Sunday, December 25, 2011

विदेह नाट्य उत्सव २०१२ क प्रस्तुति.....उल्कामुख

-"उल्कामुख" विदेह नाट्य उत्सवमे मंचित हएत।

-"उल्कामुख"क नाटककार छथि गजेन्द्र ठाकुर।

-निर्देशक रहताह बेचन ठाकुर।

-जादू वास्तवितावादी ऐ नाटकमे इतिहासक एकटा षडयंत्रकेँ उघारल गेल अछि , मंच परिकल्पना अछि भरतक नाट्यशास्त्रक अनुसार।

-आचार्य व्याघ्र, आचार्य सिंह, आचार्य सरभ, शिष्य साही, शिष्य खिखिर, शिष्य नढ़िया, शिष्य बिज्जी  ऐ मे पात्र छथि।
[ पात्र: पहिलसँ चारिम कल्लोल धरि : गंगेश , वल्लभा, देवदत्त, वर्द्धमान, उदयन, दीना, भदरी, आचार्य व्याघ्र, आचार्य सिंह, आचार्य सरभ, शिष्य साही, शिष्य खिखिर, शिष्य नढ़िया, शिष्य बिज्जी, भगता, भगताक शिष्य।
पात्र: पाँचम कल्लोलसँ : शिष्य साही बनि गेल हरपति (गंगाधरक पिता), गंगेश बनि जाइ छथि गंगाधर, वल्लभा बनि जाइ छथि कुमरसुता (गंगाधरक पत्नी), भगता बनि गेल जटा, भगताक शिष्य बनि गेल दलित गायक हीरू, आचार्य व्याघ्र बनि जाइ छथि मनसुख (जीवेक पिता), आचार्य सिंह बनि जाइ छथि हरिकर-सेनापति (मेधाक पिता), आचार्य सरभ बनि जाइ छथि कीर्ति सिंह (राजा), वर्द्धमान बनि जाइ छथि मितू (गंगाधरक बहिनोइ), देवदत्त बनि जाइ छथि जीवे (मनसुखक बेटा), शिष्य खिखिर बनि गेल राजाक अर्थमंत्री नारायण, शिष्य नढ़िया बनि गेल दरबारी-१, शिष्य बिज्जी बनि गेल दरबारी-२, उदयन बनि गेल माधव (अनुभव मण्डलक सदस्य आ दरबारी), दीना बनि गेलाह माधवक सहयोगी-१, भदरी बनि गेलाह माधवक सहयोगी-२। ४ टा स्त्री पात्र ऐ अन्तिम दुनू अंकमे बढ़ि जाइ छथि: रुद्रमति (माधवक माए) सोहागो (गंगाधरक माता), आनन्दा (गंगाधरक बहिन), मेधा (हरिकर- सेनापतिक बेटी)]


-गंगेश आ वल्लभाक प्रेम ऐ नाटकक विषय अछि। मुदा पहिल दू अंकक बाद तेसर आ चारिम अंक जादू वास्तविकतावादक उदाहरण बनि जाइए। आ आबि जाइ छथि सोझाँ उदयन, दीना, भदरी, आचार्य व्याघ्र, आचार्य सिंह, आचार्य सरभ, शिष्य साही, शिष्य खिखिर, शिष्य नढ़िया, शिष्य बिज्जी। आ शुरू भऽ जाइए इतिहासक एकटा षडयंत्रक अनुपालन। मुदा चारिम कल्लोलक अन्तमे भगता कहि दै छथि अपन शिष्यकेँ एकटा रहस्य.......जे विस्मरणक बादो आबि जाएत स्मरणमे।...बनि उल्कामुख...

- पाँचम कल्लोलसँ संकेतक बदला वास्तविकता, कल्पनाक बदला सत्य...

-पहिलसँ चारिम कल्लोल धरि मंचपर शतरंजक डिजाइन बनाएल घन राखल रहत, पाँचम कल्लोलसँ भूत आ कल्पनाक प्रतीक ओइ संकेतक बदला वास्तविकताक प्रतीक गोला राखल रहत।

- गंगेशक तत्त्वचिन्तामणिपर ढेर रास टीका उपलब्ध अछि, गंगेशकेँ कहल जाइ छन्हि तत्वचितामणिकारक गंगेश; मुदा हुनकर कविता भऽ गेल छन्हि "उल्कामुख"!!!


मैथिली नाटककेँ.....................
नव आयाम दैत ............................
नाटकक नव युगमे प्रवेश प्रवेश करबैत अछि.......
उल्कामुख.........................................................
विदेह नाट्य उत्सव २०१२ मे मंचित हएत............................
निर्देशक बेचन ठाकुर..................................................................
मंच भरत नाट्यशास्त्रक अनुरूप.......................................................................






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