Sunday, March 4, 2012

श्री गुणनाथ झा, श्री जगदीश प्रसाद मण्डल आ श्री बेचन ठाकुर जीक नाटक: मैथिली नाट्य संस्था आ नाट्य निर्देशक- गजेन्द्र ठाकुर


श्री गुणनाथ  झा, श्री जगदीश प्रसाद मण्डल आ श्री बेचन ठाकुर जीक नाटक: मैथिली नाट्य संस्था आ नाट्य निर्देशक
 १
गुणनाथ झा

गुणनाथ झा "लोक मञ्च" मैथिली नाट्य पत्रिकाक संचालन- सम्पादन केने छथि। मैथिलीमे आधुनिक नाटकक प्रणयन। हुनकर नाटक कनियाँ-पुतरा, पाथेय, ओ मधुयामिनी, सातम चरित्र, शेष नञि, आजुक लोक आ जय मैथिली सभक बेर-बेर मंचन भेल अछि।बाङ्गला एकाङ्की नाट्य-संग्रह ऐमे बांग्लाक २४ टा नाटककारक २४ टा नाटकक संकलन ओ सम्पादन अजित कुमार घोष केने छथि आ तकर बांग्लासँ मैथिली अनुवाद श्री गुणनाथ झा द्वारा भेल अछि।
कनियाँ-पुतरा- गुणनाथ झा जीक ई पहिल पूर्णाङ्क नाटक थिक। नाटक बहुदृश्य समन्वित करैबला घूर्णीय मञ्चोपयुक्त अछि। कथा काटर प्रथापर आधारित अछि आ तकर परिणामसँ मुख्य अभिनेता आ मुख्य अभिनेत्री मनोविकारयुक्त भऽ जाइत छथि, तइ मनोदशाक सटीक चित्रण आ विश्लेषण भेल अछि।
मधुयामिनी: एकाङ्क नाट्य शैलीमे दूटा पात्र, पुरुष संयुक्त परिवारक पक्ष लेनिहार आ स्त्री तकर विरोधी। संयुक्त परिवारक पक्ष लेनिहारक सामंजस्यपूर्ण विजय होइत अछि। "लोक मञ्च" मैथिली नाट्य पत्रिकामे प्रकाशित।
पाथेय: एकाङ्क नाट्य शैलीमे रचित, मुदा पूर्णाङ्कक सभ विशेषता ऐमे भेटत। मुख्य अभिनेता मिथिलाक अधोगतिसँ दुखी भऽ गामकेँ कर्मस्थली बनबैत छथि, स्वजन विरोध करै छथि। मुदा बादमे पत्नी हुनकर संग आबि जाइ छथिन्ह। भाषा मधुर आ चलायमान अछि।
लाल-बुझक्कर: एकाङ्क नाट्य शैलीमे रचित। दाही रौदीसँ झमारल निम्न आ मध्य-निम्न वर्ग स्वतंत्रताक पहिनहियो आ बादो जीविकोपार्जन लेल प्रवास करबा लेल अभिशप्त छथि। माता-पिता विहीन लाल बुझक्करजी कनियाँकेँ नैहरमे बैसा कऽ आ सन्तानहीन पित्ती पितियैनकेँ छोड़ि नग्र प्रवास करै छथि।
सातम चरित्र: एकाङ्क नाट्य शैलीमे रचित। मैथिली रंगमंचपर महिला अभिनेत्रीक अभाव, सातम चरित्रक प्रतीक्षामे पूर्वाभ्यास खतम भऽ जाइत अछि। "लोक मञ्च" मैथिली नाट्य पत्रिकामे प्रकाशित।
शेष नञि: आधुनिक सामाजिक पूर्णाङ्क नाटक। पिता-माताक मृत्युक बाद अग्रजक अनुजक प्रति पितृवत व्यवहार। अनुज चाकरी करै छथि, परिवर्तनशील सामाजिक परिस्थितिक शिकार भऽ अचिन्तनीय कार्यकलाप करै छथि आ अग्रज प्रतारित होइ छथि। मुदा अग्रज मरणासन्न पत्नीक प्राणरक्षार्थ साहसपूर्ण डेग उठा लैत छथि। 
आजुक लोक: पूर्णाङ्क नाटक। विषय निम्नमध्यवर्गीय बेरोजगारी आ बियाहक दायित्वक बोझ। 
जय मैथिली: पूर्णाङ्क नाटक। मिथिलाक भाषिक-सांस्कृतिक समस्या एकर कथावस्तु अछि। 
महाकवि विद्यापति: विद्यापतिक नव विश्लेषण।

