Friday, September 30, 2011

रसनचौकी (भटसिमर, मधुबनी)-साभार श्री पवनकान्त झा (काश्यप कमल)

कोइलखमे ऐबेर दशमीक अवसर पर दू गोट मैथिली नाटकक मंचन (साभार:अंशुमान सत्यकेतु)/ भटसिम्मरिमे सेहो २ टा मैथिली नाटक होमय जा रहल अछि.....(साभार:पवनकान्त झा)

प्रसन्नताक बात ई जे "भद्रकाली नाट्य परिषद,कोइलख" ऐबेर दशमीक अवसरपर दू गोट मैथिली नाटक मंचित करऽ जा रहल अछि। पहिल डा० अरविन्द अक्कू लिखित 'झिझिर कोना'(निर्देशन-प्रेम कुमार) आ दोसर कमल मोहन 'चुन्नू' लिखित 'चाँङुर'(निर्देशन-अंशुमान सत्यकेतु)।
दूनू नाटकक मंचनक अवसरपर नाटककार द्वयक उपस्थित रहबाक संभावना अछि। संगहि दूनू गोटेकेँ सम्मानित करबाक सेहो योजना अछि।

भटसिम्मरिमे सेहो २ टा मैथिली नाटक होमय जा रहल अछि| (साभार:पवनकान्त झा)

Monday, September 26, 2011

राम बहादुर रेणु - मैथिली रंगमंच कलाकार

चित्र सौजन्य सागर पिक्चर्स
राम बहादुर रेणु - मैथिली रंगमंच कलाकार हिन्दी सीरियल (एन.डी.टी.वी. इमेजीन) "द्वारकाधीश"मे सुदामाक भूमिकामे

मिथिला विश्वविद्यालयक संगीत आ नाट्य विभागक सभा कक्षमे श्याम भास्कर लिखित आ निर्देशित मैथिली नाटक 'अपन गाममे' क मंचन - १५ सितम्बर २०११ सायंकालमे-(साभार शशि मोहन)

चित्र सौजन्य श्री शशि मोहन
पूर्वप्रदर्शन चित्र सौजन्य श्री शशि मोहन

Tuesday, September 20, 2011

Snippets from “A Survey of Maithili Literature Vol.II”- by GAJENDRA THAKUR

MODERN MAITHILI DRAMA

Manipadma wrote “Kanthahara”, it is a drama based on life of Vidyapati.
His “Jhumki” brings effect of drama and suspense to the forefront onto the stage. The Sahni Tola which was at first depicted as inhabited by criminals later turns out to a place where the oppressed ones reside. A police officer marries the woman gang leader and the Zamindars turn out the real villains.

Gangesh Gunjan’s Budhbudhiya proclaims being first Maithili street play. It is a path breaking Maithili drama so far as treatise of contemporary problems is concerned.

Mahendra Malangiya's plays were not popular among the village drama societies, although some urban drama units did choose to play these in drama festivals. Malangiya depicts rural life unsuccessfully (humoristically!). He through MINAP (Mithila Natyakala Parishad) produced his own plays in and around Janakpur. His one-act  radio plays became popular. The major drawback of his plays is poor selection of dialogues, that he depicts as belonging to the masses. There are small repetitive sentences aiming cheap popularity. People watching his plays are from the socially elite (!) but poorly educated sub-strata of the community and therefore he hurls derogatory language aimed towards the so-called backward classes. The subject selection does not aim timelessness. His drama “Okar Anganak Barahmasa” has casteist leaning. The main character in “kathak lok” uses an invented creol (a mix of hindi and maithili!!), hurls derogatory language towards the so-called backward classes, aiming cheap popularity. The (social) superiority complex has corrupted the style and language of most of his plays. This aspect has been challenged by the modern dramatists of Maithili Language viz. Sh. Bechan Thakur and Sh. Jagdish Prasad Mandal.

