[नो एण्ट्री: मा प्रविश २००८ ई. मे छपल आ साहित्य अकादेमी पुरस्कार लेल एकर चयन २०१०, २०११ बा २०१२ मे नै भऽ सकलै। आब ई पोथी मैथिली साहित्य लेल साहित्य अकादेमी पुरस्कार लेल उपलब्ध नै रहत। ऐ तरहक आनो उदाहरण रहल अछि। नो एण्ट्री: मा प्रविश क मैथिली साहित्य आ विश्व साहित्य मध्य स्थान नीचाँक आलेखमे निरूपित कएल जा रहल अछि। ई शृंखला आगाँ सेहो जारी रहत।]
चारिटा उत्तर आधुनिक नाटक: सैमुअल बैकेटक फ्रेंच नाटक “वेटिंग फॉर गोडो”, हैरोल्ड पिंटरक अंग्रेजी नाटक “द बर्थडे पार्टी”, बादल सरकारक बांग्ला नाटक “एवम् इन्द्रजीत” आ उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’क मैथिली नाटक “नो एण्ट्री: मा प्रविश”
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”वेटिंग फॉर गोडो” दू अंकीय ट्रेजी-कॉमेडी अछि। सैमुअल बैकेट द्वारा ई 1952 ई. मे फ्रेंच भाषामे लिखल गेल आ एकर पहिल प्रदर्शन पेरिसमे 1953 ई. मे भेल। एकर अंग्रेजी संस्करणक प्रदर्शन लंदनमे 1955 ई. मे भेल आ अंग्रेजी संस्करण 1956 ई. मे प्रकाशित भेल।
हैरोल्ड पिंटरक अंग्रेजी नाटक “द बर्थडे पार्टी” कैम्ब्रिजमे 1958 ई. मे मंचित भेल आ 1960 ई. मे प्रकाशित भेल।
”वेटिंग फॉर गोडो” दू अंकीय ट्रेजी-कॉमेडी अछि। सैमुअल बैकेट द्वारा ई 1952 ई. मे फ्रेंच भाषामे लिखल गेल आ एकर पहिल प्रदर्शन पेरिसमे 1953 ई. मे भेल। एकर अंग्रेजी संस्करणक प्रदर्शन लंदनमे 1955 ई. मे भेल आ अंग्रेजी संस्करण 1956 ई. मे प्रकाशित भेल।
हैरोल्ड पिंटरक अंग्रेजी नाटक “द बर्थडे पार्टी” कैम्ब्रिजमे 1958 ई. मे मंचित भेल आ 1960 ई. मे प्रकाशित भेल।
उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’क “नो एण्ट्री: मा प्रविश” 2008 ई. मे ई-प्रकाशित आ फेर ओही बर्ख प्रकाशित भेल। 19 फरबरी 2011 केँ कुणालक निर्देशनमे कालिदास रंगालय, पटनामे ई डेढ़ घण्टाक नाटक मंचित भेल।
फ्रेंच, अंग्रेजी, बांग्ला आ मैथिलीक ई चारू नाटक पोस्ट-मॉडर्न नाटकक श्रेणीमे गानल जाइत अछि। जखन सैमुअल बैकेटक “वेटिंग फॉर गोडो” देखि क’ लोक सभ घुरल रहथि तँ हुनका लोकनिकेँ एकटा विचित्र अनुभवसँ साक्षात्कार भेल छलन्हि। ऐ नाटकमे मात्र पाँचटा पात्र अछि- एस्ट्रागोन, व्लादीमीर, लकी, पोजो आ एकटा छौड़ा। एकटा कण्ट्री रोडपर साँझमे एकटा गाछ लग एस्ट्रागोन एकटा ढिमकापर बैसल अछि आ अपन जुत्ता दुनू हाथसँ निकालबाक प्रयास क’ रहल अछि आ अपस्याँत अछि, आ थाकि जाइए। व्लादीमीर संगे ओ गपक प्रारम्भ होइ छै, एम्हर ओम्हरक फुसियाँहीक नमगर गपशप होइ छै। पोजो आ लकी अबैए। पोजो बुझाइए मालिक अछि आ लकी दास। दासो तेहेन जकरा गर्दनिमे नमगर रस्सा पोजो लगेने अछि। पहिने लकी अबैए, फेर रस्सा पकड़ने पोजो। लकी बड़का बैग, एकटा फोल्डिंग स्टूल, एकटा पिकनिक बास्केट आ ग्रेटकोट उघने अछि। पोजो लग चाबुक छै। लकी आदेशपालक अछि। मालिकक गप मानि फेर सभ बोझ उठा क’ ठाढ़ भ’ जाइए। एस्ट्रागोन आ व्लादीमीरकेँ ओकर बोझा उघनाइ नीक नै लगै छै। मुदा पोजो जखन कहै छै जे ओ ओहिने छै तँ एस्ट्रागोन पोजोकेँ आततायी बुझै छै। एस्ट्रागोन लकीक नोर पोछैए तखन ओकरा लकी मुक्का मारै छै। पोजो कहै छै जे तोरा कहलियौ ने जे लकीकेँ अनचिन्हार लोक पसिन्न नै छै। आ एस्ट्रागोन आ व्लादीमीर ओत’ की क’ रहल अछि? ओ दुनू गोटे कोनो गोडो नाम्ना व्यक्तिक बाट जोहि रहल अछि। पोजो आ लकी चलि जाइए। एस्ट्रागोन आ व्लादीमीर लग एकटा छौड़ा अबै छै आ कहै छै जे गोडो आइ नै आबि सकता, काल्हि एता। फेर एम्हर ओम्हरक फुसियाँहीक गपशप होइए आ ओहो छौड़ा चलि जाइए। तखने मंचपर सँ बिजली चलि जाइ छै आ फेर राति भ’ जाइ छै, चन्द्रमा उगल छै। व्लादीमीर आ एस्ट्रागोनक गपशप शुरू होइ छै। फुसियाँहीक गपमे किछु अर्थपूर्ण गपशप सेहो होइ छै। दुनू गोटे जेबाक निर्णय करै छथि मुदा हिलै नै छथि। पहिल अंकक पर्दा खसैए। दोसर अंक, वएह समए आ स्थान। व्लादीमीरकेँ सभ किछु मोन छै मुदा एस्ट्रागोन बिसरि गेल अछि। एस्ट्रागोन कहैए जे ओ सभ किछु तुरत्ते बिसरि जाइए बा कहियो नै बिसरैए। ओकरा किछु-किछु मोनो पड़ै छै। पोजो आ लकी अबैए। पोजो आन्हर भ’ गेल अछि, लकी ओहिना बोझा उघने अछि। रस्सा सेहो छै मुदा किछु छोट। पोजो आ लकी खसि पड़ैए। पोजो सहायता लेल कहैए मुदा एस्ट्रागोन आ व्लादीमीर गपशप करैए।