 २

जगदीश प्रसाद मण्डल
मि‍थि‍लाक बेटी-प्रथम दृश्‍य- महगीक वि‍रोधमे कर्मचारीक हड़ताल। महगीक कारण- नोकरी दि‍स झुकने, खेतीक ह्रास। भू-सम्‍पत्ति‍क ह्रास, दान दहेज झर-झंझटक बढ़ोतरी। वि‍याहक लाम-झाम। पैसाक दुरूपयोग। कला प्रेमी धन सम्‍पत्ति‍केँ तुच्‍छ बुझैत। कौरनेटि‍याक संग कओलेजक लड़की, जे नाच-गान सि‍खैत, चलि‍ गेलि‍। झर-झंझटमे पोकेटमारी सेहो।सरकारी पदाधि‍कारीकेँ बाजैपर रोक। अपहरणक बढ़ोत्तरी, रंग-वि‍रंगक अपहरणोक कारण ि‍सर्फ पाइये नै जानोक खेलवाड़। सरकारी अफसरक नैति‍क ह्रास। चम्‍मछक घटना। सरकारी तंत्र कमजोर भेने असुरक्षाक वृद्धि‍।समाजक वि‍घटनमे जाति‍, सम्‍प्रदाय इत्‍यादि‍क योगदान, जइसँ इज्‍जत-आवरू धरि‍ खतरामे।सि‍नेमा, खेल-कूदक प्रभावसँ नव पीढ़ी अपन सभ कि‍छु- कुल, खनदान, वेवहार, छोड़ि‍, वाहरी हवाक अनुकरणमे पगला रहल अछि‍। ढहैत सामंतमे संस्‍कारक छाप। इनार-पोखरि‍ स्‍त्रीगणक झगड़ाक अड्डा। मि‍थि‍ला नारी शक्‍ति‍क प्रतीक सीता। दहेजक मारि‍मे जाति‍-पाँति‍क नास। धन-सम्‍पत्ति‍ आचार-वि‍चार नष्‍ट करैत कोट-कचहरीक चपेटमे समाज, आपसी झगड़ाक कुप्रभाव। नवयुवकमे आत्मवलक अभाव नारीक बीच असीम धैर्य-वाल-वि‍धवा मनुष्‍यपर समाजक प्रभाव। पढ़लो-ि‍लखल कारगरो लड़कीक मोल दहेजक आगू चौपट अछि‍। ओना पुरूषक अपेक्षा नारीक महत्‍व, पुरूष प्रधान व्‍यवस्‍थामे कम रहल गहना-जेबर सेहो अहि‍तकर। नव पीढ़ीक नारीमे नव उत्‍साहक जरूरत। नव-नव काज सि‍खैक हुनर। दोसर अंक- सामंती व्‍यसन- भाँग। नव पीढ़ी सेहो प्रभावि‍त। श्रम चोर मि‍हनतसँ मुँह चोराएब। भाग्‍य-भरोसपर वि‍सवास। धनक प्रभावसँ परि‍वारक वि‍खरब। पि‍ता-पुत्रक बीच मतभेद बलजोरी वा फुसला कऽ लड़का-लड़की वि‍याह...। खेतक लेन-देनमे घोखाधड़ी। जबूरि‍या, दोहरी रजि‍स्ट्री। घुसखोरी कमाइ प्रति‍ष्‍ठा। माइयो-वापक इच्‍छा रहैत जे बेटा घुस लि‍अए। नोकरीक वि‍रोध... पुरूष प्रधान व्‍यवस्‍थामे नारीक रंग-वि‍रंगक शोषण। पढ़ौने आरो समस्‍या। तेसर अंक - बहुराष्‍ट्रीय कम्‍पनीक कृषि‍पर दुष्‍प्रभाव, देशी उत्‍पादनक अभाव। दहेज समर्थक समाज आ दहेज वि‍रोधी समाज दू तरहक समाज। परम्‍परा आ परम्‍परा वि‍रोधी नव