Monday, February 6, 2012

नचिकेताक "एक छल राजा"क मंचन (रिपोर्ट श्री जितेन्द्र कुमार झा "जीतू")



सरस्वती पूजनोत्सव तथा वसन्त पचमी मेला २०६८ क अवसरपरहू बेर तिलाठीमे ४ दिन धरि बेस रंगारंग कार्यक्रम आ रात्रिकालीन नाट प्रस्तुत कएल गेल। मुदा दुर्भाग्य जे ४ मध्य एक राति मातरे मैथिली नाटक मचन कएल गेल कारण छल उपयुक्त मैथिली पोथीक अन-उपलब्धता। जे होउ, अथक गन्थन-मन्थन पश्चात प्राप्त भेल एक छल राजानामक नाटक, जकर मैथिली अभिनय अत्यन्त सफल रहल। नाटककार उदयनारायण िसंह नचिकेता द्वारा लिखल ओ नाटककेश्री सरस्वती सांस्कृतिक नाट्यकला परिषद कलाकार लोकनि अत्यन्त कुशलता पूर्वक मचन कएलन्हि। अखिलेश्वर झाक निर्देशन रहल, नाटकमे पंकज कुमार झा, राकेश झा, विकास मिश्र, प्रकाश मिश्र, मनिष कुमार झा, निरज कुमार निरज, प्रमेश कुमार झा, जितेन्द्र जितु, लौकेश मिश्र सहितक कलाकार लोकनि अभिनय केने छलाह। ६७ वर्ष पूर्व विक्रम सम्वत २००१ सालमे श्री सरस्वती सांस्कृतिक नाटयकला परिषद स्थापना कएल गेल छल। रंगमचक इतिहास पुरान होइतो अहिठाम मैथिली नाटकक परम्परा ततेक पुरान नै देखल गेल अछि। यद्यपि विगत डेदशकसँ तिलाठीमे रहल दुनु परिषद कलाकार लोकनि मैथिली नाटकक माध्यमे मातृभाषाक विकास सहि समाज परिवर्तनक अभियानमे सक्रिय देखल गेल अछि। क्रुर राणा शासन व्यवस्थाक समय होउ वा निरंकुश पंचायती व्यवस्था, समयक गम्भीरता आ संवेदनशीलताकेँ बुझैत तिलाठीक रंगमच क्रान्तिक अग्रदुत नि आगाल तँ ठीक ओ प्रकारे पछिला किछु दशकसँ मैथिल समाजमे हावी रहल विभिन्न प्रकारक कुरीति कुप्रथा पर प्रहार करैत समाज परिवर्तनक सन्देश प्रवाह करबाक हेतु रंगमच अग्रणि बनि सदति क्रियाशील देखल गेल। दहेज प्रथा, विधवा विवाह, जातिपाति तथा ऊँनीचक परम्परा,रीबी, विकास सहितक विभिन्न परिवर्तनकारी विषय वस्तुपर आधारित विभिन्न विद्वान लोकनि द्वारा लिखल गेल मैथिली नाटक अठमका कालाकार लोकनि अत्यन्त कुशलता सग प्रस्तुत कएल गेल, से इतिहास देखल गेल अछि। सम्भवतः २०५१-५२ सालमे पहिल बेर मैथिली नाटकक मचन तिलाठीमे कएल गेल छल। श्री सरस्वती सांस्कृतिक नाट्यकला परिषदक चन कएल नाटक पश्चात तिलाठीमे मैथिली नाटकक बाढ़ि जकाँ आएल। कारण छल अपन स्थानीय भाषा आ स्थानीय विषय-वस्तुक उठान देखि दर्शक लोकनि द्वारा देखाओल गेल सदभाव। ओ उपरान्त त जेना हिन्दी नाटक सभक उठिवास अ ठामसँ होम लागल। तिलाठीमे दुनु परिषद द्वारा मचन कएल गेल मैथिली नाटक सभमे उगना, बकलेल, टाकाक मोल, बाढ़ि फेर आओत, धधकैत नवकी कनियाँक लहास, बदलैत समाज, ठात परिवर्तन, आगि धधकि रहल अछि, प्रोफेसर वौगला बान्हलक कण्ठी, कन्यादान इत्यादि प्रतिनिधिमूलक नाम थिक। समग्रमे देखल जाए त विभिन्न परिवेश आ परिस्थितिमे समाज रुपान्तरणक लेल तिलाठीक