एस्ट्रागोन व्लादीमीरकेँ पहिल अंक जेकाँ “दीदी” कहैए। व्लादीमीर बाजैए जे “हमरा सभकेँ फुसियाँहीक गपशपमे समय नै बर्बाद करबाक चाही।“ पोजोक “सहायता”क आर्तनाद नियत अंतरालपर बेर-बेर होइ छै। मुदा तइपर एस्ट्रागोन आ व्लादीमीर ध्यान नै दैए। पोजो आब सहायता लेल सए फ्रैंक फेर दू सए फ्रैंकक लालच दैए। व्लादीमीर ओकरा उठबैले जाइए, प्रयासमे अपनो खसि पड़ैए आ सहायताक पुकार करैए। फेर किछु गपशपक बाद व्लादीमीरकेँ उठेबाक प्रयासमे एस्ट्रागोन खसि पड़ैए। व्लादीमीर पोजोकेँ मारैए, पोजो घुसकुनिया दैए। तखन व्लादीमीर ओकरा ताकैए, कहैए- आबि जो, तोरा नोकसान नै पहुँचेबौ। एस्ट्रागोन आ व्लादीमीर उठबाक प्रयास करबाक सोचैए आ उठि जाइए। एस्ट्रागोन कहैए- उठनाइ बच्चाक खेल सन हल्लुक अछि आ व्लादीमीर बजैए- ई मात्र आत्मशक्तिक प्रश्न अछि। पोजो सहायता लेल कहैए। दुनू पोजोकेँ उठबैए, फेर छोड़ैए, पोजो खसि पड़ैए। फेर दुनू ओकरा उठबैए आ पकड़ने रहैए। किछु कालमे कने छोड़ि क’ जाँचैए मुदा जखन पोजो खस’ लगैए तँ पकड़ि लैए। पोजो सेहो बुझा पड़ैए जे काल्हिक घटना बिसरल सन अछि। ओ कहैए जे ओ एक दिन सुति क’ उठल तँ अपनाकेँ आन्हर देखलक, ओ कहैए जे ओकरा लगै छै जे ओ अखनो सुतले तँ नै अछि। ओ लकीक विषयमे पूछैए। लागैए जे कोना ओ दुनू खसल, से ओकरा मोन नै छै। पोजो कहैए जे लकीक गर्दनिक रस्साकेँ जोरसँ खीचू बा मुँहपर जूतासँ मारू तँ ओ उठि जाएत। व्लादीमीर एस्ट्रागोनकेँ कहैए जे ओकरा लेल बदला लेबाक नीक अवसर छै। एस्ट्रागोन पुछैए (ओकर स्मृति घुरै छै!) जे जँ लकी अपन रक्षा करए तखन? तइपर पोजो बाजैए जे लकी कखनो अपन रक्षा नै करैए। मुदा एस्ट्रागोन नै व्लादीमीर लकीकेँ पएरसँ मार’ लगैए मुदा अपने ओकरा चोट लागि जाइ छै। घटनाक्रमसँ लगै छै जे पोजो आब अपनासँ ठाढ़ भ’ गेल अछि।
पोजो जे लकीकेँ कोनो हाटमे बेचैले ल’ जा रहल अछि, केँ ने काल्हिक किछु मोन छै आ नहिये काल्हि आजुक किछु मोन रहतै। ओ लकीकेँ उठैले कहैए आ लकी उठि जाइए आ अपन बोझ उठा लैए। पोजो अपन चाबुक मांगैए। लकी सभ बोझ राखैए, आ चाबुक पोजोक हाथमे द’ क’ सभ बोझ उठा लैए। पोजो रस्सा मांगैए, लकी सभ बोझ राखि रस्सा पोजोकेँ पकड़ा क’ सभ बोझ उठा लैए! लकी आ पोजो चलि जाइए। ओ छौंड़ा अबैए। ओ व्लादीमीरकेँ अल्बर्ट कहि सम्बोधित करैए। व्लादीमीर पुछै छै जे की ओ ओकरा नै चिन्हलक, की ओ काल्हि नै आएल छल। छौड़ा कहैए जे आइ ओ पहिल बेर आएल अछि। संदेश वएह छै, गोडो आइ नै आएत मुदा काल्हि अवश्य आएत। व्लादीमीर पुछैए जे “गोडो” करैए की? तँ छौड़ा कहैए जे गोडो किछु नै करैए। व्लादीमीर पुछैए जे छौड़ाक भाए केहन छै। तँ उत्तर भेटै छै , ओ दुखित छै। व्लादीमीर पुछैए जे की काल्हि ओकर भाए आएल छलै- तँ से छौड़ाकेँ नै बुझल छै। छौड़ा उत्तर दैत कहैए जे गोडोकेँ दाढ़ी छै आ ओ कारी नै गोर छै। छौड़ा (पहिल अंक जकाँ) पुछैए जे ओ गोडोकेँ की जा क’ कहतै। व्लादीमीर कहैए- जा क’ कहू जे तोरा हमरा सभसँ भेँट भेलउ। व्लादीमीर छौड़ापर छड़पैए मुदा ओ पड़ा जाइए। सूर्यास्त होइ छै। चन्द्रमा देखा पड़ै छै। एस्ट्रागोन कहैए जे जँ दुनू गोटे अलग भ’ जाए तँ ई दुनू लेल नीक हेतै। जँ काल्हि गोडो नै एतै तँ ओ दुनू गोटे रस्सासँ लटकि जाएत (व्लादीमीर कहैए) आ जँ एतै तँ बचि जाएत। व्लादीमीर लकीक हैटमे ताकैए, हिलबैए, फेर पहिरैए। दुनू जेबाक निर्णय करैए मुदा कियो नै हिलैए। पर्दा खसैत अछि। ............ हैरोल्ड पिंटरक तीन अंकीय नाटक “द बर्थडे पार्टी” पीटे, मेग, स्टैनले, लुलु, गोल्डबर्ग आ मैककान एकर पात्र छथि। पहिल अंक- मेग पीटेकेँ जलखै दैए, पुछैए जे स्टेनली उठलै आकि नै। स्टेनली अबैए, ओकरो मेग जलखै दैए। पीटे काजपर चलि जाइए। मेग आ स्टैनलेमे अंतरंग गप होइए, हँसी मजाक होइए। पीटे मेगसँ कहने रहै जे दू गोटे एतै आ किछु दिन ओकरा घरमे रहतै। ओकर घर सूची (बोर्डिंग हाउस)मे छै। स्टैनली ई सुनि पूछ-पाछ करै छै, ओ चिंतित भ’ जाइए। स्टैनली कहैए जे ओकरा पेरिसमे नाइट क्लबमे पियानो बजेबाक नोकरीक ऑफर आएल छै। फेर एथेंस, कॉंन्सटेनटिनोपल, जाग्रेब, व्लादीवोस्टक सेहो। ई सम्पूर्ण