Udaya Narayana Singh Nachiketa is the most effective dramatist of Maithili so far as treatment of the subject, the language used and the effects on stage are concerned. Distancing himself from pseudo popularity, all his plays are straight in effect. With these plays Maithili drama enters into 21st century in a grand manner. His “Nayakak Naam Jiwan” strikes bluntly the society’s quest for wealth. “Ek Chhal Raja” brings to fore the feudal psychology, the earlier feudal ones giving way to the newer ones. “Pratyavartana” meaning rolling back, is a story of a Doctor who is fascinated by village life, but is disenchanted when he faces the reality. And then comes the Maithili Literature Movement “Andolan”, here the real stalwarts are ignored and the pseudo one are respected. In Nachiketa’s “Ramlila” Ram behaves as if he is Ravana.

The most effective and widely played dramas are those by Sh. Lallan Prasad Thakur. His “Barka Saheb” depicts conflict between the East and the West, “Mr. Nilokaka” dwindles between the old and the new. "Longia Mirchai” exposes relationship between wealth and modernism and “Baklel” exposes fallacies in the modern educational system. (Snippets from “A Survey of Maithili Literature Vol.II” by GAJENDRA THAKUR)

Tuesday, September 13, 2011

गोरखधन्धा नाटक ११ सितम्बर २०११ चित्र साभार श्री पवन कान्त झा

गोरखधन्धा नाटक ११ सितम्बर २०११ (चित्र साभार श्री पवन कान्त झा)
-मैथिली नाटक 'गोरखधन्धा' लेखक काश्यप कमल (पवन कान्त झा)
-मंचन  ११ सितम्बर २०११, रवि दिन, सन्ध्या ६.३० बजे धरोहर, साहिबाबाद प्रस्तुति- सावन महोत्सव
-स्थान- महराजा अग्रसेन सभागार, राजेन्द्र नगर सेक्टर ५, (near M4U), साहिबाबाद, दिल्ली एन सी आर
-निर्देशक-किसलय कृष्ण
-कलाकार- काश्यप कमल (पवन कान्त झा), कौशल कुमार, शिखा, अजित, प्रणव, कमल आदि
-मैथिली नाटक - गोरखधन्धा केँ २००२ मे  कोलकातामे सर्वोत्तम प्रस्तुति हेतु प्रथम पुरस्कार भेटल रहै।

गोरखधन्धा नाटक ११ सितम्बर २०११ चित्र साभार श्री पवन कान्त झा

गोरखधन्धा नाटक ११ सितम्बर २०११ चित्र साभार श्री पवन कान्त झा

गोरखधन्धा नाटक ११ सितम्बर २०११ चित्र साभार श्री पवन कान्त झा

गोरखधन्धा नाटक ११ सितम्बर २०११ चित्र साभार श्री पवन कान्त झा
गोरखधन्धा नाटक ११ सितम्बर २०११ चित्र साभार श्री पवन कान्त झा