रंगमच समयानकूल परिवर्तनकारी भूमिका निर्वाह करैत आएल अछि। ज समयमे नेपालमे निरंकुश राणा शासनक प्रादुर्भाव छल, कालमे सेहो निर्धक्क रुपेण तिलाठीमे विभिन्न क्रान्तिकारी नाट सभ प्रस्तुत कएल जात छल। क्रुर राणा शासन विरुद्ध निर्णयक आन्दोलन चलि रहलाक समयमे सेहो अठमका युवा लोकनि नाटकक माध्यमसँ जागरण अनबामे सक्रिय रहला। ओ कालमे मचन कएल गेल व्याकुल भारत, देशभक्त जागरण सहितक नाटक स्वतन्त्रता आ लोकतन्त्रक पक्षमे एक प्रकारक आन्दोलन रहल, अवकाश प्राप्त प्रधानाध्यापक तथा रंगकर्मी स्थानीय अमरनाथ झाक कथन अछि। तदोपरान्त पचायत कालमे सेहो पाठशालाक प्राङ्गण क्रान्तिकारी अभिव्यक्ति आ नारासँ गुन्जयमान रहल छल। ओ कालमे त कतेको बेर स्थानीय प्रशासन द्वारा अ प्रकारक नाटकचन नै करबाक लेल चेतावनी सेहो देल गेल छल मुदा प्रशासनक चेतावनीक परवाह नै करैत नाटक मचन कएल गेल। कुमर िसंह रावलीक शेर- देशकी दुरदिन गाउँकि ओर चलो- सहितक नाटक सभक विषय वस्तु पूर्णरुपेण तत्कालीन पचायती व्यवस्था उपर कड़ा प्रहार छल। मुदा दुर्भाग्य, क्रुर राणा शासनक अन्त तथा पचायती व्यवस्थाक समापन पश्चात आएल परिवर्तनसँ तिलाठी आ तिलाठीक रंगमच कहियो लाभान्विनै होम सकल। तिलाठीमे रंगमच आ नाटक, स्थानीय वयोवृद्ध पण्डित उग्रकान्त झाक अनुसार, तिलाठी स्थित संस्कृत पाठशालामे अध्ययनरत विद्यार्थी लोकनि द्वारा, सर्वप्रथम तिलाठीमे नाटक विधाक प्रारम्भ कएल गेल छल। गुरुजी पं काशीनाथ ठाकुरक सल संरक्षणमे ओ समयमे तिलाठी आ अन्य विभिन्न स्थानसँ अध्ययनक क्रममे पाठशालामे रहल विद्यार्थी लोकनि द्वारा सरस्वती पूजनोत्सवक अवसरपर सर्वप्रथम वीर अभिमन्यू नामक नाटक मंचन कल गेल, पण्डित झाक कथन अछि। ओ नाटकमे पण्डित झा सेहो सहभागी छलाह। तदोपरान्त व्याकुल भारत देशभक्त जागरण सावित्री सत्यवान सहितक नाटक सभ सेहो हुनका लोकनि द्वारा मचन कएल गेल छल। ओ समयमे मंचन कएल गेल नाटक सभमे तिलाठीक पण्डित विक्रम झा, पं सूर्यकान्त चौधरी, पं उग्रकान्त झा, पं गंगाधार झा, सकरपुरा, पं श्रीकान्त झा, डिमन, पं गंगाधर झा, डिमन, पं महेश्वर झा, गोविन्दपुर, पं नवसुन्दर झा, सकरपुरा, पं कुशुमनारायण झा, मुरली, पं प्रतिपाल झा, गनौली, पं इन्द्रदेव झा, वैगनी नवादा सहितक विद्वान कलाकार लोकनि विभिन्न भूमिका निर्वाह केने छलाह। अ अतिरिक्तो हुत रास विद्वान कलाकार लोकनिक सक्रियता ओ कालमे देखल गेल छल, यद्यपि हुनका सभक सम्बन्धमे ठोस जानकारी नै भेटि सकलाक कारणे नाम नै समावेश कएल गेल अछि। नाटकक व्यवस्थित रुपमे निरन्तर देबाक हेतु कालान्तरमे सांस्कृतिक आयोजन हुअए, से श्री सरस्वती सांस्कृतिक नाट्य कला परिषद गठन कएल गेल। सांस्कृतिक आयोजनक नेतृत्व प्रा उमाकान्त झा केलनि आ किछु समय उपरान्त सांस्कृतिक आयोजनक