जाग्रत समाज। खण्‍ड-पखण्‍डमे समाज टूटल। नव मनुष्‍यक सृजन नव तकनीक नव सोच आ नव काज पकड़ने बहुराष्‍ट्रीय प्रभावसँ परि‍वार, समाज आ कला संस्‍कृति‍पर दुष्‍प्रभाव, बेबस्‍था बदलने समाज बदलत। चारि‍म अंक- पाइ भेने वि‍चारोमे बदलाव। जाहि‍सँ नव समाजक सूत्र पात-जन्‍म सेहो होइत। रामवि‍लास (मि‍स्‍त्री) मनुष्‍यक महत्‍व दैत जइसँ दहेजकेँ धक्का लगैत। पहि‍नेसँ मि‍थि‍लांचलक लोक वंगल, असाम, नेपाल, ढाका, धरि‍ ध्‍न कटनी, पटुआ कटनीक लेल जाइत छल। शि‍क्षाक वि‍संगति‍। ओकरा मेटाएब। पाँचम अंक- आदर्श वि‍याह। नव चेतनाक जागरण जे बेबस्‍था बदलत।  
कम्‍प्रोमाइज- सामंती समाजमे टुटैत कृषि‍ आ कि‍सानी जीवन, नब पूँजीवादी समाजमे कृषि‍केँ पूँजी बनेबाक बेबस्‍था, बुद्धि‍जि‍वी आ श्रमिकक पलायनसँ गामक बि‍गड़ैत दशा, समन्‍वयवादी वि‍चार-दर्शन। 
झमेलि‍या बि‍आह- मि‍थि‍लाक समाजमे अबैत बि‍आह-संस्‍कारक प्रक्रि‍यामे रंग-बि‍रंगक बाहरी प्रभाव, बाहरी प्रभावसँ रंग-बि‍रंगक वि‍वाद, झमेलक जन्‍म, झमेलि‍याक रूपमे बि‍आह प्रक्रि‍यामे होइत वि‍वादक वि‍षद चर्च। 
बि‍रांगना- ग्रामीण जीवनक बजारोन्‍मुख हएब, सस्‍ता श्रम-शक्‍ति‍ भेटलासँ पूँजीपति‍ वर्ग द्वारा शोषण, श्रमक लूटसँ ग्रामीण लोक जानवरोसँ बत्तर जि‍नगी जीबए लेल मजबूर, रूपैयाक लालचमे नीच-सँ-नीच काज करबाक लेल तैयार लोक। 
तामक तमघैल- ढहैत सामंती समाजमे छि‍न्न-भि‍न्न होइत परि‍वार, रीति‍-नीति‍ एवं परि‍वारि‍क सम्‍बन्‍ध, छि‍न्न-भि‍न्न होइत परि‍वारक आर्थिक आधार। 
सतमाए- कोनो संबंध दोषपूर्ण नै होइत छै बल्‍कि‍ मनुष्‍यक बेबहार आ वि‍चारमे दोष होइत छैक तही बेबहार आ वि‍चारक सम्‍यक चर्च करैत ‘सतमाए’क आदर्शरूप प्रस्‍तुत कएल गेल अछि‍। 
कल्‍याणी- दि‍न-देखारे होइत अन्यायक प्रति‍ सजगताक उल्लेख करैत नारी जागरणक चि‍त्रण, बुनि‍यादी समस्‍या दि‍स इशारा करैत समस्‍याक समाधान हेतु पैघ-सँ-पैघ दाम चुकबए पड़ैत अछि, तेकर चि‍त्रण। 
समझौता- समाजमे कृषि‍केँ पूँजी बनेबाक लेल टुटैत कृषि संस्‍कृति‍क बुनि‍यादी समस्‍याक वर्णन आ तकर नि‍दान लेल समझौता हेतु सम्‍यक सोचक जरूरति‍पर प्रकाश दैत ओकर महत्व ओ आवश्‍यकताक वर्णन।