मनोज कुमार मण्‍डल - “‍बाप भेल पि‍त्ती” ओ “‍अधि‍कार” नाटक'क सफल मंचन

मनोज कुमार मण्‍डल “‍बाप भेल पि‍त्ती” ओ “‍अधि‍कार” नाटक'क सफल मंचन चनौरागंज, मधुबनी। वसंतक वेलामे सरस्‍वती पूजाक शुभ अवसरपर जे.एम.एस. कोचि‍ंग सेंटर केर संस्‍थापक सह शि‍क्षक श्री बेचन ठाकुर जीक रचि‍त दू गोट नाटकक मंचन कोचि‍ंगक बालक-बालि‍का द्वारा कएल गेल। पहि‍ल नाटक “बाप भेल पि‍त्ती‍” सतौत माएक नाकारात्‍मक चरि‍त्रपर आधारि‍त छल। ऐ सम्‍पूर्ण नाटकक सफल प्रस्‍तुति‍ कोचि‍ंगक बालि‍का द्वारा कएल गेल। स्‍त्री, पुरूष दुनूक भूमि‍का बालि‍का सभ केलनि‍। नाटकक सफल मंचनक श्रेय श्री बेचन ठाकुरकेँ देबामे कनि‍यो असोकर्ज नै कारण नाटक लि‍खबासँ लऽ कऽ ि‍नर्देषन धरि‍ ठाकुरजी स्‍वयं केलाह। ऐ नाटकक प्रस्‍तुति‍सँ बुझि‍ पड़ल जे ठाकुरजी समाजसँ कतेक सरोकार रखै छथि‍ आ समाजक कतेक सूक्ष्‍म अध्‍ययन करै छथि‍। गाम-घरक परि‍वेश रहि‍तो दर्शक धन्‍यवादक पात्र छथि‍ जे नाटक देखबामे भाव-वि‍भोर भऽ गेल छलाह। दोसर लघु नाटक छल “अधि‍कार‍” ई नाटक सूचनाक अधि‍कारसँ सम्‍बन्‍धि‍त “बेस्‍ट सि‍टि‍जन अवार्ड‍”सँ पुरस्‍कृत मो. मजनूम नवादपर आधारि‍त छल। ऐ नाटकक प्रस्‍तुति‍ संस्‍थानक बालक द्वारा कएल गेल। सभसँ महत्‍वपूर्ण बात ई अछि‍ जे दर्शकक पहि‍ल पति‍यानीमे बैस मो. मजनूम नवाद सेहो आदि‍सँ अंत धरि‍ नाटकक आनंद लेलाह। संगे चनौरागंगक अगल-बगल जेना बेरमा, मछधी, सि‍मरा, कनकपुरा, चनौरा, जगदर, रबारी, वि‍शौलक लोक सभ दर्शक रूपमे उपस्‍थि‍ति‍ रहथि‍‍। हजारोक संख्‍या कहबामे कम बुझना जाइ छल। कि‍छु लोक एहनो भेलाह जे अपन भाव मंचपर उपस्‍थि‍त भऽ कऽ अभि‍व्‍यक्‍त केलथि‍। जै‍मे श्री कामेश्वर कामति‍, श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल, श्री गोवि‍न्‍द झा, श्री चेत नारायण साहु, श्री रमेश प्रधान, श्री वि‍पि‍न साहु, श्री महावीर साहु, श्री बहादुर ठाकुर, श्री मनोज कुमार मण्‍डल इत्‍यादि‍ प्रसन्न भऽ नाटककार सह आयोजन कर्ता माने मंचक श्री बेचन ठाकुरजीकेँ धन्‍यवाद ज्ञापनक संग-संग कलाकार-वि‍द्यार्थी-सभकेँ प्रोत्‍साहन केलकनि‍। उपस्‍थि‍त श्रोता सभ नाटकक वि‍षय-वस्‍तुसँ काफी प्रभावि‍त भेलाह। जेकर कारण नाटकक भाषा सेहो स्‍पष्‍ट रूपमे देखार भेल। ऐ नाटकक मंचनसँ आ श्रोता-दर्शकक उपस्‍थि‍ति‍ आ लगावसँ ई स्‍पष्‍ट देखार भेल जे जौं अहि‍ना मैथि‍ली नाटकक संचालन मि‍थि‍लाक गामपर हुअए तँ मैथि‍लीक वि‍कास माने मि‍थि‍लाक वि‍कासक प्रेमी-साहि‍त्‍यकार-अपन वि‍चारकेँ परोसबामे तेजी आनि‍ सकै छथि‍। प्रसाद पोनि‍हारक कमी नै अछि‍। हमहुँ अपना तरफसँ आदरनीय श्री बेचन जीकेँ धन्‍यवाद दै छि‍यनि‍ आ आशा करै छी जे आगूओ अहि‍ना अपन नाटकक माध्‍यमसँ समाजकेँ ओझल वि‍षय-वस्‍तुसँ सुगम भाषामे समै-समैपर अवगत करबैत रहताह। जय मि‍थि‍ला! जय मैथि‍ली!!

