विदेह मैथिली नाट्य उत्सव 'Videha Maithili Drama Festival'- the encyclopaedia of Maithili Stage and Drama/ VIDEHA PARALLEL MAITHILI THEATRE
Wednesday, December 26, 2012
Tuesday, December 25, 2012
Monday, December 24, 2012
संगोर नाटकमे फुटवलक रेकर्डिङ्ग (रिपोर्ट सुजीत कुमार झा)
जनकपुरधाम, पुस ७ ।
मैथिली भाषाक सभ सँ बडका रेडियो धारावाहिक संगोरक एक सय ६२ अम भागक रेकर्डिङ्ग सम्पन्न भेल अछि ।
ई भागमे फुटवल खेलक रेडियो मिथिला १००.८ मेगाहर्जमे रेकर्डिङ्ग कएल गेल छल ।
रविन्द्र झा आ अनिता चौधरीद्वारा लिखित ई नाटकक निर्देशक प्रेम वास्तोला रहल छथि । सर्च फोर कमन ग्राउण्डक सहयोगमे नयाँ संसारक प्रस्तुती रहल ई रेडियो नाटक नेपालक रेडियो मिथिला सहित २० टा एफ एम रेडियो सँ बजैत अछि ।
Sunday, December 23, 2012
Friday, December 21, 2012
FARMHOUSE CHICKEN EFFECT-ALL WHITE, BRAHMIN AND IMPOTENT -SAHITYA AKADEMI ANNOUNCES YUVA AWARD IN MAITHILI (REPORT GAJENDRA THAKUR)
१
साहित्य अकादेमी द्वारा युवा पुरस्कारक भेल घोषणा। हिन्दीमे लिखैबला द्वारा मैथिलीमे मात्र पुरस्कार लेल लिखल जेबाक प्रवृत्ति, जे सुखाएल मुख्यधारामे पहिनेसँ रहल अछि, आ तकरा (नव) ब्राह्मणवादक अन्तर्गत पुरस्कृत कएल जेबाक प्रवृत्ति ओइमे सेहो रहल अछि, आब तकर प्रसार ओ अपन जातिवादी युवा मध्य केलक अछि । चेतना समिति आदि संस्था (नव) ब्राह्मणवादी कट्टरताकेँ ब्राह्मण युवा वर्ग मध्य पसारैत रहबाक चेष्टा करैत रहैत अछि। पोथीक क्वालिटीक स्थानपर चमचागिरी, लेखकीय दायित्वक स्थानपर जातिवादी कट्टरता चलिते रहत? स्टेटस कोइस्ट युवाकेँ, वैज्ञानिक (नव) ब्राह्मणवादी युवा जे अहाँक जातिवादी विचारधाराकेँ चैलेन्ज केनाइ तँ दूर, ओइमे सहयोग करए, की ऐ तरहक तत्वकेँ बढ़ावा दऽ अहाँ मैथिली साहित्यक पुनर्जागरण बाधक तत्व नै बनि रहल छी।
"निश्तुकी" कविता संग्रहकेँ पुरस्कार नै भेटए ओइ लेल महेन्द्र झाकेँ सहरसा" सँ, देवेन्द्र झाकेँ मधुबनी (संप्रति मुजफ्फरपुर)सँ आ योगानन्द झाकेँ बदनाम कबिलपुर गैंगसँ बजाओल गेल आ ई भार देल गेल। आ ओ सभ चुनलन्हि अरुणाभ "झा" सौरभ केँ। सायास "निश्तुकी" कविता संग्रह साहित्य अकादेमी द्वारा नै मंगाओल गेल, जे एकटा इलीगल काज अछि। हरबर-दरबरमे निर्णय कएल गेल, आब जएह पोथी आबि सकल ओही मध्यसँ ने निर्णय हएत, से तर्क देल गेल। पूर्ण रूपसँ फार्म हाउस चिकेन (उज्जर, ब्राह्मण आ नपुंसक) मैथिल ब्राह्मण जूरी चुनल गेल जे कोनो रिस्क नै रहए।
ऐ इलीगल काजकेँ हर स्तरपर चुनौती देल जाएत।
मूल पुरस्कार लेल शेफालिका वर्माकेँ चुनल गेल छन्हि आ अनुवाद पुरस्कार लेल महेन्द्र नारायण रामकेँ- दुनू गोटेकेँ बधाइ। संगमे नचिकेताक "नो एण्ट्री: मा प्रविश", सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" आ जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी"क विरुद्ध "निश्तुकी" विरोधी तत्व जे तीन सालसँ जान प्राण लगेने अछि जे ऐ पोथी सभकेँ मूल पुरस्कार नै भेटैक, से घोर निन्दनीय अछि। "नो एण्ट्री: मा प्रविश" २००८ मे प्रकाशित रहै आ ई किताब अगिला सालसँ पुरस्कारक रेसमे नै रहत, ऐ पोथीकेँ मूल साहित्य अकादेमी नै भेटि सकत। मुदा की एकर स्थान मैथिलीक पहिल आ एखन धरिक एकमात्र पोस्टमॉडर्न ड्रामाक रूपमे बरकार नै रहत, की ब्राह्मणवादी विचारधारा ई स्थान ऐ पोथीसँ छीनि सकत? सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" आ जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी" अगिला साल सेहो रेसमे रहत। मुदा तारानन्द वियोगी आ महेन्द्र नारायण राम किए (नव वैज्ञानिक) ब्राह्मणवाद द्वारा स्वीकृत छथि आ सुभाष चन्द्र यादव आ मेघन प्रसाद अस्वीकृत ओइ आलोकमे सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" क विरुद्ध रामदेव झा- योगानन्द झा- महेन्द्र मलंगिया-मोहन भारद्वाज-मायानन्द मिश्र आदिक षडयंत्र सफल भैयो जँ जाए तँ की सुभाष चन्द्र यादवक मैथिली पाठकक हृदए मे जे स्थान छै, से की कम कऽ सकत ई षडयंत्रकारी सभ? जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी"क स्थान मैथिलीक आइ धरिक सर्वश्रेष्ठ लघुकथा संग्रहक रूपमे बनि गेल अछि, की ओ स्थान कियो दोसर छीनि सकत?