बेचन ठाकुर
बेटीक अपमान आ छीनरदेवी: भ्रूण हत्या, महिला अधिकार आ अन्धविश्वासपर आधारित दुनू नाटक मैथिली नाटककेँ नव दिशा दैत अछि।
अधिकार: इन्दिरा आवास योजनाक अनियमितताकेँ आर.टी.आइ.(सूचनाक अधिकार) सँ देखार करैबला आ रिक्शासँ झंझारपुरसँ दिल्ली जाइबला असली चरित्र मंजूरक कथा अछि।
विश्वासघात: नेशनल हाइवेक जमीनक मुआवजामे ढेर रास पाइ देल जाइ छै आ ओकरा हड़पै लेल पारिवारिक सम्बन्धक बलि चढ़ि जाइ छै।
विदेह नाट्य उत्सव २०१२ मे भरत नाट्य शास्त्र आधारित नाटक रंगमंच संकल्पना आधारित गजेन्द्र ठाकुर लिखित आ श्री बेचन ठाकुर निर्देशित “उल्कामुख” मंचित कएल गेल, जे मैथिलीमे ऐ तरहक पहिल प्रयास छल, ऐमे पेण अभिनेत्री लोकनिक माध्यमसँ नाटक मंचन भेल, ऐमे पुरुख पात्रक अभिनय सेहो महिला कलाकार द्वारा भेल। भरत नाट्यशास्त्रक आधारपर रंगमंचक ड्राइंग श्रीमती एस.एस.जानकीक छल। ऐ तरहक एकटा प्रयास संस्कृत रंगमंचपर चेन्नैमे कएल गेल छल। बेचन ठाकुर जी आधुनिक समकालीन विषयपर नाटक लिखै छथि आ उच्च कोटिक निर्देशक छथि। भरतक नाट्यशास्त्रपर आधारित मंच संकल्पनाकेँ पहिल बेर ई विदेह नाट्य उत्सव २०१२ मे मूर्तरूप देलन्हि। हिनकर अनेक प्रयोगमे एकटा प्रयोग अछि पूर्ण रूपेण अभिनेत्री लोकनिक माध्यमसँ नाटक मंचन करब, जइमे पुरुख पात्रक अभिनय सेहो महिला कलाकार द्वारा भेल। आ ई ओ कतेको बेर केने छथि।

नाट्य रंगमंच समिति सभ
भंगिमा, पटना ; चेतना समिति, पटना, जमघट-, मधुबनी; मिथिला विकास परिषद, कोलकाता; अखिल भारतीय मिथिला संघ, कोलकाता; मिथिला कला केन्द्र, कोलकाता; मैथिली रंगमंच, कोलकाता; कुर्मी-क्षत्रिय छात्रवृत्ति कोष, कोलकाता; आल इण्डिया मैथिल संघ, कोलकाता; कर्ण गोष्ठी:जयन्त लोकमंच, कोलकाता; मिथिला सेवा संस्थान, कोलकाता; मिथि यात्रिक, कोलकाता; वैदेही कला मंच, कोलकाता; कोकिल मंच, कोलकाता;  मिथिला कल्याण परिषद, रिसरा, कोलकाता (निर्देशन मुख्य रूपसँ श्री दयानाथ झा द्वारा १९८२ ई.सँ। सम्प्रति श्री रण्जीत कुमार झा निर्देशन कऽ रहल छथि, ०८.०१.२०१२ केँ हुनकर निर्देशनमे तंत्रनाथ झा लिखित “उपनयनक भोज” मंचित भेल।) ; झंकार, कोलकाता; मिथिला सेवा समिति बेलुर, कोलकाता; उदय पथ, कोलकाता। मिथिला नाट्य परिषद (मिनाप), जनकपुर; रामानन्द युवा क्लब, जनकपुरधाम; युवा नाट्य कला परिषद (युनाप), परवाहा, धनुषा; आकृति (उपेन्द्र भगत नागवंशी), जनकपुर; रंग वाटिका, नेपाल; चबूतरा, शिरोमणि मैथिली युबा क्लब, गांगुली, भैरब, मैथिली सांस्कृतिक युबा क्लब, बौहरबा, श्री सरस्वती सांस्कृतिक नाट्य कला परिषद, गाम तिलाठी (सप्तरी, नेपाल); अरुणोदय नाट्य मंच, राजबिराज; सरस्वती नाट्य कला परिषद, मेंहथ, मधुबनी; मैथिली लोकरंग (मैलोरंग), दिल्ली; मिथिलांगन, दिल्ली। मधुबनीक पजुआरिडीह टोलमे श्रीकृष्ण नाट्य समिति श्री कृष्णचन्द्र झा रसिक, शिवनाथ झा आ गंगा झाक निर्देशनमे मैथिली नाटक मंचित होइत रहल अछि। सांस्कृतिक मंच, लोहियानगर, पटना; चित्रगुप्त सांस्कृतिक केन्द्र, जनकपुर; गर्दनीबाग कला समिति, पटना; मिथिलाक्षर, जमशेदपुर; मैथिली कला मंच, बोकारो; उगना विद्यापति परिषद, बेगूसराय; मिथिला सांस्कृतिक परिषद, बोकारो स्टील सिटी; भानुकला केन्द्र, विराटनगर; आंगन, पटना; नवतरंग, बेगूसराय; भारतीय रंगमंच, दरभंगा; भद्रकाली नाट्य परिषद, कोइलख, मिथिला अनुभूति दरभंगा, विदेह अंतर्राष्ट्रीय ई-जर्नलक नाट्य उत्सव।