Wednesday, September 7, 2011

मिनापक फैमिली थिएटर प्रजेक्ट- रमेश रंजन

फैमिली थिएटर प्रजेक्टपर मिनापक डेनिस संगे काज करहल अछि ।डेनिस संगे सात दिनक वर्कशँपमे प्रोजेक्ट प्लान बनबैत मिनापक कलाकर्मी । इ नाटक नोभेम्बरसँ होएबाक छै ।देशक बिभिन्न पन्द्रह ठाम ।नाटकके युनिर्भसल भाषा बनेबाक लेल इ महत्वपूर्ण अभ्यास भ सकै छै । एकर प्ले राइट हम क रहल छी आ हमरा लेल सून्दर अभ्यास प्रमाणित भ रहल अछि ।
 
फेमिल िथिएटर प्रोजेक्टक लेल एकटा मीथके पुर्नविष्कार क क कथा निर्माण केंलहुँ । दू पेजक छोटसन कथाके बिस्तार क क दश पेजक बनौलहुँ । तखन डेनिस संगे मिनापक सहकर्मि संगे व्यापक बिमर्शक बाद सात पंति के सिनाब्सिस तैयार केलहु । आहिके आधारपर स्क्रिन प्ले लिखि क बुझा देलियै। आब डेनमार्क जेतै आ कमेन्ट सहित फिर्ता अउतै। तकरबाद नाटयलेखन । संवाद नाटकके एकटा भूगोलमे कैद क दै छै तैं संवादविहिन एक घण्टाक नाटक तैयार करबाक छै। छै ने चनौतिपूर्ण कार्य ?
 

Tuesday, September 6, 2011

१५ सितम्बर २०११ केँ "मिथिला अनुभूति" द्वारा दरभंगामे नाटकक आयोजन (साभार लाल बहादुर वत्स)

१५ सितम्बर २०११ केँ "मिथिला अनुभूति" द्वारा दरभंगामे नाटकक आयोजन।
-श्याम भास्कर लिखित आ निर्देशित नाटकक ल.ना.मि.वि. क स्नातकोत्तर संगीत आ नाटक विभागमे १५ सितम्बर २०११ केँ साँझमे ६.३० बजे मंचन
- १५ सितम्बर २०११ केँ १० बजे पूर्वाह्णमे 'मिथिलांचल में रंगकर्म : दशा दिशा' पर संगोष्ठी, आइ.जी. आर. के. मिश्र गोष्ठीक उद्घाटन करताह।
-नाटक "अपन गाममे"क १५ सितम्बरकेँ मंचन हएत।
(साभार लाल बहादुर वत्स)

मैथिली नाटक 'गोरखधन्धा' 11 सितम्बर 2011, रवि दिन, सन्ध्या 6.30 बजे

काश्यप कमल (पवनकान्त झा)
मैथिली नाटक 'गोरखधन्धा' 11 सितम्बर 2011, रवि दिन, सन्ध्या 6.30 बजे

धरोहर, साहिबाबाद प्रस्तुत करैत अछि
सावन महोत्सव
दिनांक - 11 सितम्बर 2011, रवि दिन, सन्ध्या 6.30 बजे
महराजा अग्रसेन सभागार, राजेन्द्र नगर सेक्टर 5, (near M4U), साहिबाबाद, दिल्ली एन सी आर
में अपने सादर आमंत्रित छी
कार्यक्रम - पहिल सत्र : पारम्परिक गीत
दोसर सत्र : मैथिली नाटक 'गोरखधन्धा'
लेखक - काश्यप कमल, निर्देशक - किसलय कृष्ण
पूछताछ – 9999162727, 8285438745


धरोहर, साहिबाबाद 
प्रस्तुत करैत अछि
 सावन महोत्सव
दिनांक - 11 सितम्बर 2011, रवि दिन, सन्ध्या 6.30  बजे
महराजा अग्रसेन सभागारराजेन्द्र नगर सेक्टर 5,
(near M4U)साहिबाबाददिल्ली एन सी आर
में
अपने सादर आमंत्रित छी 


कार्यक्रम -  पहिल सत्र :  पारम्परिक गीत
          दोसर सत्र :  मैथिली नाटक 'गोरखधन्धा'
                     लेखक - काश्यप कमल, निर्देशक - किसलय कृष्ण
                                                                                          निवेदक
                                                                                      डा. अनुजा सुप्रिया
                                                                                           सचिव                                
 पूछताछ  9999162727, 8285438745