पढ़ू निश्तुकी आ चमेटा मारू महेन्द्र झा, देवेन्द्र झा आ योगानन्द झाकेँ -
निश्तुकी
नीचाँमे युवा पुरस्कारक साहित्य अकादेमीक निर्णय तीन पन्ना दऽ रहल छी, एकर प्रिंट आउट करू आ मिथिलाक गाम-गाममे जराबू।
२
विदेहक सम्बन्धमे धीरेन्द्र प्रेमर्षिकेँ एकटा फकड़ा मोन पड़ल छलन्हि- "खस्सी-बकरी एक्कहि धोकरी"। राजा सलहेसक गाथामे जतऽ सलहेस राजा रहै छथि चूहड़मल चोर भऽ जाइ छथि आ जतऽ चूहड़मल राजा रहै छथि सलहेस चोर भऽ जाइ छथि। साहित्यक ब्राह्मणवाद जातिक आधारपर समीक्षा करैए, समानान्तर परम्पराक उदारवाद कट्टरता विरोधी अछि। समानान्तर परम्परा मिथिला आ मैथिलीक उदार परम्पराकेँ रेखांकित करैए तँ ब्राह्मणवादी समीक्षाकेँ मिथिलाक कट्टर तत्व प्रभावित करै छै। समानान्तर परम्पराक घोड़ा ब्राह्मणवादी समीक्षामे गधा बनि जाइए, आ ब्राह्मणवादी साहित्यमे तँ गधा छैहे नै, सभ घोड़ाक खोल ओढ़ने छै। आ सएह कारण रहल जे मैथिलीक सुखाएल मुख्य धाराक साहित्य दब अछि। आ सएह कारण रहल जे अतुकान्त कविता हुअए बा तुकान्त, बहरयुक्त गजल हुअए बा आजाद गजल; रोला, दोहा,कुण्डलिया, रुबाइ, कसीदा, नात, हजल, हाइकू, हैबून बा टनका-वाका सभ ठाम समानान्तर परम्परा कतऽ सँ कतऽ बढ़ि गेल; नाटक-उपन्यास-समीक्षा, विहनि-लघु-दीर्घ कथा सभ क्षेत्रमे अद्भुत साहित्य मैथिलीक समानान्तर परम्परामे लिखल गेल मुदा ब्राह्मणवादी सुखाएल मुख्यधारा आ जातिवादी रंगमंच छल-प्रपंच आ सरकारी संस्थापर नियंत्रणक अछैत मरनासन्न अछि।
नीचाँमे युवा पुरस्कारक साहित्य अकादेमीक निर्णय तीन पन्ना दऽ रहल छी, एकर प्रिंट आउट करू आ मिथिलाक गाम-गाममे जराबू।
Wednesday, December 19, 2012
अबारा नहितन (मैथिलीक पहिल फिल्म "ममता गाबय गीत" कोना बनल, तकर रोचक कथा-संस्मरणात्मक उपन्यास)- केदारनाथ चौधरी/ ‘ममता गाबए गीत’ फिल्मक गीत/ गीत: रवीन्द्र नाथ ठाक़ुर
अबारा नहितन (मैथिलीक पहिल फिल्म "ममता गाबय गीत" कोना बनल, तकर रोचक कथा-संस्मरणात्मक उपन्यास)-केदारनाथ चौधरी
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‘ममता गाबए गीत’ फिल्मक गीत/ गीत: रवीन्द्र नाथ ठाक़ुर
1
भरि नगरी में सोर, बौआ मामी तोहर गोर
मामा चान सन...
नानी-नाना दूनू तोहर, खाली गाल बजाबय
बाबी तोहर गंगा सन छौ, बाब बनल हिमालय
मौसा तोहर चोर, मौसी मँूहक बड़जोर
मैया पान सन...
थैया-थैया चलू कन्हैया, जहिना भोर बसात
धरती मैया सब दुखहरनी, खसब ने कोनो बाट
बौआ मोती सन ई नोर, बीछत खाली आँचर मोर
अपने प्राण सन...
अपना कुल के लाल कमल तोँ, काकीक सुगा-मैना
एहि दुनिया के हँसी-खुशी आ बापक नेह-खिलौना
तो आशक चकमक भोर, हँसिदे खोलिके दूनू ठोर
फूटल धान सन...
2.
चलल कहरिया से कोने नगरिया
जाइछ ककर दुलार...
धीरे-धीरे लय चल डोलिया कहरिया
ने डोलय पड़ल ओहार...
युग-युग जरत सिनेहक बाती
तैयो तहत अन्हार...
चलल कहरिया...
चल बरू जाह ने बिसरब तोहरा
फुजले रहत केबार
घर-घर घुमि-घुमि तोहर कथा ई
बहि-बहि कहत बयार...
चलल कहरिया...
