” बाल प्रेरक विहनि कथा संग्रह


नाटक, गीत, संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, शिल्प आ चित्रकला क्षेत्रमे विदेह सम्मान २०१२ क घोषणा

अभि‍नय- मुख्य अभिनय ,

सुश्री शि‍ल्‍पी कुमारी, उम्र- 17 पि‍ता श्री लक्ष्‍मण झा

श्री शोभा कान्‍त महतो, उम्र- 15 पि‍ता- श्री रामअवतार महतो,

हास्‍य-अभिनय

सुश्री प्रि‍यंका कुमारी, उम्र- 16, पि‍ता- श्री वैद्यनाथ साह

श्री दुर्गानंद ठाकुर, उम्र- 23, पि‍ता- स्‍व. भरत ठाकुर

नृत्‍य

सुश्री सुलेखा कुमारी, उम्र- 16, पि‍ता- श्री हरेराम यादव

श्री अमीत रंजन, उम्र- 18, पि‍ता- नागेश्वर कामत

चि‍त्रकला
श्री पनकलाल मण्डल, उमेर- ३५, पिता- स्व. सुन्दर मण्डल, गाम छजना
श्री रमेश कुमार भारती, उम्र- 23, पि‍ता- श्री मोती मण्‍डल

संगीत (हारमोनियम)

श्री परमानन्‍द ठाकुर, उम्र- 30, पि‍ता- श्री नथुनी ठाकुर

संगीत (ढोलक)

श्री बुलन राउत, उम्र- 45, पि‍ता- स्‍व. चि‍ल्‍टू राउत

संगीत (रसनचौकी)

   श्री बहादुर राम, उम्र- 55, पि‍ता- स्‍व. सरजुग राम

शिल्पी-वस्तुकला

    श्री जगदीश मल्लिक,५० गाम- चनौरागंज

मूर्ति-मृत्तिका कला

श्री यदुनंदन पंडि‍त, उम्र- 45, पि‍ता- अशर्फी पंडि‍त


काष्ठ-कला

श्री झमेली मुखिया,पिता स्व. मूंगालाल मुखिया, ५५, गाम- छजना


किसानी-आत्मनिर्भर संस्कृति

श्री लछमी दास, उमेर- ५०, पिता स्व. श्री फणी दास, गाम वेरमा

विदेह मैथिली पत्रकारिता सम्मान


-२०१२ श्री नवेन्दु कुमार झा

गजल कमला-कोसी-बगमती-महानंदा सम्मान


अनचिन्हार आखर ( http://anchinharakharkolkata.blogspot.com ) द्वारा प्रायोजित "गजल कमला-कोसी-बगमती-महानंदा सम्मान" बर्ख 2011 लेल ओस्ताद सदरे आलम गौहर जीकेँ प्रदान कएल गेलैन्ह। एहि बेरुक मुख्यचयनकर्ता ओस्ताद सियाराम झा"सरस" छलखिन्ह।..