विश्वक दर्शनबला नोकरी अछि। पुछलापर ओ कहैए जे ओ संपूर्ण विश्व, संपूर्ण देशमे पियानो बजेने अछि। एक बेर ओ कंसर्ट सेहो केने रहए। फेर ओ कहैए जे पहिल कंसर्ट मे ओ स्थानक पता हरा देलक आ नै पहुँचि सकल। दोसर कंसर्टमे जखन ओ पहुँचल तँ स्थलपर ताला लागल रहै। मेगक इच्छा नै छै जे स्टेनली कतौ जाए। स्टेनलीकेँ लागै छै जे ओ दुनू गोटे ककरो खोजमे अछि। लुलुक अबाज अबैए। मेग खरीदारीक झोरा ल’ क’ बहरा जाइए, कियो ओकरासँ मिसेज बोल्स सम्बोधित क’ गप करै छै। लुलु अबैए आ स्टैनलीसँ गप करैए। लुलु बहराइए तँ गोल्डबर्ग आ मैककेन अबैए। मैककेन गोल्डबर्गकेँ नैट कहि सम्बोधित करैए। स्टैनली चोरा क’ पहिनहिये बहरा जाइए। मेग अबैए, गोल्डबर्ग ओकरा मिसेज बोल्स कहि सम्बोधित करैए आ अपनाकेँ गोल्डबर्ग आ संगीकेँ मैककेन कहि परिचय दैए। गपशपक क्रममे गोल्डबर्ग पुछै छै जे ओइ रहनिहारक नाम की छै आ ओ की करैए। मेग कहैए जे ओकर नाम स्टैनले वेबर छै आ ओ एक बेर कंसर्ट देलक मुदा केयरटेकरक गलतीसँ रातिमे ओ ओतै बन्द रहि गेल आ भोर धरि बन्द रहल। आ फेर “टिप” ल’ क’ ट्रेन पकड़ि एत’ आबि गेल। तखने मेग कहैए जे आइ ओकर “बर्थडे” छिऐ। आ फेर “बर्थडे पार्टी” निर्धारित होइ छै 9 बजे। लुलुकेँ सेहो बेरू पहर नोति देल जेतै। तीनू बहराइए आ स्टैनली खिड़कीसँ ताकैए। मेग अबैए। स्टैनली ओइ दुनूसँ आशंकित अछि। नाम पुछैए तँ मेग नाम बिसरि जाइए आ ओकरा गोल्ड.. मोन पड़ै छै तँ स्टैनली मोन पाड़ै छै- गोल्डबर्ग। मेग पुछैए जे की स्टेनली ओकरा चिन्हैए तँ स्टैनली गुम्म रहैए। फेर स्टैनली कहैए जे आइ ओकर बर्थडे नै छिऐ। मेग ओकरा लेल बच्चाक ड्रम उपहारमे अनने अछि आ तकर बदलामे ओ स्टैनलीसँ चुम्मा मांगैए। अंक 2 मे स्टैनली आ मैक्कानक गपशप भ’ रहल छै। स्टैनली बाहर जाए चाहैए। ओ मैक्कानकेँ कहै छै जे ई बोर्डिंग हाउस नै छी, नहिये कहियो रहै। पीटे आ गोल्डबर्ग अबैए। गोल्डबर्ग पीटेकेँ मिस्टर बोल्स कहि सम्बोधित करैए। पीटेक गेलाक बाद स्टैनली कहैए जे ऐ घरक लोकक सुंघबाक शक्ति चलि गेल छै तेँ ओ गोल्डबर्ग आ मैक्कानक खतरा नै चीन्हि पाबि रहल छथि, हुनका सभक प्रति ओकर (स्टैनलीक) जिम्मेवारी छै। मैक्कान ओकरासँ चश्मा छीनि लैए। मैक्कान आ गोल्डबर्ग ओकरासँ पुछैए जे ओ किए अपन पत्नीक हत्या केलक। ओ नाम बदलने अछि आ चरित्रहीन अछि, स्त्रीकेँ दूषित करैए। झगड़ा शुरू होइ छै। मुदा झगड़ा रुकलाक बाद (प्रायः मेगकेँ नै बुझल छै) मेग पार्टी ड्रेसमे अबैए। सामान्य गप होइ छै।
लुलु अबैए, गोल्डबर्ग ओकरा कोरामे बैसबैए। लुलुक पुछलापर जे ओकरा तँ होइ छलै जे ओ “नैट” छी, गोल्डबर्ग कहै छै जे ओकर पत्नी ओकरा “सिमे” कहि बजबै छै।
पार्टीमे खेल शुरू होइए, आँखिमे पट्टी बान्हि क’। मिसेज बोल्सकेँ लुलु स्कार्फसँ आँखि बान्हैए। ओ जकरा छू देत तकरा आँखिपर पट्टी बान्हल जाएत। ओ मैक्केनकेँ छुबैए। फेर स्टैनली छुआइए। ओकर चश्मा लेल जाइ छै। स्टेनलीकेँ पट्टी बान्हल जाइ छै। मैक्केन स्टेनलीक चश्मा तोड़ि दैए। मैक्केन ड्रमकेँ स्टेनलीक रस्तामे राखैए, ओ खसि पड़ैए आ मेगक गर्दनि दबब’ चाहैए, मैक्केन आ गोल्डबर्ग बचबै छै।
अन्हार पसरैए।
स्टैनलीकेँ अबैत देखि लुलु बेहोश भ’ जाइए। स्टैनले लुलुकेँ टेबुलपर राखैए। मैक्कानकेँ टॉर्च भेटै छै। ओ टेबुल आ स्टैनलीपर टॉर्च बाड़ैए। अंक 3: पीटे आ मेगमे गप होइ छै। मेग स्टैनलीक विषयमे पीटेसँ पुछैए। लुलु अबैए, गोल्डबर्गसँ पुछैए जे ओकर पिता बा एडी (ओकर पहिल प्रेमी) की सोचत जँ ओ ई सुनत। ओ कहैए जे गोल्डबर्ग अपन दुष्ट पियास तृप्त केलक, ओ लुलुकेँ से सभ सिखेलक जे एकटा युवती तीन बेर बियाहल जेबाक बादे सीखत। गोल्डबर्ग कहैए जे ओ ई केलक कारण लुलु ओकरा ई कर’ देलक।
लुलु जाइए। मेगक अनुपस्थितिमे गोल्डबर्ग आ मैक्कान स्टेनलीकेँ ल’ जाइए। पीटे ओकरा छोड़ैले कहैए। गोल्डबर्ग आ मैक्कान पीटेकेँ सेहो संगमे चलैले कहैए, कारमे जगह छै। पीटे स्थिर रहैए। पीटे असगरे रहि जाइए, मेग अबैए। पुछैए, ओ सभ गेल? पीटे कहैए- हँ। स्टेनलीक विषयमे मेग पुछैए- ओ सुतले अछि? पीटे कहैए- ओ सुतल अछि।