मैथिली फिल्म "माई के ममता" क च्यारिटी शो काठमाडौँ मे ११ सितम्बर २०११ केँ

मैथिली फिल्म "माई के ममता" क च्यारिटी शो काठमाडौँ मे ११ सितम्बर २०११ केँ-मैथिली फिल्म "माई के ममता" क च्यारिटी शो काठमाडौँ मे,कान्तिपुर हल, सितापाइला, काठमाडौँ, Sunday, September 11 · 9:00am - 11:30am (टिकटक लेल सम्पर्क: जितेन्द्र 9841151128, अब्धेश 9804720331, पवन9841487513, कमल 9814755830)

नचिकेताक नाटक"प्रत्यावर्तन"पर आधारित पहिल मैथिली धारावाहिक "नैन न तिरपित भेल"

Friday, September 2, 2011

धरोहरक आयोजन 'श्रावण महोत्सव' (साभार : Dharohar Maithili)

धरोहरक आयोजन 'श्रावण महोत्सव' अपने सब सादर आमंत्रित छी कार्यक्रम - पहिल सत्र : मैथिली पारम्परिक गीत (कजरी आदि) दोसर सत्र : मैथिली नाटक 'गोरखधन्धा' लेखक - काश्यप कमल निर्देशक - किसलय कृष्ण, प्रस्तुति - धरोहर .........स्थान - महराजा अग्रसेन सभागार, राजेन्द्र नगर, सहिबाबाद, दिल्ली एन सी आर दिन - 11 सितम्बर 2011, सन्ध्या 6.30 प्रवेश आमंत्रण द्वारा ... बांकी सूचना जल्दिये भेटत .......... (साभार : Dharohar Maithili)

Thursday, September 1, 2011

नवेंदु कुमार झा- भंगिमाक चुनाव सम्पन्न, कुणाल अध्यक्ष्य आ जयदेव सचिव निर्वाचित चुनाव सम्पन्न, कुणाल अध्यक्ष्य आ जयदेव सचिव निर्वाचित

भंगिमाक चुनाव सम्पन्न, कुणाल अध्यक्ष्य आ जयदेव सचिव निर्वाचित
 
चुनाव सम्पन्न, कुणाल अध्यक्ष्य आ जयदेव सचिव निर्वाचित

मैथिली नाट्य संस्था ‘भंगिमाक‘ आम सभाक बैसार पटनामे वरिष्ठ रंगकर्मी कुणालक अध्यक्षतामे सम्पन्न भेल। एहि बैसारमे संस्थानक नव कार्यकारिणीक चुनाव कराओल गेल। निर्वाची पदाधिकारी वरिष्ठ मैथिल समाजसेवी प्रेमकांत झा सर्वसम्मति सँ वरिष्ठ रंगकर्मी कुणालकेँ अध्यक्ष, मोद नारायण झाकेँ उपाध्यक्ष, जयदेव मिश्रकेँ सचिव, उमाकांत झाकेँ कोषाध्यक्ष, मुकुल कुमारकेँ संयुक्त सचिव आ नवेन्दु कुमार झाकेँ संगठन सह प्रचार सचिव निर्वाचित घोषित कएलनि। एहिसँ पहिने बैसारमे अपन विचार रखैत रंगकर्मी आ सामाजिक कार्यकर्ता सभ प्रदेशमे मैथिली रंगकर्मक गतिविधिमे तेजी आनब आ संस्थाकेँ मजगूत करबापर जोर देलनि। बैसारमे कुमार गगन, ब्रहनानन्द झा, लक्ष्मी रमण मिश्र, कमल मोहन चुन्न, रितू कर्ण, प्रियंका सहित कतेको मैथिली रंगकर्मी उपस्थित छलाह।


(साभार:'विदेह' http://www.videha.co.in/ ८९ म अंक ०१ सितम्बर २०११ (वर्ष ४ मास ५ अंक ८९))