3
मिथिला केर ई माँटि उड़ल अछि, छूबय गगनक छाती
भरि दुनिया केर मंगल हो, आ जन-जन गाबय प्राती
हाँ रे कह भैया रामे-राम हो भाइ, माता जे बिराजै मिथिले देश मे
नन्दन बन सन सुन्दर मिथिला, इन्द्रक धनुष समान
कालिदास आ मंडन के घर, बुद्ध बनल भगवान
चल भैया चलू ने, माता जे बिराजै मिथिले देश मे...
हम अयाची हम नहिं माँगी, मंगनी केर वरदान
जनकक आँगन लछमी नीपलि, हम तकरे संतान
चलू भैया चलू ने, माता जे बिराजै मिथिले देश मे...
अपना प्रेमे स्वर्गो जीतल, उगना बनल महेश
एखनौ कोकिल पंचम गाबय, विद्यापति के देश
चलू भैया चलू ने, माता जे बिराजै मिथिले देश मे...
4
अर्र बकरी घास खो, छोड़ गठुल्ला बाहर जो
लरू खुरू बिन केने बहिना, पेट भरल कि ककरो
उर चिड़ैया खोंता छोड़, चोंच खोलिके दाना खो
आँखि-पाँखि जकरा छै जगमे, भूख मरल कि कहियो
अर्र बकरी, गे बकरी घास खो...
करनी-धरनी किछु नहिं जिनकर, हुनकर जीवन भारी
घामे भीजल चाम जकर छै, आयल तकरे बारी
चल कुकुरबा टहल लगो, अंगना-घरक ममता छोड़
मनुख शिकार बनल अछि अपने, आब के कहतौ हियो-हियो
अर्र बकरी, गे बकरी घास खो...
पेट भरल पर दुनिया लागय, सूरदास के हरियर
प्रेमक हाथी बने फतिंगा भूखक जादू जड़गर
भूख-भूख कहि उठता क्यो, अपने पर खौंझेता क्यो
रे मुर्गा तो चढ़ गुलौरा, आलस के लतियौने जो
अर्र बकरी, गे बकरी घास खो...
शीतक गोटा चकमक शोभय, हरियर धरतीक साड़ी
प्रेमक फूल जगत भरि गमकै, गाबय भँवरा कारी
रे परबा तोँ अंडा फोर, ज्ञानक गेल्हक भरिदे कोर
कहै रे कौवा टाहि लगाकय, आन्हर भुन्नो पड़ो-पड़ो
अर्र बकरी, गे बकरी घास खो...
Tuesday, December 18, 2012
ज्योतिरीश्वर पूर्व गएर ब्राह्मण-परम्पराक महाकवि विद्यापति (चित्र पनकलाल मंडल) -पनक लाल मण्डलकेँ विदेह सम्मान -चित्रकला लेल -भेटल छन्हि।
ज्योतिरीश्वर पूर्व गएर ब्राह्मण-परम्पराक महाकवि विद्यापति (चित्र पनकलाल मंडल) -पनक लाल मण्डलकेँ विदेह सम्मान -चित्रकला लेल -भेटल छन्हि। |
ज्योतिरीश्वर पूर्व गएर ब्राह्मण-परम्पराक महाकवि विद्यापति (चित्र पनकलाल मंडल) -पनक लाल मण्डलकेँ विदेह सम्मान -चित्रकला लेल -भेटल छन्हि। |
ज्योतिरीश्वर पूर्व गएर ब्राह्मण-परम्पराक महाकवि विद्यापति (चित्र पनकलाल मंडल) -पनक लाल मण्डलकेँ विदेह सम्मान -चित्रकला लेल -भेटल छन्हि। |
मैथिलीक आदिकवि विद्यापति
कवीश्वर ज्योतिरीश्वर(लगभग १२७५-१३५०)सँ पूर्व (कारण ज्योतिरीश्वरक ग्रन्थमे हिनक चर्च अछि), मैथिलीक आदि कवि। संस्कृत आ अवहट्ठक विद्यापति ठक्कुरःसँ भिन्न। सम्भवतः बिस्फी गामक बार्बर कास्टक श्री महेश ठाकुरक पुत्र। समानान्तर परम्पराक बिदापत नाचमे विद्यापति पदावलीक (ज्योतिरीश्वरसँ पूर्वसँ) नृत्य-अभिनय होइत अछि।
बोधि कायस्थ
विद्यापति ठक्कुरःक पुरुष परीक्षामे हिनक गंगालाभक कथा वर्णित अछि। महाकवि विद्यापति (ज्योतिरीश्वर पूर्व मैथिली पदावली सभक लेखक) क विषयमे सेहो गंगालाभक ई कथा प्रचलित आ बादमे विद्यापति ठक्कुरक (संस्कृत आ अवहट्ठक लेखक) विषयमे सेहो गंगालाभक ई कथा प्रचलित भेल।
महाराज शिव सिंह
मिथिला नरेश विद्यापति ठक्कुरः (संस्कृत आ अवहट्ठक लेखक)क आश्रयदाता ओइनवार वंशक महाराज शिव सिंह।
उगना महादेव
महादेव (उगनारूपी) विद्यापतिक अहिठाम गीत सुनबा लेल उगना नोकर बनि रहैत छलाह। मैथिलीक आदिकवि विद्यापति (ज्योतिरीश्वर पूर्व) आ विद्यापति ठक्कुरः (संस्कृत आ अवहट्ठक लेखक आ राजा शिवसिंहक दरबारी) दुनूसँ सम्बद्ध कऽ उगनाक ई कथा प्रसिद्ध भेल।
महाकवि विद्यापति ठाकुर 1350-1435
विद्यापति ठक्कुरः 1350-1435 विषएवार बिस्फी-काश्यप (राजा शिवसिंहक दरबारी) आ संस्कृत आ अवहट्ठ लेखक। कीर्तिलता, कीर्तिपताका, पुरुष परीक्षा, गोरक्षविजय, लिखनावली आदि ग्रंथ समेत विपुल संख्यामे कालजयी रचना। ई मैथिलीक आदिकवि विद्यापति (ज्योतिरीश्वर पूर्व)सँ भिन्न छथि।
Monday, December 17, 2012
की मैथिली मात्र मैथिल ब्राह्मणक भाषा छी? -(रिपोर्ट गजेन्द्र ठाकुर)
सेन्टर फॉर स्टडी ऑफ इण्डियन ट्रेडिशन्स- मैथिली साहित्यसँ ऐ संस्थाक की सरोकार
छै? विद्यापति सेवा संस्थान आ चेतना
समिति राजनैतिक संस्था अछि- पागबला संस्कृत आ अवहट्ठक विद्यापतिक सालाना
विद्यापति पर्व
करबाक अतिरिक्त एकर सभक की काज छै? ऑल इण्डिया मैथिली
साहित्य समितिक
पड़ोसीयोकेँ पता नै छै जे ई संस्था छैहो
बा नै, जयकान्त मिश्रक
मृत्युक बाद ऐ संस्थाक मान्यता बरकरार
किए छै, की जयकान्त मिश्रक मैथिली
लेल कएल अहसानक पारिश्रमिक हुनकर बेटी-जमाए लऽ रहल छथि। अखिल भारतीय
मैथिली साहित्य परिषद की अछि आ एम.बी.बी.एस. डॉक्टर, जिनका साहित्यसँ कोनो
सरोकार नै छन्हि, किए वोटक अधिकार