-सुत’ दियौ। मेग पुछैए- की ई नीक पार्टी नै छल तँ पीटे कहैए- ओ बादमे आएल। पर्दा खसैए। ....... बादल सरकारक “एवम् इन्द्रजीत” “एवम् इन्द्रजीत” मे लेखक, काकी, मानसी, अमल, विमल, कमल, इन्द्रजीत आ इन्द्रजीतक पत्नी ( नाटकमे बादमे) दोसर मानसी पात्र अछि। अंक 1- लेखक एकटा नाटकक खोजमे अछि। ओकर काकी ओकर खेनाइ-पिनाइ छोड़ि लिखैत रहबापर तमसाएल छै। मानसी पुछैए जे ओ पढ़त जे किछु ओ लिखलक। लेखक कहैए, ओ किछु नै लिखलक। मानसी ओकरा प्रयास करैले कहै छै। लेखक दर्शकमेसँ चारिटा बादमे आबैबलाकेँ स्टेजपर बजबैए, अमल, विमल, कमल। चारिम अपन नाम निर्मल कुमार कहैए। लेखक कहैए- ई नै भ’ सकै छै, अपन असली नाम बताउ। ओ कहैए- इन्द्रजीत राय। अमल, विमल, कमल एवम् इन्द्रजीत। मानसी (असली नाम दोसर मुदा लेखक कहैए मानसीये) ओकर ममियौत बहिन छिऐ। ओ ओकरासँ प्रेम करैए, परम्परा तोड़’ चाहैए अंक 2: बादमे ओकरा लागै छै जे की जँ ई प्रेम सफल भइयो जेतै तँ ओकरा उत्तर भेटतै? नै ने। ओ लंदन सेहो जाएत। मृत्यु चाहैए, नै क’ पाबैए। लेखक द्वारा नामित इन्द्रजीतक मानसी अविवाहित अछि, हजारीबागमे पढ़बैए।
मुदा अमल, विमल, कमलक विपरीत इन्द्रजीत लीखपर नै चलैए। अलग किछु कर’ चाहैए। काका, जकरा ओ माए कहैए, खाइले कहै छै आ मानसी लिखैले। मुदा जखन एक बेर मानसी लेखककेँ खाइले कहि दैए तँ लेखक दुखी भ’ जाइए, नै, अहूँ? नै। मुदा फेर मानसीकेँ गलतीक भान होइ छै, ओ ओकर लेखनक विषयमे पुछैए। लेखक चिंतित अछि, ई इन्द्रजीत वास्तविकताकेँ नै मानैए, कोनो प्रतिबद्धता ओकरामे नै छै। मुदा मानसी से नै मानैए। ओ सपना तँ देखैए ने। इन्द्रजीत लंदनसँ कोलकाता घुरैए, एकटा दोसर स्त्रीसँ बियाह करैए, ओकरो नाम मानसी छिऐ (इन्द्रजीत एकरा मानसी कहैए, पहिलुका मानसी जेकरा लेखक मानसी कहैए ओ इन्द्रजीतक ममियौत छिऐ, जकरासँ इन्द्रजीत प्रेम करैए मुदा ओ भाएक रिश्तासँ ओकरासँ बियाह नै करैए जे लोक की कहतै, आ इन्द्रजीत लेखककेँ कहैत रहैए जे ओकर नाम मानसी नै छिऐ। )
इन्द्रजीत बुझ’ लगैए (मानसीकेँ ओ कहैए) जे व्यक्तिक भिन्नताक मात्र भ्रम अछि। स्वप्न स्वप्न अछि ओ वास्तविकता नै बनि सकैए। मानसी, मानसी, मानसी, सभ मानसी, जेना अमल, विमल, कमल। लेखक पूछैए तँ इन्द्रजीत कहैए- अमल, विमल, कमल एवम् इन्द्रजीत (सेहो!)।
लेखकक यात्राक कोनो लक्ष्य नै, कोनो उद्देश्य नै, फुसियाँहीक यात्रा जकर कोनो कारण नै। लेखक इन्द्रजीतकेँ कहैए, हमरा सभकेँ जीबाक अछि, चलबाक अछि, कोनो धर्मस्थल नै तैयो तीर्थयात्रा करबाक अछि।
उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’क “नो एण्ट्री: मा प्रविश”
प्रथम कल्लोल: ई नाटक ज्योतिरीश्वरक परम्परामे कल्लोलमे (हुनकर वर्ण रत्नाकर कल्लोलमे विभक्त अछि जे नाटक नहि छी, धूर्त-समागम जे ज्योतिरीश्वर लिखित नाटक अछि- अंकमे विभक्त अछि) विभाजित अछि। चारि कल्लोलक विभाजनक प्रथम कल्लोल स्वर्ग (वा नरक) केर द्वारपर आरम्भ होइत अछि। ओतए बहुत रास मुइल लोक द्वारक भीतर प्रवेशक लेल पंक्तिबद्ध छथि। क्यो पथ दुर्घटनामे शिकार भेल बाजारी छथि तँ संगमे युद्दमे मृत भेल सैनिक आ चोरि करए काल मारल गेल चोर, उच्चक्का आ पॉकिटमार सेहो छथि। ज्योतिरीश्वरक धूर्तसमागममे जे अति आधुनिक अब्सर्डिटी अछि से नो एण्ट्री: मा प्रविश मे सेहो देखबामे अबैत अछि। प्रथम कल्लोलमे जे बाजारी छथि से, पंक्ति तोड़ि आगाँ बढ़ला उत्तर, चोर आ उचक्का दुनू गोटेकेँ, कॉलर पकड़ि पुनः हुनकर सभक मूल स्थानपर दए अबैत छथि। उचक्का जे बादमे पता चलैत अछि जे गुण्डा-दादा थिक मुदा बाजारी लग सञ्च-मञ्च रहैत अछि, हुनकासँ अंगा छोड़बाक लेल कहैत अछि। मुदा जखन पॉकेटमार बाजारी दिससँ चोरक विपक्षमे बजैत अछि तखन उचक्का चक्कू निकालि अपन असल रूपमे आबि जाइत अछि आ पॉकेटमारपर मारि-मारि कए उठैत अछि। मुदा जखन चोर कहैत छनि जे ई सेहो अपने बिरादरीक अछि जे छोट-छीन पॉकेटमार मात्र बनि सकल, ओकर जकाँ माँजल चोर नहि, आ उचक्का जेकाँ गुण्डा-बदमाश बनबाक तँ सोचिओ नञि सकल, तखन उचक्का महराज चोरक पाछाँ पड़ि जाइत छथि, जे बदमाश ककरा कहलँह। आब पॉकेटमार मौका देखि पक्ष बदलैत अछि आ उचक्काकेँ कहैत छन्हि जे अहाँकेँ नहि हमरा कहलक। संगे ईहो कहैत अछि जे चोरि तँ ई तेहन करए जनैत अछि, जे गिरहथक बेटा आ कुकुर सभ चोरि करैत काल पीटैत-पीटैत एतऽ पठा देलकए आ हमर खिधांश करैत अछि, बड़का चोर भेला हँ। भद्र व्यक्ति चोरक बगेबानी देखि ई विश्वास नहि कए पबैत छथि जे ओ चोर थिकाह। ताहिपर पॉकेटमार, चोर महाराजकेँ आर किचकिचबैत छन्हि। तखन ओ चोर महराज एहि गपपर दुख प्रकट करैत छथि जे नहि तँ ओहि राति एहि पॉकेटमारकेँ चोरिपर लए जएतथि आ ने ओ हुनका पिटैत देखि सकैत। एम्हर बजारी जे पहिने चोर आ उच्क्काकेँ कॉलर पकड़ि घिसिया चुकल छलाह, गुम्म भेल सभटा सुनैत छथि आ दुख प्रकट करैत छथि जे एकरा सभक संग स्वर्गमे रहब, तँ स्वर्ग केहन होएत से नहि जानि। आब बजारी महराज गीतक एकटा टुकड़ी एहि विषयपर पढ़ैत छथि। जेना धूर्तसमागममे गीत अछि तहिना नो एण्ट्री: मा प्रविश मे सेहो, ई एहि स्थलपर प्रारम्भ होइत अछि जे एहि नाटककेँ संगीतक बना दैत अछि। ओम्हर पॉकेटमारजी सभक पॉकेट काटि लैत छथि आ बटुआ साफ कए दैत छथि। आब फेर गीतमय फकड़ा शुरू भए जाइत अछि मुदा तखने एकटा मृत रद्दीबला सभक तंद्राकेँ तोड़ि दैत छथि, ई कहि जे यमालयक बन्द दरबज्जाक ओहि पार, ई बटुआ आ पाइ-कौड़ी कोनो काजक नहि अछि। आब दुनू मृत भद्र व्यक्ति सेहो बजैत छथि, जे हँ दोसर देसमे दोसर देसक सिक्का कहाँ चलैत अछि। आब एकटा रमणीमोहन नाम्ना मृत रसिक भद्र व्यक्तिक दोसर देसक सिक्का नहि चलबाक विषयमे टीप दैत छथि, जे हँ ई तँ ओहिना अछि जेना प्रेयसीक दोसरक पत्नी बनब। आब एहि गपपर घमर्थन शुरू भए जाइत अछि। तखन रमणी मोहन गपक रुखि घुमा दैत छथि जे दरबज्जाक भीतर रम्भा-मेनका सभ हेतीह। भिखमंगनी जे तावत अपन कोरामे लेल एकटा पुतराकेँ दोसराक हाथमे दए बहसमे शामिल भऽ गेल छथि, ईर्ष्यावश रम्भा-मेनकाकेँ मुँहझड़की इत्यादि कहैत छथि। मुदा पॉकेटमार कहैत अछि जे भीतरमे सुख नहि दुखो भए सकैत अछि। एहिपर बीमा बाबू अपन कार्यक स्कोप देखि प्रसन्न भए जाइत छथि। आब पॉकेटमार इन्द्रक वज्र पर रुपैय्याक बोली शुरू करैत अछि। एहि बेर बजारी तन्द्रा भंग करैत अछि आ दुनू भद्र व्यक्ति हुनकर समर्थन करैत कहैत अछि, जे ई अद्भुत नीलामी अछि, जे करबा रहल अछि से पॉकेटमार आ ओहिमे शामिल अछि चोर आ भिखमंगनी, पहिले-पहिल सुनल अछि आ फेर संगीतमय फकड़ा सभ शुरू भए जाइत अछि। मुदा तखने नंदी-भृंगी शास्त्रीय संगीतपर नचैत प्रवेश करैत छथि। आब नंदी-भृंगीक ई पुछलापर जे दरबज्जाक भीतर की अछि, सभ गोटे अपना-अपना हिसाबसँ स्वर्ग-नरक आ अकास-पताल कहैत छथि। मुदा नंदी-भृंगी कहैत छथि जे सभ गोटे सत्य कहैत छी आ क्यो गोटे पूर्ण सत्य नहि बजलहुँ। फेर बजैत-बजैत ओ कहए लगैत छथि, क्यो चोरि काल मारल गेलाह (चोर ई सुनि भागए लगैत छथि तँ दु-तीन गोटे पकड़ि सोझाँ लए अनैत छन्हि!) तँ क्यो एक्सीडेन्टसँ, आ एहि तरहेँ सभटा गनबए लगैत छथि, मुदा बीमा-बाबू कोना बिन मृत्युक एतए आयल छथि से हुनकहु लोकनिकेँ नहि बुझल छन्हि ! बीमा बाबू कहैत छथि जे ओ नव मार्केटक अन्वेषणमे आएल छथि ! से बिन मरल सेहो एक गोटे ओतए छथि ! भृंगी नंदीकेँ ढ़ेर रास बीमा कम्पनीक आगमनसँ आएल कम्पीटिशनक विषयमे बुझबैत छथि ! एम्हर प्रेमी-प्रेमिकामे घोंघाउज शुरू होइत छन्हि, कारण प्रेमी आब घुरि जाए चाहैत छथि। रमणी मोहन प्रेमीक गमनसँ प्रसन्न होइत छथि जे प्रेमिका आब असगरे रहतीह आ हुनका लेल मौका छन्हि। मुदा भृंगी ई कहि जे एतएसँ गेनाइ तँ संभव नहि मुदा ई भऽ सकैत अछि जे दुनू जोड़ी माय-बाप (!) केँ एक्सीडेन्ट करबाए एतहि बजबा लेल जाए। मुदा अपना लेल माए-बापक बलि लेल प्रेमी-प्रेमिका तैयार नहि छथि। तखन नंदी भृंगी दुनू गोटेक विवाह गाजा-बाजाक संग करा दैत छथि आ कन्यादान करैत छथि बजारी।