परिष्कृत रुपमे विक्रम सम्वत २००१ सालमे श्री सरस्वती सांस्कृतिक नाट्यकला परिषदगठन कएल गेल। संस्कृत पाठशालाक विद्यार्थी लोकनि द्वारा मचन कएल गेल नाटक सभ हुअए वा सांस्कृतिक आयोजन, श्री सरस्वती सांस्कृतिक नाट्य कला परिषदगठन आ ओ उपरान्त नाट्य विधा आ कला संस्कृतिक संरक्षण-सम्वर्ध,सम्पुर्ण कार्यमे डा. विजयानन्द मिश्र, शोभाकान्त मिश्र, राजनारायण झा, मुनि झा, बमभोला बाबू सहितक व्यक्ति लोकनिक उल्लेख्य योगदान रहल छल। ओ पश्चात परिषदकेँ व्यवस्थित रुप प्रदान कएल गेल। दोसर पीढ़ीक जिम्मेवारी देल गेल तत्कालीन किछु र्जावान युवा लोकनिकेँ, अनुरुप तारानन्द झाके परिषदमहानिर्देशक, दयाकान्त झाके निर्देशक तथा विशेश्वर झाके उप निर्देशकक पदभार देल गेल। यद्यपि महानिर्देशआ निर्देशकक कार्यव्यस्तातक कारणे निर्देशनक सम्पूर्ण जिम्मेवारी तत्कालीन उप निर्देशक विशेश्वर झा पर चलि आ, जकरा ओ समक ओ र्जावान युवक वर्तमान समक वयोवृद्ध अवस्था धरि अत्यन्त कुशलतापूर्वक निर्वाह करैत आएल छथि। विशेश्वर झाक सम्बन्धमे एतबे कह उपयुक्त हत जे ओ व्यक्ति नाट्य क्षेत्र प्रति सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर कदेलनि। तहिना मोतीनारायण मिश्रके परिषदक सचिव तथा बाबूनारायण झाके कोषाध्यक्ष पदक जिम्मेवारी देल गेल छल। ओ कालमे तिलाठीक रंगमचसँ आसपासक सम्पूर्ण क्षेत्र प्रभावित छल। अ क्षेत्र अन्य स्थान सभमे नाट्य विधाक विकासमे सेहो अ ठमका कलाकार तथा जानकार लोकनिक विशेष योगदान रहल अछि। ओ काल खण्डमे विभिन्न स्थान सभमे नाट्य महोत्सवक सेहो प्रारम्भ होमलागल छल। अ क्रममे राजबिराजमे योजित नाट्य महोत्सवमे परिषद उत्कृष्ट स्थान प्राप्त क तीन दृश्य पर्दा सेहो पुरस्कार स्वरुप प्राप्त करबामे सफल भेल छल। मुदा कालान्तरमे विभिन्न वादविवादपूर्ण परिस्थिति आ परिवेशमे श्री सरस्वती सांस्कृतिक नाट्य कला परिषद विभाजित भेल । नाट्य क्षेत्रक विकासक लेल तिलाठी वासी अ विभाजनके सेहो सहर्ष स्वीकार केलनि,गहि विभाजन पश्चात एक सँ दू गोट नल परिषद सेहो रंगमच तथा नाट्य विधाक विकासक लेल कोनो कसरि बाँकी नै राखि पन-अपन योगदान वर्तमान सम धरि यथावत राखने अछि। ओ वर्ष छल विक्रम सम्वत २०३६ साल ज साल श्री सरस्वती सांस्कृतिक नाटय कला परिषदसँ एक समूह विभाजित भ श्री हरगौरी नाट्य कला परिषदक स्थापना भेल। जानकार सभक अनुसार हरगौरी नाट्य कला परिषद्क संस्थापक अध्यक्ष पं विक्रम झा छलाह। अ परिषद स्थापना कालहिसँ नागेन्द्र झा अनवरत योगदान दैत आएल छथि। अभिनय आ निर्देशनमे झा परिषदकेँ अपन योगदान दैत अएल अछि ।

3 comments:

  1. पृष्ठभूमि के रंग परिवर्तन यदि क' सकी त' लिखलाहा पढ' मे बेसी सुभीतगर होयत. आंखि पर कनेक कम जोर पडत. ध्यान दी. कृपया.

    ReplyDelete