लेल ऐ मुइल संस्थाक पता अपन नामसँ दै लेल तैयार भेल छथि। मिथिला सांस्कृतिक परिषद तँ विद्यापतिकेँ पागबला
फोटो पहिरा
कऽ विद्यापतिक नै मैथिलीक यज्ञोपवीत संस्कार करबाक दोषी
अछिये। तँ की ई मैथिल ब्राह्मणक खाँटी संस्था
सभ मैथिलीकेँ मैथिल ब्राह्मणक भाषा बनबै
लेल (साहित्य अकादेमी दिल्लीमे) मात्र वोट आ कब्जाक राजनीतिक अन्तर्गत साहित्य अकादेमीक मैथिली कन्वीनर चुनबाक लेल संस्थाक रूपमे
काज कऽ रहल अछि, आ तेँ अस्तित्वमे अछि?
की मैथिली मात्र मैथिल ब्राह्मणक भाषा अछि?
साहित्य अकादेमी, दिल्लीक पुरस्कारक बँटवारा
(!!!) देखी तँ उत्तर की अछि?
(कुल बँटवारा ४३ बेर- २०११ धरि)
मैथिल ब्राह्मण -३६ बेर!!
कायस्थ-५ बेर
राजपूत-२ बेर
गएर सवर्ण- 0000 बेर!!!!
१९६६- यशोधर झा (मिथिला
वैभव, दर्शन)
मैथिल ब्राह्मण
१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न
गाछ, पद्य)
मैथिल ब्राह्मण
१९६९- उपेन्द्रनाथ झा “व्यास” (दू पत्र, उपन्यास) मैथिल ब्राह्मण
१९७०- काशीकान्त मिश्र “मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य) मैथिल ब्राह्मण
१९७१- सुरेन्द्र झा “सुमन” (पयस्विनी, पद्य) मैथिल ब्राह्मण
१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा “मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास) कर्ण कायस्थ
१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र
(किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण)
मैथिल ब्राह्मण
१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक “विधु” (सीतायन, महाकाव्य) कर्ण कायस्थ
१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ:
उद्भव ओ विकास, समालोचना)
मैथिल ब्राह्मण
१९७८- उपेन्द्र ठाकुर “मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य) मैथिल ब्राह्मण
१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण
चरित, महाकाव्य)
मैथिल ब्राह्मण
१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी
(ई बतहा संसार, उपन्यास)
मैथिल ब्राह्मण
१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी
(अगस्त्यायिनी, महाकाव्य)
मैथिल ब्राह्मण
१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास) मैथिल ब्राह्मण
१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास)
मैथिल ब्राह्मण
१९८४- आरसी प्रसाद सिंह
(सूर्यमुखी, पद्य)
गएर ब्राह्मण- राजपूत
१९८५- हरिमोहन झा (जीवन
यात्रा, आत्मकथा)
मैथिल ब्राह्मण
१९८६- सुभद्र झा (नातिक
पत्रक उत्तर, निबन्ध)
मैथिल ब्राह्मण
१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा) मैथिल ब्राह्मण
१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास) मैथिल ब्राह्मण
१९८९- काञ्चीनाथ झा “किरण” (पराशर, महाकाव्य) मैथिल ब्राह्मण
१९९०- प्रभास कुमार चौधरी
(प्रभासक कथा, कथा)
मैथिल ब्राह्मण
१९९१- रामदेव झा (पसिझैत
पाथर, एकांकी)
मैथिल ब्राह्मण
१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध) मैथिल ब्राह्मण
१९९३- गोविन्द झा (सामाक
पौती, कथा)
मैथिल ब्राह्मण
१९९४- गंगेश गुंजन
(उचितवक्ता, कथा)
मैथिल ब्राह्मण
१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता
कुसुमांजलि, पद्य)
मैथिल ब्राह्मण
१९९६- राजमोहन झा (आइ
काल्हि परसू, कथा
संग्रह) मैथिल ब्राह्मण
१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र
(ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य)
मैथिल ब्राह्मण
१९९८- जीवकान्त (तकै अछि
चिड़ै, पद्य)
मैथिल ब्राह्मण
१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा) मैथिल ब्राह्मण
२०००- रमानन्द रेणु (कतेक
रास बात, पद्य)कर्ण
कायस्थ
२००१- बबुआजी झा “अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य) मैथिल ब्राह्मण
२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी
चौक पर, पद्य)
कायस्थ
२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा) मैथिल ब्राह्मण
२००४- चन्द्रभानु सिंह
(शकुन्तला, महाकाव्य)
गएर ब्राह्मण- राजपूत
२००५- विवेकानन्द ठाकुर
(चानन घन गछिया, पद्य)
मैथिल ब्राह्मण
२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा) मैथिल ब्राह्मण
२००७- प्रदीप बिहारी
(सरोकार, कथा)कर्ण
कायस्थ
२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक
डारि पर, आत्मकथा)
मैथिल ब्राह्मण
२००९- स्व.मनमोहन झा
(गंगापुत्र, कथासंग्रह)
मैथिल ब्राह्मण
२०१०-श्रीमति उषाकिरण खान
(भामती, उपन्यास)
मैथिल ब्राह्मण
२०११- श्री उदयचन्द्र झा
"विनोद" (अपक्ष, कविता
संग्रह) मैथिल ब्राह्मण
की मैथिली मात्र मैथिल
ब्राह्मणक भाषा अछि?