मैथिली नाटकक निर्देशन
निर्देशक: श्री कमल नारायण कर्ण (चीनीक लड्डू-ईशनाथ झा/ चारिपहर- मूल बांग्ला किरण मैत्र, मैथिली अनुवाद- निरसन लाभ), श्री श्रीकान्त मण्डल (चन्द्रगुप्त मूल बांग्ला डी.एल.राय, मैथिली अनुवाद- बाबू साहेब चौधरी/ पाथेय- गुणनाथ झा/ नायकक नाम जीवन- नचिकेता); श्री विष्णु चटर्जी आ श्री श्रीकान्त मण्डल (निष्कलंक- जनार्दन झा); प्रवीर मुखोपाध्याय; वीणा राय, मोहन चौधरी, बाबू राम सिंह, गोपाल दास, कुणाल, रवि देव, दयानाथ झा, त्रिलोचन झा, शम्भूनाथ मिश्र, काशी झा, अशोक झा, गंगा झा, गणेश प्रसाद सिन्हा, नवीन चन्द्र मिश्र, जनार्दन राय, श्री कृष्णचन्द्र झा रसिक, शिवनाथ झा, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, अखिलेश्वर, सच्चिदानन्द, रमेश राजहंस, मोदनाथ झा, विभूति आनन्द, जावेद अख्तर खाँ, कौशल किशोर दास, प्रशान्त कान्त, अरविन्द रंजन दास, मनोज मनु, रोहिणी रमण झा, भवनाथ झा, उमाकान्त झा, लल्लन प्रसाद ठाकुर, रघुनाथ झा किरण, महेन्द्र मलंगिया, कुमार शैलेन्द्र, विनीत झा, किशोर कुमार झा, कुमार गगन, विनोद कुमार झा, के.अजय, छत्रानन्द सिंह झा, नीलम चौधरी, काजल, मनोज कुमार पाठक, आशनारायण मिश्र, श्री श्रीनारायण झा, प्रमिला झा, तनुजा शंकर, केशव नन्दन, ब्रह्मानन्द झा, संजीव तमन्ना, किसलय कृष्ण, प्रकाश झा, मुन्नाजी, संजय कुमार चौधरी, कमल मोहन चुन्नू, अंशुमान सत्यकेतु, श्याम भास्कर, प्रेम कुमार, संगम कुमार ठाकुर, एल.आर.एम. राजन, भास्करानन्द झा, आशुतोष कुमार मिश्र, आनन्द कुमार झा, मनोज मनुज, संजीव मिश्र, स्वाति सिंह, स्वर्णिम, आशुतोष यादव अभिज्ञ, अशोक अश्क, दिलीप वत्स, तरुण प्रभात, माधव आनन्द, नरेन्द्र मिश्र, भारत भूषण झा, किशोर केशव, बेचन ठाकुर, उपेन्द्र भगत नागवंशी, अनिल चन्द्र झा, अंशुमान सत्यकेतु, आनंद कुमार झा, हेमनारायण साहू, रामकृष्ण मंडल छोटू, धीरेन्द्र कुमार, उत्पल झा, अभिषेक के.नारायण, चन्द्रिका प्रसाद 


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