दोसर कल्लोल: दोसर कल्लोलक आरम्भ होइत अछि एहि आभाससँ, जे क्यो नेता मरलाक बाद आबएबला छथि, हुनकर दुनू अनुचर मृत भए आबि चुकल छथि आ नेताजीक अएबाक सभ क्यो प्रतीक्षा कए रहल छथि, दुनू अनुचर छोट-मोट भाषण दए नेताजीक विलम्बसँ अएबाक (मृत्युक बादो !) क्षतिपूर्ति कए रहल छथि, गीतक योग दए। एकटा गीत चोर नहि बुझैत छथि मुदा भिखमंगनी आ रद्दीबला बुझि जाइत छथि, ताहि पर बहस शुरू होइत अछि। चोरकेँ अपनाकेँ चोर कहलापर आपत्ति अछि आ भिखमंगनीकेँ ओ भिख-मंग कहैत अछि तँ भिखमंगनी ओकरा रोकि कहैत छथि जे ओ सरिसवपाहीक अनसूया छथि, मिथिला-चित्रकार, मुदा दिल्लीक अशोकबस्ती आबि बुझलन्हि जे एहि नगरमे कला-वस्तु क्यो नहि किनैत अछि आ तखन चौबटियाक भिखमंगनी बनि रहि गेलीह। चोर कहैत अछि जे मात्र ओ बदनाम छथि, चोरि तँ सभ करैत अछि। नव बात कोनो नहि अछि, सभ अछि पुरनकाक चोरि। तकर बाद नेताजी पहुँचि जाइत छथि आ लोकक चोर, उचक्का आ पॉकेटमार होएबाक कारण समाजक स्थितिकेँ कहैत छथि। तखने एकटा वामपंथी अबैत छथि आ ओ ई देखि क्षुब्ध छथि जे नेताजी चोर, उचक्का आ पॉकेटमारसँ घिरल छथि। मुदा चोर अपन तर्क लए पुनः प्रस्तुत होइत अछि आ नेताजीक राखल “चोर-पुराण” नामक आधारपर बजारी जी गीत शुरू कए दैत छथि।
तेसर कल्लोल: आब नेताजी आ वामपंथीमे गठबंधन आ वामपंथी द्वारा सरकारक बाहरसँ देल समर्थनपर चरचा शुरू भए जाइत अछि। नेताजी फेर गीतमय होइत छथि आकि तखने स्टंट-सीन करैत एकटा मुइल अभिनेता विवेक कुमारक अएलासँ आकर्षण ओम्हर चलि जाइत अछि। टटका-ब्रेकिंग न्यूज देबाक मजबूरीपर नेताजी व्यंग्य करैत छथि। वामपंथी दू बेर दू गोट गप- नव गप कहि जाइत छथि, एक जे बिन अभिनेता बनने क्यो नेता नहि बनि सकैत अछि आ दोसर जे चोर नेता नहि बनि सकैछ (ई चोर कहैत अछि) मुदा नेता सभ तँ चोरि करबामे ककरोसँ पाछाँ नहि छथि। तखने एकटा उच्च वंशीय महिला अबैत छथि आ हुनकर प्रश्नोत्तरक बाद एकटा सामान्य क्यूक संग एकटा वी.आइ.पी.क्यू बनि जाइत अछि। अभिनेता, नेता आ वामपंथी सभ वी.आइ.पी.क्यूमे ठाढ़ भऽ जाइत छथि ! ई पुछलापर जे पंक्ति किएक बनल अछि (?) ताहिपर चोर-पॉकेटमार कहैत छथि जे हुनका लोकनिकेँ पंक्ति बनएबाक (आ तोड़बाक सेहो) अभ्यास छन्हि।
चतुर्थ कल्लोल: यमराज सभक खाता-खेसरा देखि लैत छथि आ चित्रगुप्त ई रहस्योद्घाटन करैत छथि जे एक युग छल जखन सोझाँक दरबज्जा खुजितो छल आ बन्न सेहो होइत छल। नंदी भृंगी पहिनहि सूचित कए देलन्हि जे सोझाँक दरबज्जा स्वप्न नहि, मात्र बुझबाक दोष छल। दरबज्जाक ओहि पार की अछि ताहि विषयमे सभ क्यो अपना-अपना हिसाबसँ उत्तर दैत छथि। चित्रगुप्त कहैत छथि जे सभक वर्णनक सभ वस्तु छै ओहिपार। नंदी-भृंगी सूचित करैत छथि जे एहि गेटमे प्रवेश निषेध छै, नो एण्ट्री केर बोर्ड लागल छै। आहि रे ब्बा! आब की होअए ! नेताजीकेँ पठाओल जाइत छन्हि यमराजक सोझाँ, मुदा हुनकर सरस्वती ओतए मन्द भए जाइत छन्हि। बदरी विशाल मिश्र प्रसिद्ध नेताजी, केर खिंचाई शुरू होइत छन्हि असली केर बदला सर्टिफिकेट बला कम कए लिखाओल उमरिपर। पचपन बरिख आयु आ शश योग कहैत अछि जे सत्तरि से ऊपर जीताह से ओ आ संगमे मृत चारू सैनिककेँ आपिस पठा देल जाइत अछि। दूटा सैनिक नेताजीक संग चलि जाइत छथि आ दू टा अनुचर सेहो जाए चाहैत अछि। मुदा नेताजीक अनुचर सभक अपराध बड़ भारी, से चित्रगुप्तक आदेशपर नंदी-भृंगी हुनका लए, कराहीमे भुजबाक लेल बाहर लए जाइत छथि तँ बाँचल दुनू सैनिक हुनका पकड़ि केँ लए जाइत छथि आ नंदी-भृंगी फेर मंचपर घुरि अबैत छथि। तहिना तर्कक बाद प्रेमी-प्रेमिका, दुनू भद्र पुरुष आ बजारीकेँ सेहो त्राण भेटैत छन्हि ढोल-पिपहीक संग हुनका बाहर लए गेल जाइत अछि। आब नन्दी जखन अभिनेताक नाम विवेक कुमार उर्फ...बजैत छथि तँ अभिनेता जी रोकि दैत छथि, जे कतेक मेहनतिसँ जाति हुनकर पाछाँ छोड़ि सकल अछि, से उर्फ तँ छोड़िए देल जाए। वामपंथी गोष्ठीकेँ अभिनेता द्वारा मदति केर विवरणपर वामपंथी प्रतिवाद करैत छथि। हुनको पठा देल जाइत छनि। वामपंथीक की हेतन्हि, हुनकर कथामे तँ ने स्वर्ग-नर्क अछि आ ने यमराज-चित्रगुप्त। हुनका अपन भविष्यक निर्णय स्वयं करबाक अवसर देल जाइत छन्हि। मुदा वामपंथी कहैत छथि जे हुनकर शिक्षा आन प्रकारक छलन्हि, मुदा एखन जे सोझाँ घटित भए रहल छन्हि ताहिपर कोना अविश्वास करथु? मुदा यमराज कहैत छथि जे- भऽ सकैत अछि, जे अहाँ देखि रहल छी से दुःस्वप्न होअए, जतए पैसैत जाएब ओतए लिखल अछि नो एण्ट्री। आब यमराज प्रश्न पुछैत छथि जे विषम के, मनुक्ख आकि प्रकृति ? वामपंथी कहैत छथि जे दुनू, मुदा प्रकृतिमे तँ नेचुरल जस्टिस कदाचित् होइतो छै मुदा मनुक्खक स्वभावमे से गुन्जाइश कतए ? मुदा वामपंथी राजनीति एकर (समानताक, सुधार केर) प्रयास करैत अछि। ताहिपर हुनका संग चोर-उचक्का आ पॉकेटमारकेँ पठाओल जाइत अछि, ई अवसर दैत जे