साहित्य अकादेमी, दिल्लीक पुरस्कारक बँटवारा
(!!!) देखी तँ उत्तर की अछि?
(कुल बँटवारा ४३ बेर- २०११ धरि)
मैथिल ब्राह्मण -३६ बेर!!
कायस्थ-५ बेर
राजपूत-२ बेर
गएर सवर्ण- 0000 बेर!!!!
साहित्य अकादेमी मैथिली पुरस्कार आ रामदेव झा आ मोहन भारद्वाजक सुभाषचन्द्र यादवक विरुद्ध षडयन्त्र
-मोहन भारद्वाज विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे बहुत दिनसँ लागल छथि।
-विद्यानाथ झा "विदित"क निम्न कोटिक उपन्यास "विप्लवी बेसरा"क कएक पन्नाक गदगदी समीक्षा "पक्षधर" नाम्ना पत्रिकामे मोहन भारद्वाज केने रहथि, मैथिली समालोचनाक क्षेत्रमे ई एकटा कारी अध्याय अछि।
-मोहन भारद्वाज रमानाथ झा ग्रन्थावलीमे पी.सी. रायचौधुरीक रचना रमानाथ झाक नामसँ अपन सम्पादकत्वमे छपबा देलन्हि।
-हालेमे विद्यानाथ झा विदितक समधि रामदेव झाक अहिठाम माँछ-भात खा कऽ मोहन भारद्वाज भरतमिलानी केने रहथि।
-टैगोर साहित्य सम्मानमे हिनको पोथी फाइनल धरि पहुँचल रहए, मुदा एकटा गएर ब्राह्मण, गएर कर्ण कायस्थ जूरी हिनकर लिलसापर पानि फेरि देने रहथि आ पुरस्कार जगदीश प्रसाद मण्डल जीकेँ भेटि गेल छल। तकरा बाद मोहन भारद्वाज विक्षिप्त भऽ गेल रहथि।
-हालेमे चेतना समितिक मुख -पत्र घर-बाहर श्रीमान मोहन भारद्वाजकेँ साहित्य अकादेमी पुरस्कार देबा लेल फतवा जारी केने अछि। ऐ फतवा अन्तर्गत अशोक आ महेन्द्र मलंगियाकेँ सेहो साहित्य अकादेमी पुरस्कार देल जएबाक गप अछि।
-प्रबोध सम्मान लेल महेन्द्र मलंगियाक संग मिलि कऽ जे ई दुष्कर्म केने रहथि आ दुनू गोटेकेँ ओ प्राइज भेटल रहन्हि से जगत ख्यात अछि।
-मोहन भारद्वाजक जातिवादी चेहरा जगत ख्यात अछि, हिनकर असल नाम आनन्द मोहन मिश्र अछि। "विद्यापति टाइम्स" मे योगानन्द झा आ विद्यानाथ झा विदितक जमाए शंकरदेव झा (रामदेव झाक बेटा) संग मिलि कऽ जे ई सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" क खिलाफ अभियान शुरू केने रहथि से जगत ख्यात अछि। पहिनहियो राजकमल मोनोग्राफमे रामदेव झा आ मोहन भारद्वाज सुभाषचन्द्र यादवक पीठमे छुरा भोकने छला।
· राजकमल चौधरी: मोनोग्राफ (सुभाष चन्द्र यादव) download link
https://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/Home/Rajkamal_Monograph.pdf?attredirects=0
https://docs.google.com/viewer?a=v&pid=sites&srcid=dmlkZWhhLmNvbXx2aWRlaGEtcG90aGl8Z3g6NDNiMmVhYThlOTNiMDA5Zg
·
Gangesh Gunjan राजकमल जी (विनिबंध)क प्रकरण कान मे पडल तं छल, से कतोक वर्ख भ गेलै आब| मुदा
से एहन कुरूप छैक से अहींक एहि फेस बुकिया समाद मे स्पष्ट भेलय| तें एकर
धन्यवाद अहीं कें दैत छी गजेन्द्र जी |... ओना वास्तविक तं ई जे सम्पूर्ण
पढबा सं पहिने मोन "विरक्त" भ' गेल | नै पढि भेल आगाँ ! नीक केलौहें नेट पर द'
क'| समकालीन आ आगत पीढ़ी सेहो बुझओ ई कारी-कथा! हमरा सन लोकक विडम्बना देखू
जे पूरा प्रकरण अपन अनुज- मित्र- अग्रज सं जुडल अछि| से एहन ऐतिहासिक दुर्घटना
भ' गेल अछि ! उत्तरदायी व्यक्तिगत हम कतहु सं नै | मुदा साहित्यिक पीढ़ीक
नैतिकता सं "अपराध बोध" सहबा लेल अभिशप्त छी| उपाय ?
