Tuesday, September 13, 2011

मनोज कुमार मण्‍डल - “‍बाप भेल पि‍त्ती” ओ “‍अधि‍कार” नाटक'क सफल मंचन

मनोज कुमार मण्‍डल “‍बाप भेल पि‍त्ती” ओ “‍अधि‍कार” नाटक'क सफल मंचन चनौरागंज, मधुबनी। वसंतक वेलामे सरस्‍वती पूजाक शुभ अवसरपर जे.एम.एस. कोचि‍ंग सेंटर केर संस्‍थापक सह शि‍क्षक श्री बेचन ठाकुर जीक रचि‍त दू गोट नाटकक मंचन कोचि‍ंगक बालक-बालि‍का द्वारा कएल गेल। पहि‍ल नाटक “बाप भेल पि‍त्ती‍” सतौत माएक नाकारात्‍मक चरि‍त्रपर आधारि‍त छल। ऐ सम्‍पूर्ण नाटकक सफल प्रस्‍तुति‍ कोचि‍ंगक बालि‍का द्वारा कएल गेल। स्‍त्री, पुरूष दुनूक भूमि‍का बालि‍का सभ केलनि‍। नाटकक सफल मंचनक श्रेय श्री बेचन ठाकुरकेँ देबामे कनि‍यो असोकर्ज नै कारण नाटक लि‍खबासँ लऽ कऽ ि‍नर्देषन धरि‍ ठाकुरजी स्‍वयं केलाह। ऐ नाटकक प्रस्‍तुति‍सँ बुझि‍ पड़ल जे ठाकुरजी समाजसँ कतेक सरोकार रखै छथि‍ आ समाजक कतेक सूक्ष्‍म अध्‍ययन करै छथि‍। गाम-घरक परि‍वेश रहि‍तो दर्शक धन्‍यवादक पात्र छथि‍ जे नाटक देखबामे भाव-वि‍भोर भऽ गेल छलाह। दोसर लघु नाटक छल “अधि‍कार‍” ई नाटक सूचनाक अधि‍कारसँ सम्‍बन्‍धि‍त “बेस्‍ट सि‍टि‍जन अवार्ड‍”सँ पुरस्‍कृत मो. मजनूम नवादपर आधारि‍त छल। ऐ नाटकक प्रस्‍तुति‍ संस्‍थानक बालक द्वारा कएल गेल। सभसँ महत्‍वपूर्ण बात ई अछि‍ जे दर्शकक पहि‍ल पति‍यानीमे बैस मो. मजनूम नवाद सेहो आदि‍सँ अंत धरि‍ नाटकक आनंद लेलाह। संगे चनौरागंगक अगल-बगल जेना बेरमा, मछधी, सि‍मरा, कनकपुरा, चनौरा, जगदर, रबारी, वि‍शौलक लोक सभ दर्शक रूपमे उपस्‍थि‍ति‍ रहथि‍‍। हजारोक संख्‍या कहबामे कम बुझना जाइ छल। कि‍छु लोक एहनो भेलाह जे अपन भाव मंचपर उपस्‍थि‍त भऽ कऽ अभि‍व्‍यक्‍त केलथि‍। जै‍मे श्री कामेश्वर कामति‍, श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल, श्री गोवि‍न्‍द झा, श्री चेत नारायण साहु, श्री रमेश प्रधान, श्री वि‍पि‍न साहु, श्री महावीर साहु, श्री बहादुर ठाकुर, श्री मनोज कुमार मण्‍डल इत्‍यादि‍ प्रसन्न भऽ नाटककार सह आयोजन कर्ता माने मंचक श्री बेचन ठाकुरजीकेँ धन्‍यवाद ज्ञापनक संग-संग कलाकार-वि‍द्यार्थी-सभकेँ प्रोत्‍साहन केलकनि‍। उपस्‍थि‍त श्रोता सभ नाटकक वि‍षय-वस्‍तुसँ काफी प्रभावि‍त भेलाह। जेकर कारण नाटकक भाषा सेहो स्‍पष्‍ट रूपमे देखार भेल। ऐ नाटकक मंचनसँ आ श्रोता-दर्शकक उपस्‍थि‍ति‍ आ लगावसँ ई स्‍पष्‍ट देखार भेल जे जौं अहि‍ना मैथि‍ली नाटकक संचालन मि‍थि‍लाक गामपर हुअए तँ मैथि‍लीक वि‍कास माने मि‍थि‍लाक वि‍कासक प्रेमी-साहि‍त्‍यकार-अपन वि‍चारकेँ परोसबामे तेजी आनि‍ सकै छथि‍। प्रसाद पोनि‍हारक कमी नै अछि‍। हमहुँ अपना तरफसँ आदरनीय श्री बेचन जीकेँ धन्‍यवाद दै छि‍यनि‍ आ आशा करै छी जे आगूओ अहि‍ना अपन नाटकक माध्‍यमसँ समाजकेँ ओझल वि‍षय-वस्‍तुसँ सुगम भाषामे समै-समैपर अवगत करबैत रहताह। जय मि‍थि‍ला! जय मैथि‍ली!!

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