हिनका सभकेँ बदलू। चोर कनेक जाएमे इतस्तः करैत अछि आ ई जिज्ञासा करैत अछि जे हम सभ तँ जाइए रहल छी मुदा एहिसँ आगाँ ? नंदी-चित्रगुप्त-यमराज समवेत स्वरमे कहैत छथि- नो एण्ट्री। भृंगी तखने अबैत छथि, अभिनेताकेँ छोड़ने। यमराज कहैत छथि - मा प्रविश। भृंगी नीचाँमे होइत चरचाक गप कहैत अछि, जे एतुक्का निअम बदलल जएबाक आ कतेक गोटेकेँ पृथ्वीपर घुरए देल जएबाक चरचा सर्वत्र भए रहल अछि। यमदूत सभ अनेरे कड़ाह लग ठाढ़ छथि क्यो भुजए लेल कहाँ भेटल छन्हि (मात्र दू टा अनुचर छोड़ि)। आब क्यो नहि आबए बला बचल अछि, से सभ कहैत छथि। चित्रगुप्त अपन नमहर दाढ़ी आ यमराज अपन मुकुट उतारि लैत छथि आ स्वाभाविक मनुक्ख रूपमे आबि जाइत छथि! मुदा चित्रगुप्तक मेकप बला नमहर दाढ़ी देखि भिखमंगनी जे ओतए छलीह, हँसि दैत छथि। भृंगी उद्घाटन करैत छथि जे भिखमंगनी हुनके सभ जेकाँ कलाकार छथि ! कोन अभिनय ! तकर विवरण मुहब्बत आ गुदगुदीपर खतम होइत अछि, तँ भिखमंगनी कहैत छथि जे नहि एहि तरहक अभिनय तँ ओतए (देखा कए) भऽ रहल अछि। ओत्तऽ रमणी मोहन आ उच्चवंशीय महिला निभाक रोमांस चलि रहल अछि। मुदा निभाजी तँ बजिते नहि छथि। भिखमंगनी यमराजसँ कहैत छथि जे ओ तखने बजतीह जखन एहि दरबज्जाक तालाक चाभी हुनका भेटतन्हि, बुझतीह जे अपसरा बनबामे यमराज मदति दए सकैत छथि, ई रमणीक हृदय थिक एतहु नो एण्ट्री ! यमराज खखसैत छथि, तँ चित्रगुप्त बुझि जाइत छथि जे यमराज “पंचशर”सँ ग्रसित भए गेल छथि ! चित्रगुप्तक कहला उत्तर सभ क्यो एक कात लए जाओल जाइत छथि मात्र यमराज आ निभा मंचपर रहि जाइत छथि। यमराज निभाक सोझाँ- सुनू ने निभा... कहि रुकि जाइत छथि। सभक उत्साहित कएलापर यमराज बड़का चाभी हुनका दैत छथि, मुदा निभा चाभी भेटलापर रमणी मोहनक संग तेना आगाँ बढ़ैत छथि जेना ककरो अनका चिन्हिते नहि होथि ! ओ चाभी रमणी मोहनकेँ दए दैत छथि मुदा ओ ताला नहि खोलि पबैत छथि। फेर निभा अपने प्रयास करए लेल आगाँ बढ़ैत छथि मुदा चित्रगुप्त कहैत छथि जे ई मोनक दरबज्जा थिक, ओना नहि खुजत। महिला ठकए लेल चाभी देबाक (!) गप कहैत छथि। सभ क्यो हँसी करैत छनि जे मोन कतए छोड़ि अएलहुँ ? ताहिपर एकबेर पुनः रमणी मोहन आ निभा मोन संजोगि कए ताला खोलबाक असफल प्रयास करैत छथि। नंदी-भृंगी-भिखमंगनी गीत गाबए लगैत छथि जकर तात्पर्य ईएह जे मोनक ताला अछि लागल, मुदा ओतए अछि नो एण्ट्री। मुदा ऋतु वसन्तमे प्रेम होइछ अनन्त आ करेज कहैत अछि मैना-मैना । तँ एतहि नो एण्ट्री दरबज्जापर धरना देल जाए।
उत्तर आधुनिक भावप्रधान निरर्थक (एबसर्ड) नाटक: एन
एटेण्डेन्ट गोडो क सैमुअल बेकैट द्वारा स्वयं फ्रेंचसँ अंग्रेजीमे अनुवाद कएल गेल
“वेटिंग फॉर गोडो” शीर्षकसँ आ उपशीर्षक “अ ट्रेजिकॉमेडी इन टू एक्ट्स” सेहो जोड़ल गेल
जे फ्रेंच संस्करणमे नै छल। ट्रेजीकॉमेडी माने ट्रेजेडी आ कॉमेडीक मिश्रण। एकर कथानकसँ
स्पष्ट भऽ गेल हएत जे एकर मुख्य पात्र “गोडो” ऐ नाटकमे छैहे नै, दोसर ओ भावक दृष्टिसँ
सेहो नाटकक मुख्य तत्व नै छै। नाटकक मुख्य तत्व छै “वेटिंग” माने बाट तकनाइ। भाषा,
स्टेज, बाजब, चुप्प रहब, चलबाक तरीका, ई सभ ऐ नाटकक अभिन्न अंग छिऐ। देश-कालमे भागैबला
बनजारा जीवनशैलीक लोक सभ अछि एकर मुख्य पात्र। बिनु बजने शारीरिक भावसँ अभिनय करैबला
“माइम कलाकार” जेकाँ ऐ नाटकक पात्र अभिनय करै छथि। नाटकमे प्लॉट आ संतुलनक नव परिभाषा
ई नाटक गढ़ैत अछि। आधुनिक थियेटरकेँ ई नाटक नव युगमे प्रवेश कराबैत अछि। ब्रिटेनक “म्यूजिक
हॉल” थियेटर मे संगीत हास्य रहै छलै जइमे जीवनक निराशा “क्रॉस-टॉक”सँ बेकेट आ राजनैतिक-सामाजिक
आतंक हैरोल्ड पिन्टर हास्य रूपमे देखबैत छथि। “नो एण्ट्री: मा प्रविश” सेहो स्वर्क
(बा नरक) क द्वारपर आरम्भ होइए जतए ओना तँ सभ मृत लोक पंक्तिबद्ध छथि मुदा एकटा जीवित
व्यक्ति सेहो छथि!उचक्का बाजारी लग सञ्च-मञ्च रहैए! प्रेमी-प्रेमिकाक ओतए बियाहो भऽ
जाइ छै! नेताजी मृत्युक बादो विलम्बसँ एबा लेल अभिशप्त छथि! वामपंथी ओतौ बाहरसँ समर्थन
दै छथि! वी.आइ.पी. क्यू सँ ओतौ त्राण नै भेटै छै! मुदा जइ दरबज्जाक बाहर लोक पंक्तिबद्ध
छथि से एक युगमे खुजितो छल आ बन्न सेहो होइत छल, ई रहस्योद्धाटन चित्रगुप्त करै छथि!