सस्नेह,Gangesh Gunjan
-आब एतेक केलाक बादो जँ ऐ बेरुका साहित्य अकादेमी पुरस्कार मोहन भारद्वाज विद्यानाथ झा विदितक राजमे नै लऽ सकथि वा महेन्द्र मलंगियाकेँ नै दिअबा सकथि तँ से आश्चर्ये हएत।
विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना |
विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना |
विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना |
विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना |
ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: रामदेव झासँ मिलि कऽ भोंकलनि सुभाष चन्द्र यादवक पीठमे जातिवादी छुरा |
ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज द्वारा पी.सी.रायचौधुरीक रचनाक कॉपीराइट हनन: अपन सम्पादकत्वमे रायचौधुरीक रचना रमानाथ झाक नामसँ छप्लनि: सहयोगी रहल सी.आइ.आइ.एल. |
धनाकर ठाकुरक सहयोगी चोर रोशन कुमार झा ("राड़केँ सुख बलाय" केर लेखक ) अखनो नै हटेलक जगदीश प्रसाद मण्डलक ओकरा (चोर रोशन कुमार झा ) द्वारा कएल चोरिक लघुकथा सभ अपन ई-पत्रिका (ब्लॉग)सँ- साहित्यिक जगतमे ऐ सँ घोर क्षोभ अछि- चोर आ ओकर अधीनस्थ सम्पादक-सहयोगीपर कार्रवाइपर विचार
-चोर रोशन कुमार झा अखनो नै हटेलक जगदीश प्रसाद मण्डलक ओकरा (चोर रोशन कुमार झा ) द्वारा कएल चोरिक लघुकथा सभ अपन ई-पत्रिका (ब्लॉग)सँ- साहित्यिक जगतमे ऐ सँ घोर क्षोभ अछि- चोर आ ओकर अधीनस्थ सम्पादक-सहयोगीपर कार्रवाइपर विचार
-चोर रोशन कुमार झाक चोरिक सबूत नीचाँ लिंकमे अछि जे ओ अखन धरि अपन ई-पत्रिका (ब्लॉग) सँ डिलीट नै केलक अछि। ओकर एकटा आर ई-पत्रिका (ब्लॉग) छै जैमे ओकर अधीनस्थ सम्पादक अमलेन्दु शेखर पाठक आ सहयोगी कुमार शैलेन्द्र, शंकरदेव झा आदि छै। एकर अतिरिक्त मिथिलांगनसँ जुड़ल रवीन्द्र दासक सेहो ऐ चोरक प्रति सहानुभूति छै।
-
-जगदीश प्रसाद मण्डलक रचनाक केलक चोरि-
चोरिक लिंक नीचाँ देल जा रहल अछि:
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/rikshaavala.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/jivika.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7993.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_9212.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4646.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_691.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_88.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7693.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4876.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_31.html
ई धूर्त रोशन कुमार झा ई सभ रचना जगदीश प्रसाद मण्डलक " गामक जिनगी" सँ चोरा कऽ अपन ई-पत्रिकामे छपने अछि जेकर लिंक ऊपर देल गेल अछि। गामक जिनकीकेँ मैथिलीक पहिल टैगोर पुरस्कार भेटल छै।
पहिनहियो एकर संगी रण्जीत चौधरी मुन्नाजीक रचनाक लगातार चोरिमे पकड़ाएल अछि, जे अजित आजादक मिथिलाक अबाज पर अखनो अछि, ओहो धनाकर ठाकुरक सहयोगी अछि। अजित आजाद मुन्नाजीकेँ कहने रहथिन्ह जे ओ रण्जीत चौधरीकेँ बैन करताह आ चोरिक रचनाकेँ डिलीट करताह, मुदा हुनकर कार्यालसँ से अखन धरि से नै भेल तावत ओही कार्यालयसँ ई नबका चोर रोशन कुमार झा आबि गेल।
ऐ चोरक संरक्षक अमलेन्दुशेखर पाठक (जिनकर पिता शिवकान्त पाठक रामदेव झा आदिक संग आकाशवाणी दरभंगा खोलने छथिन्ह, जे रोशन झाक निचुक्का ब्लैकमेल पत्रसँ सिद्ध होइत अछि, कारण ओ जकरा चाहता तकरा अमरसँ रोशन झा धरिकेँ आकाशवाणीमे कार्यक्रम देता आ गौहाटीक विद्यापति पर्वक आयोजक ककरा कहियाक टिकट पठबै छथि से ओ हिनके आ बैजू सँ पुछि कऽ आगाँसँ पठेथिन्ह!!), शंकरदेव झा आदि छथि जकरा संगे मिलि कऽ ई ब्लॉग (ई-पत्रिका) चलबैत अछि।
-ऐ संगठित चोरिमे रोशन कुमार झा, रणजीत चौधरी आदि प्यादा अछि, मुख्य खिलाड़ी यएह सभ छै।
-पूर्वपीठिका देखू http://esamaad.blogspot.in/2012/08/blog-post_4877.html
-चोर रोशन कुमार झाक चोरिक सबूत नीचाँ लिंकमे अछि जे ओ अखन धरि अपन ई-पत्रिका (ब्लॉग) सँ डिलीट नै केलक अछि। ओकर एकटा आर ई-पत्रिका (ब्लॉग) छै जैमे ओकर अधीनस्थ सम्पादक अमलेन्दु शेखर पाठक आ सहयोगी कुमार शैलेन्द्र, शंकरदेव झा आदि छै। एकर अतिरिक्त मिथिलांगनसँ जुड़ल रवीन्द्र दासक सेहो ऐ चोरक प्रति सहानुभूति छै।
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-जगदीश प्रसाद मण्डलक रचनाक केलक चोरि-
चोरिक लिंक नीचाँ देल जा रहल अछि:
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/rikshaavala.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/jivika.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7993.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_9212.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4646.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_691.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_88.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7693.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4876.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_31.html
ई धूर्त रोशन कुमार झा ई सभ रचना जगदीश प्रसाद मण्डलक " गामक जिनगी" सँ चोरा कऽ अपन ई-पत्रिकामे छपने अछि जेकर लिंक ऊपर देल गेल अछि। गामक जिनकीकेँ मैथिलीक पहिल टैगोर पुरस्कार भेटल छै।
पहिनहियो एकर संगी रण्जीत चौधरी मुन्नाजीक रचनाक लगातार चोरिमे पकड़ाएल अछि, जे अजित आजादक मिथिलाक अबाज पर अखनो अछि, ओहो धनाकर ठाकुरक सहयोगी अछि। अजित आजाद मुन्नाजीकेँ कहने रहथिन्ह जे ओ रण्जीत चौधरीकेँ बैन करताह आ चोरिक रचनाकेँ डिलीट करताह, मुदा हुनकर कार्यालसँ से अखन धरि से नै भेल तावत ओही कार्यालयसँ ई नबका चोर रोशन कुमार झा आबि गेल।
ऐ चोरक संरक्षक अमलेन्दुशेखर पाठक (जिनकर पिता शिवकान्त पाठक रामदेव झा आदिक संग आकाशवाणी दरभंगा खोलने छथिन्ह, जे रोशन झाक निचुक्का ब्लैकमेल पत्रसँ सिद्ध होइत अछि, कारण ओ जकरा चाहता तकरा अमरसँ रोशन झा धरिकेँ आकाशवाणीमे कार्यक्रम देता आ गौहाटीक विद्यापति पर्वक आयोजक ककरा कहियाक टिकट पठबै छथि से ओ हिनके आ बैजू सँ पुछि कऽ आगाँसँ पठेथिन्ह!!), शंकरदेव झा आदि छथि जकरा संगे मिलि कऽ ई ब्लॉग (ई-पत्रिका) चलबैत अछि।
-ऐ संगठित चोरिमे रोशन कुमार झा, रणजीत चौधरी आदि प्यादा अछि, मुख्य खिलाड़ी यएह सभ छै।
-पूर्वपीठिका देखू http://esamaad.blogspot.in/2012/08/blog-post_4877.html
रोशन कुमार झा जे रचना चोरि केलक तकर सरगना सभक चिट्ठी/ किरदानी आदि नीचाँमे अछि |
"राड़केँ सुख बलाय" केर लेखक रोशन कुमार झा रामदेव झाक बेटा, विद्यानाथ झा विदितक जमाए आ चन्द्रनाथ मिश्र "अमरक" नैत शंकरदेव झा (हिन्दी लेखक आ हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद कऽ मूल मैथिली कहनहार लेखक)-विजयदेव झाक संग मिलि कऽ एकटा ब्लैकमेलिंग ब्लॉग ई-पत्रिका (!!) मातृभाषा शुरू केलक अछि।
धूर्त रोशन कुमार झा:राअर के सुख बले :
राअर के सुख बले :(लेखक )रोशन कुमार झा:
पढुआ काका किछु काज स दरभंगा आयल छलाह . जखन सव काज भ गेलैन त बस पकर्बाक लेल बस स्टैंड गेलाह , मुदा गामक बस छुट्टी गेलैन .
पधुआ काका हमरा फ़ोन केलैने ? रोशन कतय छ: ? हम आकाशवाणी लग ठाढ़ छि ? हाउ हम तोहर घरे बिसरी गेलिय . तो आबी क हमरा ल जा .
जखन हम पढुआ काका क ल के घर पर आय्लाहू त घर पर लाइन छल .चुकी गर्मी काफी छल ताहि कारने पंखा चला हुनका लग बैसी गेलहु आ हुनका अपन कंप्यूटर पर फसबूक के खोली हुनका देखाबय लाग्लाहू ?
अचानक ललका पाग केर देखैत देरी हुनक मन गडद-गडद भ गेलैने . ओ कह्लैने जे की " इ थिक मिथिला वासी केर पहचान , आ पाग पहिर्ला स बाढ़ी जाइत अछि मान "
हम कहलियैक , काका किछू लोक केर कथन अछि जे की पाग मात्र उपनयन , विवाह में पहिरे वाला एक टा परिधान अछि जे की बाभन आ लाला सब मे पहिरल जाइत अछि ?
ओ कह्लैने हौ जे इ गप करैत अछि ओ पागल हेताह ?