माने आब ई नै खुजत तखन इन्तजारी कथीक? नन्दी-भृंगी कहैए जे सोझाँक दरबज्जा स्वप्न नै,
मात्र बुझबाक दोष छल! अभिनेता विवेक कुमार अपन “सरनेम” पुछल गेलापर कहै छथि जे कतेक
मोश्किलसँ तँ जाति हुनकर पाछाँ छोड़लक अछि से उर्फ तँ छोड़िये देल जाए। वामपंथीक कथामे
ने स्वर्ग-नर्क होइ छै आ नहिये यमराज-चित्रगुप्त, मुदा एतुक्का परिस्थिति देखि कऽ ओ
अविश्वास कोना करथु? मुदा यमराजे हुनका कहै छथिन्ह जे ई दुःस्वप्न हुअए। यमदूत सभ कड़ाह
लग अनेरे ठाढ़ छथि कियो भूजैले भेटिते नै छन्हि, चित्रगुप्तक मेकप बला दाढ़ी देखि भिखमंगनीक
हँसलापर भृंगी कहै छथि जे भिखमंगनी सेहो हुनके सभ जेकाँ कलाकार छथि। मोनक दरबज्जा मोन
छोड़ि एलापर कोना खुजत?
फ्रेंच
नाटक “वेटिंग फॉर गोडो”, हैरोल्ड पिंटरक
अंग्रेजी नाटक “द बर्थडे पार्टी”, बादल
सरकारक बांग्ला नाटक “एवम् इन्द्रजीत” आ
उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’क मैथिली
नाटक “नो एण्ट्री: मा प्रविश” पुरान नाटक जेकाँ
परिभाषित आरम्भ आ अन्तक परिधिसँ अलग अछि। ई कतौ सँ शुरू भऽ जाइत अछि, कतौ खतम भऽ
जाइत अछि। एवम् इन्द्रजीत मे लेखक पात्र ताकि रहल अछि, आ अनचोक्के ओ दर्शक
दीर्घाकेँ सम्बोधित करैत चारिटा देरीसँ आएल दर्शककेँ मंचपर बजा लैए आ ओकरा नाटकक
पात्र बना दैए। चारिम पात्र ओकरा प्रिय छै, ओ निर्मल नै “इन्द्रजीत” छी। ओ अलग
अछि, इन्द्रकेँ जीतैबला ऐतिहासिक पात्र अछि। ओ अमल विमल, कमल जेकाँ लीखपर नै चलत।
मुदा अन्त जाइत जाइत इन्द्रजीत सेहो अमल विमल, कमल एवम् इन्द्रजीत भऽ जाइए।
हैरोल्ड
पिन्टरक “द बर्थडे पार्टी”क प्रारम्भमे तेहेन समीक्षा भेल जे हुनकर लेखकीय जीवन
समाप्त हुअए पर आबि गेल। मुदा एकर पुनर्पाठ एकरा क्लासिक बना देलक। किछु रहस्य,
किछु आतंककेँ ओ सम्पूर्ण नाटकमे बनेने रहलाह, हास्य कथ्यकेँ आर मजगूत केलक।
स्टैनले की अछि, छल बा बनऽ चहैत अछि? की ओ स्त्रीकेँ दूषित करैए, बा ओ अपन पत्नीक
हत्या केलक? मुदा मेग तँ ओकरा पसिन्न करै छै? ओकर पहिल आ दोसर कन्सर्ट, के तकर
बाधक बनलै? की ओ झूठ बजैए बा वर्तमान सामाजिक आ राजनैतिक परिभाषासँ अलग व्यवहारक
अछि? ओ मेगकेँ मोकऽ चाहैए मुदा तैयो किए मेग ओकरा पसिन्न करै छै आ सामाजिक आ
राजनैतिक शक्ति ओकरा किए आ कोना उठा कऽ लऽ गेल जाइ छै, जकर सिपाही गोल्डबर्ग
(गोल्डबर्गक लुलुक संग रहस्यमय व्यवहार) स्वयं आदर्श उपस्थित नै कऽ पाबै छथि।
सुन्न-मसान
सड़कक कातक माटिक ढिमका आ पत्रहीन नग्न गाछ “वेटिंग फॉर गोडो” क स्टेज छिऐ, ताला
लागल दरबज्जाक बाहरक स्थल/ मण्डप “नो एण्ट्री: मा प्रविश”क स्टेज छिऐ तँ “एवम्
इन्द्रजीत”मे दर्शक दीर्घा, सएह स्टेज बनि जाइए। “द बर्थडे पार्टी”मे घरक कोठली
स्टेज छिऐ मुदा पिन्टर एकर पात्र स्टैनले केँ डेरीडाक “विखण्डन” पद्धतिसँ कखनो
खण्ड कऽ दैत छथि तँ कखनो फेरसँ जोड़ि दै छथि। लोक बा दर्शक ओकरासँ ईर्ष्या करऽ
लगैए, खने सहानुभूति करऽ लगैए खने घृणा करऽ लगैए, मुदा स्टैनली गोल्डबर्ग आ
मैक्कानक सोझाँ जखन निर्बल बुझि पड़ैए तँ दर्शक ओकरा संग अपनाकेँ देखैए, जेना ओ “एवम्
इन्द्रजीत” मे इन्द्रजीत संग अपनाकेँ देखैए। “वेटिंग फॉर गोडो” मे जखन लोक गुलाम
संग अपनाकेँ देखैए तखने सहानुभूति देखेलापर चमेटा पड़लापर ओ हतप्रभ रहि जाइए। “नो
एण्ट्री: मा प्रविश” मे भिखमंगनी ईर्ष्यावश रम्भा-मेनकाकेँ मुँहझड़की कहैए!
पॉकेटमार इन्द्रक व्रजपर रुपैय्याक बोली लगबैए। नन्दी-भृंगी कहैए जे सभ गोटे सत्य छी
मुदा क्यो गोटे पूर्ण सत्य नै बजलौं। “एवम् इन्द्रजीत”मे
इन्द्रजीतक हाल सिसीफस सन छै। शापित ग्रीक मिथक सिसीफस, संगमरमरक पाथरपर चढ़बाक लेल
अभिशप्त, आ जखने ओ चोटीपर पहुँचैए आकि पाथर फेर गुरकि कऽ ओकरा नीचाँ आनि दै छै। मनुक्खक
काज आ जीवन निरर्थकतापर आधारित अछि। मनुक्ख असफल होइले अभिशप्त अछि, इन्द्रजीत
जेकाँ? आकि “नो एण्ट्री: मा प्रविश”क स्वर्ग-नरक, यमराज-चित्रगुप्तक अमान्यता
देखलाहा गपकेँ देखि बदलत? मुदा तखन यमराजे कहै छथि जे देखलाहा गप दुःस्वप्न भऽ
सकैए? “वेटिंग फॉर गोडो” ईश्वरक इन्तजारी नै छिऐ, बेकेट स्वयं कहै छथि जे इन्तजारी
“गॉड”क नै “गोडो”क भऽ रहल अछि, ओना क्रिस्टियेनिटी “मिथोलोजी” अछि से ओ तकर प्रयोग
करै छथि। अस्तित्ववादी विचारधारा, मनुक्ख आ ब्रह्माण्ड सभ निरर्थक अछि, अबसर्ड अछि।
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