हम कहलियैक , कका ओ सब पढ़ल लिखल आ पैघ-पैघ साहित्यकार छैथ आ विदेह सनक पत्रिका सेहो निकालैत छैथ ?
किछु काल केर उपरान्त पढुआ कका कह्लैने जे की एकटा , दूटा ओही महानुभाव केर नाम त कहक जे सब पाग केर मिथिला केर मान नहीं बुझैत अछि आ मात्र ओकरा जातिगत स जोरी रहल अछि ?
हम कहलियैक आशीष अनचिन्हार , उमेश मंडल , पूनम मंडल प्रियंका झा आ विदेह केर सम्पादक गजेन्द्र ठाकुर .
कका कह्लैने हौ अहि मे त कोनो पैघ साहित्य कार लोकनि केर नाम कहा अछि ?
कका आजुक समय केर इ सब करता धर्ता छैथ साहित्य जगत के .
हौ यदि आजुक साहित्य केर करता एहन छैथ त नहीं जानी की होयत भविष्य मे ?
हमरा सब केर समर में हरिमोहन झा , नागार्जुन , दिनकर सब सनक महान रचना कार लोकिन छलाह . से इ सब कोनो हुनका स पैघ छैथ जखन ओ लोकिन पाग पहिर अपना केर गौरवान्वित बुझैत छलाह तखन आजुक नौसिखुआ सब के की औकात ?
ओ कह्लैने हौ बाऊ ब्रह्मण एकर विरोध किअक क रहल अछि से नहीं जानी मुदा जिनकर बाप दादा कहियो पहिर्बे नहीं केने हैथ हुनका त अवस्य ने असोहाथ बुझेतैन .
ओहुना मिथिलाक गाम घर मे कहल जाइत अछि जे की " राअर केर सुख बले " .
· · · 3 hours ago
राअर के सुख बले :(लेखक )रोशन कुमार झा:
पढुआ काका किछु काज स दरभंगा आयल छलाह . जखन सव काज भ गेलैन त बस पकर्बाक लेल बस स्टैंड गेलाह , मुदा गामक बस छुट्टी गेलैन .
पधुआ काका हमरा फ़ोन केलैने ? रोशन कतय छ: ? हम आकाशवाणी लग ठाढ़ छि ? हाउ हम तोहर घरे बिसरी गेलिय . तो आबी क हमरा ल जा .
जखन हम पढुआ काका क ल के घर पर आय्लाहू त घर पर लाइन छल .चुकी गर्मी काफी छल ताहि कारने पंखा चला हुनका लग बैसी गेलहु आ हुनका अपन कंप्यूटर पर फसबूक के खोली हुनका देखाबय लाग्लाहू ?
अचानक ललका पाग केर देखैत देरी हुनक मन गडद-गडद भ गेलैने . ओ कह्लैने जे की " इ थिक मिथिला वासी केर पहचान , आ पाग पहिर्ला स बाढ़ी जाइत अछि मान "
हम कहलियैक , काका किछू लोक केर कथन अछि जे की पाग मात्र उपनयन , विवाह में पहिरे वाला एक टा परिधान अछि जे की बाभन आ लाला सब मे पहिरल जाइत अछि ?
ओ कह्लैने हौ जे इ गप करैत अछि ओ पागल हेताह ?
हम कहलियैक , कका ओ सब पढ़ल लिखल आ पैघ-पैघ साहित्यकार छैथ आ विदेह सनक पत्रिका सेहो निकालैत छैथ ?
किछु काल केर उपरान्त पढुआ कका कह्लैने जे की एकटा , दूटा ओही महानुभाव केर नाम त कहक जे सब पाग केर मिथिला केर मान नहीं बुझैत अछि आ मात्र ओकरा जातिगत स जोरी रहल अछि ?
हम कहलियैक आशीष अनचिन्हार , उमेश मंडल , पूनम मंडल प्रियंका झा आ विदेह केर सम्पादक गजेन्द्र ठाकुर .
कका कह्लैने हौ अहि मे त कोनो पैघ साहित्य कार लोकनि केर नाम कहा अछि ?
कका आजुक समय केर इ सब करता धर्ता छैथ साहित्य जगत के .
हौ यदि आजुक साहित्य केर करता एहन छैथ त नहीं जानी की होयत भविष्य मे ?
हमरा सब केर समर में हरिमोहन झा , नागार्जुन , दिनकर सब सनक महान रचना कार लोकिन छलाह . से इ सब कोनो हुनका स पैघ छैथ जखन ओ लोकिन पाग पहिर अपना केर गौरवान्वित बुझैत छलाह तखन आजुक नौसिखुआ सब के की औकात ?
ओ कह्लैने हौ बाऊ ब्रह्मण एकर विरोध किअक क रहल अछि से नहीं जानी मुदा जिनकर बाप दादा कहियो पहिर्बे नहीं केने हैथ हुनका त अवस्य ने असोहाथ बुझेतैन .
ओहुना मिथिलाक गाम घर मे कहल जाइत अछि जे की " राअर केर सुख बले " .
· · · 3 hours ago
- 9 minutes ago · · 1
Umesh Mandal जगदीश प्रसाद मण्डल जीकेँ गौहाटी विद्यापति समारोहमे मुख्य अतिथि बनाओल गेलापर वैद्यनाथ बैजू आ अमलेन्दु शेखर पाठक आदि हंगामा केने रहथि, अमलेन्दु शेखर पाठक कहि रहल रहथि "सपनोमे नै सोचने हेतै", एकर वीडियो देखू www.purvottarmaithil.org पर
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